शिक्षकों से अब नहीं कराया जाएगा गैर शिक्षकीय कार्य….? शिक्षा विभाग अफसर का लेख शिक्षकों के बीच सोशल मीडिया में हो रहा वायरल

Chief Editor
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(मनीष जायसवाल)स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव का एक अखबार में प्रकाशित हुआ एक  पुराना  लेख  इन दिनों सोशल मीडिया में  बहुत वायरल हो रहा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में कहा गया है कि शिक्षको से निर्वाचन और जनगणना को छोड़ किसी भी तरह का कोई भी गैर शिक्षकिय कार्य नही करवाया जा सकता है।फिर भी यह काम करवाया जा रहा है। वे इस विषय पर शिक्षको से बहुत सहानुभूति रखते है। इसके अलावा उन्होंने ने और भी कुछ अच्छी बातें कही है। वह लेख अब शिक्षको के बीच जमकर वायरल हो रहा है।…. इस वायरल हुए लेख से शिक्षको ने अपने काम की महत्वपूर्ण तथ्य को अंडर लाइन कर लिया है। कि….. गैर शिक्षकिय कार्यों में शिक्षको को शामिल करने को लेकर शिक्षको की ओर नई जंग का ऐलान कर दिया गया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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कोविड 19 के कोरोना काल में राष्ट्रीय आपदा के वक़्त  स्कूल शिक्षा विभाग का मैदानी अमला और शिक्षक सबसे उपयोगी कोरोना योद्धा के रूप में उभर कर सामने आया है। इस शिक्षण सत्र में  सबसे अधिक गैर शिक्षकिय कार्य शिक्षको ने किये है। शिक्षको ने कई ऐसे कार्य किये जो उन्होंने कभी कल्पना नही की थी।एक चर्चा में जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा बताते है कि प्रदेश का पूरा शिक्षक परिवार और उनके परिजन स्कूल शिक्षा विभाग  से और स्थानीय प्रशासन की कार्य शैली से नाराज है। शिक्षको से  हर वह कार्य करवाया जा रहा है… जिसे शिक्षक ने कभी किया ही नही है।  चूंकि यह वक़्त राष्ट्रीय आपदा का है। प्रशासन को कानूनी अधिकार है।

कर्मचारी से कोई भी कार्य लिया जा सकता है। इस वजह से  शिक्षको ने भी मन लगा कर कार्य  किये है, परंतु कोरोना से बचने के लिए सुझाये गए साधनो का अभाव शिक्षको ने हर कदम पर सहा है। प्रदेश के अधिकारियों ने महिला शिक्षको पर भी रहम नही किया है। प्रदेश का शिक्षक कोरोना काल में शासन के रवैये की वजह से अब तक के सबसे सबसे बुरे दौर में सफर कर रहा है।

मनीष मिश्रा बताते है कि कोरोना काल में शिक्षकों ने गांव गांव घर घर जाकर अपने छात्रो को मध्यान भोजन का सूखा अनाज बांटा, हफ्ते में दो दिन सोया मिल्क पिलाए,  पेट्रोल की पंप डियूटी, जिले की सीमा के नाको पर तैनाती, कोविड 19 के जिला केंद्रों में कम्प्यूटर ऑपरेटर बने , गांव और शहर की गली मोहल्ले में कोविड 19 के संदिग्ध मरीजों की खोज के सर्वे का कार्य , क्वारन्टीन सेन्टरों में चौकीदार बने  सरपंच औऱ सचिव ने तो कवरन्टीन सेंटर से पत्तल उठावाने में निगरानी के कार्य आदेश तक निकल दिया है। शिक्षक  रेलवे स्टेशन में चौकीदारी कर रहा है। मजबूरी में  स्टेशन के बाहर जमीन पर सो रहा है। …इतना सब होने के बाद भी प्रदेश के शिक्षा सचिव का शिक्षको को कोविड 19 के कार्यों से दूर रखने पर एक भी बार उनका सार्वजनिक बयान या कोई मानवीय दिशा निर्देश सामने नही आना  शिक्षको को  यह समझने पर मजबूर करता है कि उनका शुभचिंतक कौन है और कौन नही है…! 

मनीष मिश्रा ने बताया कि शिक्षको के हितों की बाते करना और उन का हवाहवाई समर्थन करना सबसे सरल कार्य है इससे  शिक्षको की सहानुभूति मिल सकती है। ….समर्थन नही मिल सकता है। …… सर्व विदित हो कि ”शिक्षक समाज को अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर लेकर जाता है। ” इस कथन के अनेक मायने निकल सकते है।  शासन और प्रशासन इसके क्या मनायें निकलने वह समझे।शिक्षक को कोरोना से डर नही लगता है कलम के बिना डर लगता है। शिक्षको मजदूरों के बीच कार्य नही कर सकता वह छात्रो के बीच बेहतर कार्य कर सकता है। राष्ट्रीय आपदा काल मे वर्तमान में प्रशासन  कर्मचारियों से कार्य करने की क्षमता की प्रकृति के विरुद्ध कार्य करवा रहा है। 

मनीष मिश्रा में बताया कि कोरोना काल मे राष्ट्रीय आपदा में  शिक्षको ने अपने स्तर पर हर महत्वपूर्ण कार्य किये है। यह शिक्षको के कार्य का कर्म था जिसे शिक्षको ने बखूबी निभाया है। शिक्षक गावँ की हर उस चौखट चौखट  पर गए जहाँ मध्यान भोजन का सूखा अनाज देना था। शिक्षण सत्र समाप्त होने के बाद भी आन लाइन जुड़े हुए है। घर बैठे उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य कर रहे है। 

मनीष मिश्रा का कहना है कि अब हम उसी अखबार के लेख को आधार मान कर कोरोना काल के बाद  चुनाव व राष्ट्रीय जनगणना के कार्यो के अलावा अन्य कोई गैर शिक्षकिय कार्य का विरोध करेंगे। पूरे प्रदेश के शिक्षको को इस मुहिम में जोड़ेंगे । जल्द ही तीन सदस्यीय दल प्रदेश के  मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव से मिल कर शिक्षको को गैर शिक्षकिय कार्य मे संलग्न नही किये का ज्ञापन देगा। 

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव मिश्रा, प्रदेश सचिव सुखनंदन यादव, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय गुप्ता ,अनुशासित प्रभारी सीडी भट्ट व अश्वनी कुर्रे,  कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बलराम यादव, सिराज बॉक्स, महासचिव कौशल अवस्थी ,दिलीप पटेल,श्रीमती प्रेमलता शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता  उमा पांडे, हुलेश चंद्राकर बसंत कौशिक, विकास मानिकपुरी, प्रदेश संगठन प्रभारी चंद्र प्रकाश तिवारी, प्रदेश महामंत्री छोटे लाल साहू ,गौरव साहू, राजकुमार यादव, जलज थवाईत की ओर से मनीष मिश्रा का कहना है कि वैश्विक महामारी के दौर में मानव समाज मे शिक्षक रियल कोरोना वारियर उभर का सामने आया है। पर उसका कोई मोल नही है। न ही बीमा है न ही सुरक्षा के साधन है। खुद के  भरोसे कोरोना महामारी से लड़ने निकल पड़ा है।ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों को शासन 50 लाख रुपये का बीमा कवर तथा अन्य सुविधाएं प्रदान करने की अपील की है। 

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