“साहब हमें अपने छत्तीसगढ़ वापस आना है..हमारी तकलीफ कोई सुन नहीं रहा है..”जम्मू–कश्मीर में फंसे जांजगीर जिले के परिवार की गुहार…हेल्पलाइन नंबर भी हेल्पलेस

Chief Editor
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बिलासपुर।“साहब हम जम्मू – कश्मीर में फँसे हुए हैं….। सर हमें अपने छत्तीसगढ़ वापस आना है…..।हमारी बात शासन – प्रशासन तक नहीं पहुंच रही है। सरकार की ओर से ज़ारी किए हेल्पलाइन नंबर से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। ये नंबर हमेशा ही बिज़ी मिलते हैं…..। जिससे हमारा नाम भी अब तक दर्ज नहीं हो सका है….। हमारा एक –एक सेकेंड इस उम्मीद में बीत रहा है कि कब हमारी ट्रेन चलेगी और हम अपने घर पहुंचेंगे…..। हर एक घड़कन सवाल करती है कि वह घड़ी कब आएगी जब हम अपने घर के लिए वापस निकलेंगे….। हमारी वापसी के लिए आप ही कुछ कीज़िए सर….।“ मोबाइल पर यह आवाज़ थी प्रियांशु कुमार खुंटे की…..। रुंधे गले से अपनी यह बात कहते हुए उन्होने अपना दर्द बयान किया और यह सवाल भी छोड़ गए कि क्या  कोरोना संकट की सबसे अधिक मार झेल रहे मज़दूरों की वापसी के लिए सरकार की ओर से की जा रही मदद सभी ज़रूरतमंद लोगों तक नही पहुंच पा रही है और हेल्पलाइन नंबर भी हेल्पलेस हो गए हैं…..? सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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कोरोना वायरस के संक्रमण का कहर मजदूरों पर सबसे भारी पड़ रहा है । छत्तीसगढ़ के मजदूर कई राज्यों में फंसे हैं और अपनी वापसी का इंतजार कर रहे हैं । जांजगीर-चांपा जिले के बिलारी गांव के प्रियांशु कुमार खुंटे ( मोबाइल नंबर – 7889406993 )का परिवार भी जम्मू -कश्मीर में फंसा हुआ है ।लॉक डाउन में काम बंद है और उनका हर एक पल मुश्किल में बीत रहा है ।  तकलीफ की बात यह है कि सरकार की ओर से जारी किए जा रहे हेल्पलाइन नंबर में उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है । उनके लिए हेल्पलाइन नंबर भी हेल्पलेस है । यह परिवार मदद की गुहार कर रहा है । लेकिन उनकी तकलीफ सुनने वाला कोई नहीं है ।

 जम्मू कश्मीर के जानीकपुर एरिया में फंसे प्रियांशु कुमार खंटे  पिछले 15 – 20 दिनों से वापसी की मदद के लिए इधर-उधर हाथ पैर मार रहे हैं । जहां से भी कोई लिंक मिलता है, उसके ज़रिए शासन – प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश करते हैं।  इस दौरान उनका संपर्क cgwall.com से हुआ।  उन्होंने अपनी तकलीफ विस्तार से बताईं।  प्रियांशु कुमार ने बताया कि वे जांजगीर-चांपा जिले के शिवरीनारायण इलाके में बिलारी गांव के रहने वाले हैं । वे अपनी मां सुभाषिनी बाई ( 40 ) और छोटे भाई हिमांशु कुमार खुंटे ( 6 ) के साथ  3 महीने पहले रोजी मजदूरी करने जम्मू-कश्मीर गए थे । जहां बिल्डिंग वर्क में एक ठेकेदार के अंडर में काम कर रहे थे ।  उन्हें रहने के लिए झुग्गी झोपड़ी मिली है । जैसे-तैसे काम चल रहा था ।

लेकिन लॉक डाउन शुरू होने के बाद काम पूरी तरह से बंद हो गया ।  शुरुआत में किसी तरह दोनों वक्त  के भोजन का इंतजाम होता रहा  । लेकिन बाद में खाना भी खत्म हो गया  । स्थानीय प्रशासन से संपर्क करने पर दाल – चावल का इंतजाम किसी तरह हो सका है ।  जिससे उन्हें खाना मिल जाता है । लेकिन अब उन्हें घर वापस लौटने की चिंता सता रही है । जब से घर वापसी के लिए उन्हे सरकार की ओर से पहल की जानकारी मिली ,इसके बाद पिछले करीब 15- 20 दिनों से वे लगातार संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने बताया कि किसी तरह मोबाइल पर छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर की जानकारी मिली ।  पिछले दो-तीन हफ्तों से वे इन नंबरों पर लगातार कॉल कर रहे हैं । लेकिन सभी नंबर व्यस्त मिलते हैं।  जिससे  उन्हें अब तक किसी तरह की मदद भी नहीं मिल पाई है और प्रशासन तक उनका नाम भी नहीं पहुंच सका है ।

प्रियांशु कुमार खुटे ने बताया कि जम्मू -कश्मीर की स्थानीय पुलिस और ऑफिस में आधार कार्ड के साथ फार्म वगैरह भी जमा कर चुके हैं ।  लेकिन वहां से भी अब तक कोई जवाब नहीं मिला है ।  इस परिवार को उम्मीद है कि वापसी के लिए कोई तो रास्ता बनेगा । लेकिन लगातार असफलता हासिल होने से अब उनकी आस भी टूटने लगी है । उनका कहना है कि कम से कम प्रशासन  और सरकारी विभाग तक उनका नाम पता तो जरूर पहुंचना चाहिए  । उन्होंने बताया कि  उनके पिता सुरेश कुमार बिलारी गाँव में  अकेले हैं और हर घड़ी उन्हे भी चिंता सता रही है। शिवरीनारायण इलाके के कटौत और शिवरीनारायण गांव से भरत बंजारे ,गंगाबाई बंजारे, विक्की बंजारे ,सूरज भी फंसे हुए हैं  । उन्होंने यह भी बताया कि  छत्तीसगढ़ इलाके से बड़ी संख्या में लोग जम्मू कश्मीर में काम करने गए हैं  । लॉक डाउन में काम बंद हो चुका है और अब वापसी के लिए वक्त का इंतजार कर रहे हैं । जब पूछा गया कि जांजगीर-चांपा जिले के स्थानीय विधायक से क्या उनका संपर्क हुआ है ….? इस पर उन्होंने बताया की नंबर नहीं होने के कारण कोई संपर्क नहीं हो सका है।

मोबाइल पर हुई इस बातचीत के दौरान उनका गला रुंधा हुआ था और बर – बार यही शब्द निकल रहे थे कि किसी तरह उनकी वापसी का इंतजाम हो ज़ाए। वे बताते हैं कि और भी लोग बड़ी संख्या में जम्मू – कश्मीर में फंसे हुए हैं। जिन्हे मदद की दरकार है।

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