कोरोना महामारी का साया और टूटता विश्वास…

Shri Mi
8 Min Read

लोकतंत्र ,जनता का, जनता के लिए ,जनता द्वारा शासन ।आज स्वतंत्रता के 70 वर्षों पश्चात भी हम शायद लोकतंत्र के वास्तविक स्वरूप को प्राप्त नही कर सके ।राजनीति दलों के निहित संकीर्ण स्वार्थ ने लोकतंत्र को किअनेको अवसरों पर शर्मिंदा किया । आज जब सम्पूर्ण मानव सभ्यता के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है तो भी राजनीतिज्ञ ओर राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थों के लिए सम्पूर्ण भारत को कोरोना महामारी की विभीषिका में धकेलने में कोई कसर नही छोड़ रहे ।छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री माटी पुत्र भूपेश बघेल ने सीमित साधनों ओर दृढ़ इच्छाशक्ति से कठोर निर्णय ले कर कोरोना महामारी से राज्य को मुक्त रखा था , व राज्य में पर्याप्त स्वास्थ ओर रोजगार की व्यवस्था हेतु अथक प्रयास किया , राज्य के आधार श्रीमिको के आगमन को सुव्यवस्थित किया । किन्तु उनके सहयोगी मंत्रियों ने उनके विश्वास को धाता बताते हुए कोई तैयारी नही की ओर न ही उनके निर्देशो को आत्मसात किया । सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे

Join Our WhatsApp Group Join Now

श्रीमिको कि वापसी के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खुलती नजर आ रही । स्वयं स्वास्थ्य मंत्री जी बयानों के खंडन की राजनीति में उलझते नजर आ रहे ।किसी ने ये कल्पना भी नही की होगी कि प्रदेश के न्यायधानी जहाँ प्रदेश के गठन के पश्चात मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो गई थी ,जिस जिले के विधायक तत्कालीन मध्यप्रदेश के स्वस्थ मंत्री रहे थे ,जहाँ के विधायक लगातार कई वर्षों तक प्रदेश के स्वास्थ मंत्री रहे वो शहर उच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के बाद भी कोरोना टेस्टिंग के एक लैब के लिए तरस जायगा , इससे ही प्रदेश की स्वस्थ सुविधाओं की उपलब्धता का मूल्यांकन किया जा सकता है ।

इस महामारी काल मे जब स्वास्थ्य मंत्री जी से ये आशा की जा रही थी कि वो अपने स्वभाव के अनकूल स्पष्ट करंगे की किस प्रकार प्रदेश के नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जायँगी ओर किस तरह नागरिक को कोई जन हानि नही होगी ,उस मूल्यांकन की घड़ी में स्वास्थ्य मंत्री खंडन मंडन में उलझ के रह गए है , ऐसा प्रतीत हो रहा कि जिस विश्वास के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रमिको की वापसी की चुनौती को स्वीकार किया था उनके विश्वास पात्र मंत्री उनके विश्वास पर खरे ही नही उतर रहे बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश को कोरोना महामारी के चक्रव्यूह में फसा कर रख दिये है ।

कोरोना महामारी प्रदेश में पूर्ण शबाब में है एक्टिव मरीजो की संख्या 250 के पार पहुच चुकी है ,ये आंकड़ा अभी कहा तक जायेगा इसका अंदाजा लगा कर ही सिहरन होने लगती है , एक लाख से अधिक श्रीमिको की वापसी हो चुकी है लगभग इतने ही श्रीमिको कि ओर वापसी जल्द होगी मतलब कोरोना मरीजों का आंकड़ा दुगना हो सकता है , जानकारी के अनुसार स्वास्थ विभाग के केवल 5 स्थानों में कोरोना के इलाज की सुविधा है , 4 से 5 स्थानों पर कोरोना सेपल जांच की सुविधा है , फ्रंट लाइन के डॉक्टर और नर्स कोरोना पीड़ित हो रहे ,जानकारी प्राप्त हुई है कि सिम्स बिलासपुर की महिला चिकित्सक ओर रायपुर में नर्स कोरोना पोस्टिव पाई गई है , इनके संक्रमित होने के कारण लगभग 50 स्वास्थ स्टाफ को भी इसोलेट किया गया है इनकी वैकल्पिक व्यवस्था क्या है ,आज जब डॉक्टर ,नर्स , प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी कोरोना की चपेट में आ रहे तो स्वाभाविक मानवीय स्वभाव से उनके मन मे भी असुरक्षित होने का डर आ रहा शायद स्वास्थ्य विभाग के मुखिया ने इस बारे में सोचा ही नही ओर न कोईकार्य योजना बनाई और न कोई व्यवस्था की ,आज इसिलए उनको खंडन मंडन की राजनीति का सहारा लेना पड़ रहा.

