बिल्हा ( सुरेश केडिया ) । बिलासपुर और मुंगेली जिले के राइस मिलरों को धान संग्रहण केन्द्रों पर अधिक हमाली दरों का भुगतान करना पड़ रहा है । हमाल ठेकेदारों ने निविदा के तहत ढाई रुपए प्रति कट्टी के हिसाब से हमाली दर खुद स्वीकार की है । लेकिन राइस मिलर्स साढ़े चार रुपए कट्टी की दर से हमाली का भुगतान कर रहे हैं। प्रदेश में पिछले चार साल से संरक्षण के कारण बिचौलियों की मनमानी चलती रही। लेकिन प्रदेश में सरकार बदलने के बाद अब बिचौलियों पर लगाम लगाने राइस मिलर्स ने प्रशासन से गुहार लगाई है। उल्लेखनीय है कि पूरे प्रदेश में कहीं भी शासन के धान उपार्ज़न केन्द्रों में ढ़ाई रुपए से अधिक हमाली दर नहीं है और राइस मिलों में भी ढ़ाई रुपए की दर पर ही हमाली का काम होता है। लेकिन श्रमिकों के नाम पर बिचौलियों की मनमानी से संग्रहण केन्द्रों मेँ मिलर्स को अधिक हमाली दर का भुगतान करना पड़ रहा है। ज़िससे मिलर्स उस गति से काम नहीं कर पा रहे हैं, जैसा होना चाहिए। इस स्थिति में शासन को ख़मियाज़ा भुगतना पड़ सकता है और हज़ारों क्विंटल धान संग्रहण केन्द्रों में ही सड़ सकता है। शासन को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए श्रमिकों के नाम पर चलाए ज़ा रहे आतंक पर रोक लगाने प्रशासन सख़्त रवैया अख़्तियार करना पड़ेगा।
शासन के धान संग्रहण केन्द्रों से धान उठाते समय हमालों को राइस मिलर की ओर से प्रति कट्टी के हिसाब से भुगतान किया जाता है । शासन ने धान संग्रहण केन्द्रों पर हमाली कार्य ठेके पर दिया है और हमाल ठेकेदारों ने स्वयं हमाली दर ढ़ाई रुपए प्रति कट्टी स्वीकार किया है । छत्तीसगढ़ में करीब सभी जिलों में यह लागू है । लेकिन बिलासपुर के चार और मुंगेली जिले के तीन धान संग्रहण केंद्रों में मनमाने तरीके से साढ़े चार रुपए प्रति कट्टी हमाली की वसूली की जा रही है ।इसे लेकर राइस मिलरों ने शासन के सामने गुहार लगाई है। जिसमें कहा गया था कि छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ ने हमारी निविदा दरें निर्धारित की है । जिसके तहत 50 किलो तक के बोरों के लिए ट्रकों में लोडिंग की दरें ढ़ाई रुपए प्रति बोरी की दर स्वीकृत की गई है । करीब के जिले जांजगीर के संग्रहण केंद्रों में इस दर से भी कम दर पर कार्य प्रारंभ हो चुका है । लेकिन बिलासपुर और मुंगेली जिले के संग्रहण केंद्रों में साढ़े चार रुपए प्रति बोरी हमाली दर की वसूली की जा रही है। । संगठन ने यह भी जानकारी दी कि जांजगीर जिले में प्रति क्विंटल धान उठाव का खर्च पाँच से सात रुपए है । वही हमारे जिले में 14 से 18 रुपए प्रति क्विंटल खर्च आ रहा है ।
संगठन ने निविदा के माध्यम से प्राप्त दरों के अनुसार धान प्रदाय करने का निर्देश देने का अनुरोध जिला कलेक्टर से किया था । राइस मिलर्स की इस पहल के बाद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बिलासपुर कलेक्टर ने ज़रूर राइस मिलर्स से चर्चा की और वस्तुस्थिति समझने के बाद एसडीएम को बुलाकर निर्देशित किया था कि मिलर्स से धान उठाव के लिए निर्धारित निविदा दर से अधिक हमाली ना ली जाए । जिले में साढ़े तीन रुपए की दर पर हमाली तय की गई थी ।हालांकि यह दर भी छत्तीसगढ़ के अन्य ज़िलों में प्रचलित हमाली दर से अधिक हैं। फिर भी मिलर्स नें कलेक्टर के आदेश का पालन होने की उम्मीद में इसे स्वीकार कर लिया । जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद मोपका धान संग्रहण केंद्र में साढ़े तीन रुपए की दर से हमाली लेते हुए काम शुरू कर दिया गया। लेकिन बिलासपुर और मुंगेली जिले के सभी संग्रहण केंद्रों में अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है । जिससे मिलर्स के सामने भ्रम का माहौल है ।जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद भी निचले स्तर के अधिकारी सुन नहीं रहे हैं। जिससे बिचौलियों का आतंक बरकरार है।
राइस मिलर्स का कहना है कि हमाली दर को लेकर एकरूपता होनी चाहिए । श्रमिकों को उनकी मेहनत का पूरा भुगतान किया जा रहा है और उन्हें मेहनत का लाभ मिलना चाहिए । लेकिन बिचौलियों की वजह से श्रमिकों के नाम पर नाजायज वसूली नहीं होनी चाहिए । शासन -प्रशासन सभी के सामने पूरी तस्वीर है । लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि निविदा दरों पर हमाली का लाभ मजदूरों को पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है और ठेकेदार इस नाम पर बिचौलिए खुलेआम अपनी मनमानी कर रहे हैं ।वास्तिवकता यह है कि हमालों की ज़गह बिचौलिए ही ठेकेदारी कर रहे हैं और श्रमिकों के नाम पर खुद पूरा फ़ायदा उठा रहे हैं।छत्तीसगढ़ में पिछले चार सालों में बिचौलियों की मनामनी बढ़ी है। अब इस पर रोक लगाने की गुहार राइस मिलर्स कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशसान को इस पर सख़्त कदम उठाना चाहिए। क्योंकि प्रदेश में कहीं भी हमाली दर ढ़ाई रुपए से अधिक नहीं है। शासन के धान उपार्ज़न केन्द्रों में भी ढ़ाई रुपए की दर है और राइस मिल के नियमित कार्य में भी ढ़ाई रुपए हमाली का भुगतान किया ज़ाता है। लेकिन बिचौलियों की मनमानी के चलते राइस मिलर्स संग्रहण केन्द्रों में अधिक दर देने पर मज़बूर हैं। यद़ि बिचौलियों की मनमानी इसी तरह चलती रही तो राइस मिलर उस गति से काम नहीं कर पाएंगे, जिस गति से होना चाहिए. जिससे धान की मिलिंग नहीं हो पाएगी और इसका ख़ामियाज़ा शासन को भुगतना पड़ेगा। इसकी वज़ह से संग्रहण केन्द्रों से धान का उठाव नहीँ हो पाएगा और हज़ारों क्विंटल धान सड़ जाएगा। बारिश का मौसम सामने है। इस पर शासन – प्रशासन को ध्यान देने की ज़रूरत है।