रायपुर—- पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने धान खरीदी पर प्रदेश सरकार की नीति और नियत पर निशाना साधा है। जोगी ने कहा कि म.प्र., उडी़सा के बिचैलियों के सहयोग से प्रदेश में फर्जी तरीके से धान बेजा जा रहा है। उन्होने कहा कि मैने मुख्यमंत्री रहते हुए किसानों के एक-एक दाना धान खरीदने का निर्णय लिया था। बारह वर्षों में राज्य में धान की पैदावार का रकबा घटा है। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि बाहरी प्रदेशों का धान छ.ग. न खप सके।
जोगी ने कहा कि शायद प्रदेश सरकार ने मेरी नसीहतों को बहुत गंभीरता से नहीं लिया है। इसके दो ही कारण हो सकते हैं। पहला तो यह कि जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी तो राज्य को धान खरीदने के लिए पूरा मूल्य मिला करता था। इतना ही नहीं बारदाने के साथ मजदूरी का भी भुगतान केन्द्र सरकार करती थी। आज केन्द्र में मोदी सरकार है। राशन वितरण में कटौती के साथ ही सम्पूर्ण धान खरीदी और बोनस का मूल्य वहन करने से मना कर दिया है। दूसरा कारण यह रहा है कि कांग्रेस की सरकार के बलबूते ही रिकार्ड खरीदी कर जिसमें पड़ोसी प्रदेशों का धान शामिल हैको खरीदी बताकर पहला पुरूस्कार प्राप्त करने का रहा है।
अजीत जोगी जी ने कहा कि बारह सालों के इस बार अकाल होने के बावजूद धान खरीदी के सीजन में मेरी नसीहत रमन सरकार को समझ में आई है। जिसके चलते सरकार ने म.प्र. से लगे पेण्ड्रा, गौरेला ओर मरवाही बार्डर को सील करने का आदेश किया है। जहां तक रमन सरकार का प्रश्न है, उसने हमेशा किसानों को छला है।
नकली खाद, बीज देकर, बोनस की घोषण कर न देने, 2100 रूपये प्रति क्विंटल खरीदने की घोषणा के बावजूद न खरीदने, ऋण राहत न दिलाने, समय पर सरकारी बांधों से पानी न दिलाने, प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान खरीदने की घोषणा के बाद भी कहीं 10 और कहीं 7 क्विंटल धान खरीदने, सूखा पड़ने पर पर्याप्त मुआवजे की व्यवस्था न करने की आदी रहीं है। जिसका परिणाम राज्य में निरंतर किसानों को आत्महत्या करना पड़ रहा है।
जोगी ने कहा कि सरकार किसी को शराबी और किसी को अन्य कारणों से आत्महत्या करना बताकर पल्ला झाड़ रही है। ऐसी स्थिति में सरकार को किसानों पर ऋण वसूली पर पूर्णतः रोक लगाना चाहिए। धान खरीदी केन्द्र में किसानों को धान का ढेर लगवाकर खरीदने की प्रथा खत्म करनी होगी।