किसने बनाया नवजात बच्ची को बंधक

BHASKAR MISHRA
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IMG_20151125_124704बिलासपुर– बिलासपुर के गांधी चौक स्थित अस्पताल में नवजात बच्चे को बंधक बनाने का मामला सामने आया है। दीपावली की रात एक महिला ने नवजात बच्ची को जन्म दिया। जन्म देने के कुछ दिनों बाद डाक्टर के दिए बिल को देखकर महिला अन्दर तक हिल गई। एक मां ने कुछ राशि देकर नवजात को हास्पिटल में छोड़ दिया या डाक्टर ने उसे पूरी फीस देने के बाद ही बच्चा सौंपने की बात कही। यह तो स्पष्ट नहीं है। लेकिन पेन्ड्रा में उस मां ने अपने लाचारी पत्रकारों के सामने रखी। जिसके बाद डॉक्टर ने अपना पक्ष रखते हुए बच्ची को बिना फीस लिए ही उसकी मां को सौंपने की बात कही है। यह दबाव है या फिर मानवता । यह तो वह मां जानती है या फिर वह डाक्टर । लेकिन मामला उजागर होने के बाद  अब बच्ची और उसकी मां को लेकर राजनीति गरमा गयी है।

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                                  गांधी चौक स्थित महादेव स्पेशिलिटी अस्पताल में पहुंची एक महिला ने अपनी दास्तां सुनाई उसे सुनकर लोगों के रोंगटे खडे हो गए। महिला ने अस्पताल प्रबंधन पर बच्ची को बंधक बनाने का गंभीर आरोप लगाया है। महिला की माने तो उसने दीपावली की रात सिम्स में अपनी जचकी कराने पेन्ड्रा के देवरीकला गांव से बिलासपुर पहुंची थी। लेकिन सिम्स के डॉक्टरों ने उसे एडमिड करने से इंकार कर दिया। कुछ लोगों की सलाह परिजनों ने सुमन ध्रुव को गांधी चौक स्थित महादेव अस्पताल में दाखिल कराया। जहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया। जन्म के कुछ दिनों बाद जब महिला सामान्य हुई तो डॉक्टरों ने सुमन को अस्सी हजार का बिल थमा दिया। गरीब परिवार से आई महिला ने डॉक्टर को 17  हजार रूपए दिये। और पैसे का इंतजाम कर बच्ची को ले जाने की बात डॉक्टरों से कही। यह बातें डॉक्टर आशुतोष तिवारी ने पत्रकारों से बताई ।

1/26/2002 8:53 PM                          महिला के अनुसार अस्सी हजार का बिल ना चुका पाने की सूरत पर डॉक्टरों ने उससे कहा कि बाकी अपनी बच्ची को ले जाना । एक सप्ताह तक पैसे का प्रबंध नहीं होने पर सुमन ध्रुव ने स्थानीय पत्रकारों के सामने अपनी फरियाद रखी। मामला बिलासपुर पहुंचा। सत्यता जानने सीजी वाल की टीम महादेव अस्पताल पहुंची और डॉ आशुतोष तिवारी से बात की। महिला के आरोप और डॉक्टर की दलील आपस में कहीं मेल नहीं खाया। डॉ.आशुतोष तिवारी का कहना है कि हमने महिला पर किसी प्रकार दबाव नहीं डाला। महिला जब यहां पहुंची थी उसकी हालत बहुत गंभीर थी। पीलिया होने के कारण डिलेवरी में बहुत रिस्क था। लेकिन हमने इलाज किया। उसने एक बच्ची को जन्म दिया। दोनों की हालत नाजुक थी। जिसे देखते हुए मां बेटी को आईसीसीयू में दस दिनों तक रखा गया। और उनके उपचार काफी खर्च हुए।

                        डॉक्टर ने बताया कि हमने सुमन ध्रुव पर बच्ची को यहां छोड़ने का दबाव नहीं बनाया था।महिला अपनी स्वेच्छा से रूपए देने के बाद बच्ची को ले जाने को कहा है। सवाल उठता है कि महिला ऐसा क्यों कर रही है। उसे आकर अपना बच्चा ले जाना चाहिए। रूपए हैं या नहीं वह बिल देते समय ही बता सकती थी।  लेकिन हमने बच्चे को बंधक नहीं बनाया है। यह तो रही डाक्टर की बात…लेकिन सवाल उठता है कि एक मां अपने दूध मुंही बच्ची को भला क्यों छोड़ना चाहेगी। डॉक्टर की माने तो बच्ची को छः माह तक सिर्फ मां का ही दूध दिया जाता है। यह शासन के विज्ञापनों में भी बताया जाता है। अगर बच्ची कमजोर है तो उसे मां का दूथ और ममता दोनों की ज्यादा जरूरत है।

                                       पूरा मामला आज सुबह से ही छाया रहा है। एक मां अपनी दुधमुंही बच्ची को पाने के लिए पत्रकारों से लगाती रही। दिन भर चले हंगामे के बाद मामले ने राजनैतिक तूल पकड़ लिया। जहां डॉक्टर बच्ची को बंधक बनाने की बात से इंकार करता रहा। वहीं कुछ छुटभैये कांग्रेसी नेता डॉक्टर पर अपहरण का आरोप लगाते हुए उल्लू सीधा करते नज़र आए।

मुझमें भी है मानवता

IMG_20151125_123502   सुमन ध्रुव जब यहां आई थी उसकी हालत बहुत नाजुक थी। उसे पीलिया था। ऐसी स्थिति में उसका आपरेशन भी मुश्किल था। सिम्स ने हाथ उठा दिया। मैने प्रयास किया। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं। उसने मुझे 17 हजार रूपए दिये हैं। फीस अस्सी हजार है। बिल देते समय उसने मुझसे अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में कुछ नहीं बताया। 19 तारीख को उसने कहा कि देवरीकला फीस लेने जा रही हूं। फीस लेकर आऊंगी तो बच्ची को लेकर जाऊंगी। लेकिन मैने उस पर दबाव नहीं बनाया। आज सीजी वाल ने बताया कि मैने बच्ची को बंधक बनाया है। मुझमें भी मानवता है। मैं बच्ची किसे सौंपू कोई तो सामने आए। यदि मां आती है तो उसे मैं बिना किसी फीस के बच्ची सौंप दूंगा। लेकिन बच्ची का पिता शराबी है। उस पर विश्वास नहीं करता। बच्ची स्वस्थ्य है। उसका पिछले आठ दिनों से अच्छा पालन पोषण हो रहा है।

                                                                               डॉक्टर,आशुतोष तिवारी..चाइल्ड स्पेशलिस्ट महादेव अस्तपात

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