दिल्ली।गृह मंत्रालय ने उन रिपोर्टों को गलत बताया है जिनमें कहा गया है कि यदि किसी फैक्ट्री या विनिर्माण की निजी इकाईयों में किसी कर्मचारी को कोरोना वायरस का संक्रमण मिलता है तो उस इकाई को सील कर दिया जायेगा और उनके मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सजा दी जायेगी।गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को आज पत्र लिखकर बताया कि गत 15 अप्रैल को पूर्णबंदी की अवधि बढाये जाने के बाद जारी संशोधित दिशा निर्देशों की कुछ रिपोर्टों में गलत व्याख्या की गयी है। इन दिशा निर्देशों में पूर्णबंदी की अवधि के दौरान गैर हॉटस्पॉट क्षेत्रों में कुछ गतिविधियों को शुरू करने के बारे में मानक संचालन प्रक्रिया और कोरोना के प्रबंधन के संदर्भ में राष्ट्रीय स्तर पर निर्देश भी जारी किये गये थे। इनमें फैक्ट्री, निजी ईकाई , कार्यालयों और कार्यस्थल पर सामाजिक दूरी और साफ सफाई बनाये रखने को भी कहा गया था।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप News ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये,और रहे देश प्रदेश की विश्वसनीय खबरों से अपडेट
पत्र में कहा गया है कि इन दिशा निर्देशों की गलत व्याख्या से यह आशंका व्यक्त की गयी है कि यदि किसी कार्यस्थल पर किसी कर्मचारी में कोरोना का संक्रमण पाया जाता है तो मुख्य कार्यकारी अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जायेगी और फैक्ट्री को दो दिन के लिए सील भी किया जा सकता है।गृह सचिव ने कहा है कि दिशा निर्देशों में ऐसी कोई बात नहीं कही गयी है और इस तरह की आशंकाओं का कोई आधार नहीं है। पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि संशोधित दिशा निर्देशों के तहत उन सभी गतिविधियों को भी शुरू करने की अनुमति है जिन पर पहले से ही कोई रोक नहीं थी।