गावो में लगभग एक लाख से अधिक श्रमिक विभिन्न साधनों से पहुच चुके है । गावो में उनके 14 दिन इसोलेशन की व्यवस्था की गई है । श्रीमको का जिस मुस्तैदी से स्टेशन में स्वागत किया गया , उतरते साथ ही भोजन के पैकेट ,पानी उपलब्ध कराया गया ,सभी को सेनेटाइजर ओर मास्क दिए गए, स्वास्थ स्क्रीनिंग की गई, डेटा तैयार किया गया और शासकीय व्यवस्था के साधनों से उन्हें गांव तक पहुचाया गया ,श्रीमको को विश्वास हो गया था कि वो अब पूर्ण सुरक्षित है और उनको अब कष्ट नही होंगे पर उनका विश्वास ज्यादा देर नही टिक सका ,गांव के इसोलेशन सेंटर की घोर अवव्यस्था उनका इंतजार कर रही थी , पंचायत विभाग ने उनके लिए कोई विशेष योजना नही बनाई सिर्फ खाना पूर्ति के लिए इसोलेशन सेंटर बना दिये ।

स्कूल या ग्राम पंचायत भवन की छमता से चार गुना अधिक लोगो को रुकवाया गया,शौचालय की कोई अतिरिक्त व्यवस्था ही नही की गई, खाना शायद खाने के लिए नही अपितु अन्य काम के लिए दिया गया श्रीमको को ये अहसास हो गया, ये बातअलग है कि अपवाद स्वरूप कई स्थानों पर विशेष व्यस्था की गई पर उसका श्रेय वहाँ के स्थानीय अधिकारियों कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को जाता है ।ऐसा प्रतीत होता है कि पंचायत ग्रामीण विभाग ने कभी इस परिस्थिति के बारे में सोचा ही नही ओर न ही कोई विशेष कार्य योजना बना कर कार्य किया , इसी का परिणाम है कि प्रवासी श्रीमिको को अपना गांव अपना घर भी अब कष्ट दायक ओर बेगाना लग रहा ।

सैकड़ो नही हजारो नही लाखो की संख्या में जब भीड़ आती है तो अव्यवस्था होना स्वाभाविक है पर जिस प्रदेश के मुखिया प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरोना महामारी की विभीषिका से प्रदेश को उस समय बचा लिया जब पूरा देश ही नही पूरा विश्व इससे हार गया था , उस प्रदेश में इस अव्यवस्था की किसी ने कल्पना भी नही की थी । सभी को विश्वास था कि मुख्यमंत्री के बाद अब उनके साथी मंत्री भी अपनी मूल्यांकन की घड़ी में खरे उतरेंगे पर परिणाम कुछ और तथ्य सिद्ध कर रहा। आज भी छत्तीसगढ़ की जनता को अपने मुख्यमंत्री पर विश्वास है कि वो इस संकट की घड़ी में भी सामने आ कर समस्त कष्टो से निजात दिलाएंगे , ओर फिर प्रदेश के नागरिकों पूरे उत्साह के साथ गा सकेंगे

” अरपा पैरी के धार … ..”

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close