बिलासपुर- विश्व महामारी कोरोना कोविड-19 के दहशत में जहाँ सारा विश्व घरों में दुबके मौत को दूर भागाने का जतन किये बैठे है वही देश/प्रदेश के मेडिकल स्टॉफ और पुलिस के साथ प्रदेश का एक ऐसा भी वर्ग है जो सारे तामझाम समाचार और शोहरत से परे खामोशी में बिना संसाधन और बगैर अपनी व अपने जान की परवाह किये दिन रात इसी कयाद में लगे है कि देश की रीड़ कहे जाने वाले कर्मवीर श्रमिक किसी तरह अपने-अपने घर वापस आ सके और पूरे देश सहित छग प्रदेश में जो श्रमिको की अफरा तफरी मचा है.सीजीवालडॉटकॉम NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिए
वह सामान्य हो सके वह वर्ग है प्रदेश का शिक्षक संवर्ग जिसे लोग कल तक शिक्षाकर्मी जैसे उपाधि देकर उलाहनित करते नही थकते थे,और समय-समय पर सबसे आराम पसंद सरकारी वेतनभोगी कह कर उन्हें अपमानित करते भी नही शर्माते थे यह कर्मवीर का रूप है शिक्षक दीपक मिंज,महेंद्र वानी, रामसागर कश्यप दिनेश कुमार भर्ती वही शिक्षाकर्मी साथी है जो वर्षो से सँघर्ष करते कम वेतन कम संसाधन में जीते रहे है।
शिव सारथी जो कि सहायक शिक्षकों के समस्याओं को दिनरात सजक होकर सरकारी तंत्र की नजरो पर लाने का भरसक प्रयास कर रहे है बाकी सबसे पहले उनके बीमा कवर की माँग करते आ रहे हैं। उन्होंने शेयर किया एक अन्यन्त ही मार्मिक तस्वीर जिसमें छग प्रदेश के बिलासपुर जिला अंतर्गत मस्तूरी ब्लाक के सहायक शिक्षकों का जो कि 22 मई को सुबह से श्रमिक स्पेशल ट्रेन का इंतजार करते जो दोपहर से शाम और शाम से रात हो गया पर भारतीय रेल अपने चाल चलन को कायम रखते 23 मई को सुबह 6:00 बजे बिलासपुर रेल्वे स्टेशन पहुँचा.
ऐसे में शिक्षकों के पास अपने गले के गमछे जिसे वे अमूमन अपने लिए मास्क का भी इस्तेमाल करते है और चिचिलती धूप से छाँव का आसरा ढूंढने में भी जिसे वे रेल्वे का फुटपाथ में बिछाकर सो जाने का ताकि रात गुजरने के बाद प्रदेश का श्रमवीर जब वापस आये तो ये न सोचें कि उनकी घर वापसी प्रशासन के लिए बोझ है बल्कि उसे यह देख कर दिली खुशी हो कि इस राज्य के नौनिहालों का भाग्यविधाता कहे जाने वाले गुरुजन अपनी सुख सुविधा और आराम पसन्द ऐसो आराम से दूर मात्र उनकी सेवा के लिए तत्पर खड़े है।
पर इसका कतई भी यह मतलब नही की चेक पोस्ट से लेकर कोरेन्टाइन और रेल्वे स्टेशन में आधे-अधूरे संशाधनों के साथ भूखे प्यासे जमीन के ठोस नग्गे धरातल के बिछौने पर रात गुजारने वाले इन कोरोना कर्मवीर शिक्षको को संसाधन और जान माल की गारंटी न मिले इसलिए मैं माँग करता हूँ कि अगर वाकई में हमारे राज्य में संवेदनशील राजनीतिक पार्टी ने अपना जनकल्याण सत्ता संचालित कर रहा है तो इन शिक्षको को बीमा सहित ओ तमाम सुविधा मुहैया कराए जो इस महामारी के गाइडलाइन में सन्निहित है।