बिलासपुर(मनीष जायसवाल)-राज्य शासन द्बारा कर्मचारियों का एक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश का विरोध शुरू हो गया है। शासन के इस कदम से राज्य कर्मचारी नाराज है। कोरोना काल मे यही योद्धा बनकर सामने आए है। हर विषम परिस्थितियों में संसाधनों के अभाव के बावजूद भी हर मोर्चे पर खड़े है। कर्मचारियों को लग रहा है कि उनके द्वारा अच्छे कार्य करने पर दंड के समान शासन का निर्णय आया है। यह आदेश कर्मचारी विरोधी एवं उनके हितों के विरुद्ध है। एक दिन के वेतन विवाद के बाद आये इस वेतन वृद्धि रोकने के आदेश से कर्मचारियों और सरकार के बीच अब तक के प्रगाढ़ सम्बंध में तल्खी आ गई है । मामला गरमा गया है।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये
छत्तीसगढ़ व्यख्याता संघ प्रदेशाध्यक्ष कमलेश्वर सिंह ने इस विषय पर एक चर्चा के दौरान बताया कि यदि राज्य सरकार की 1 जुलाई 2020 में देने वाली वेतन वॄद्धि को रोकती है तो … 1-2 लेवल कर्मचारियों को 1000-1200 रु.प्रतिमाह, 3-4-5-6-7 लेवल के कर्मचारियों को 2000-2200रु.लेवल 8-9-10-11 को 3000-3500 रु.12-13-14 तक को 4000-5500 रु.तथा इससे अधिक लेवल के कर्मचारियों को 5500-6000रु.प्रतिमाह नुकसान होगा ।कर्मचारियों का लाभ तो कुछ होगा नही सिर्फ नुकसान ही होगा …!
कमलेश्वर सिंह ने बताया कि राज्य सरकार एक ओर सरकारी कर्मचारियों से तन मन धन से राष्ट्रीय आपदाओं ,आम चुनाव ,जनगणना ,एवम अन्य राष्ट्रीय कार्यो में सहयोग की अपेक्षा रखती है तो वही दूसरी ओर वही सरकार कर्मचारियों को हतो उत्साहित करते हुए उनके हितों के विरुद्ध निर्णय लेती है जो कि उचित नही है इससे लोक कल्याणकारी सरकार होने का दम भरने वाली सरकार की वास्तविकता उजागर होती है।
कमलेश्वर सिंह बताते है कि जब राज्य के समस्त कर्मचारी गण कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की रोकथाम हेतु सरकारी प्रयास में तन मन धन से गली मोहल्ले से लेकर कवरेंटिंन सेंटर ,रेलवे स्टेशन में मजदूरो का स्वागत सत्कार चिकित्सालयों में जी जान से सरकारी डॉक्टर नर्स अपने छोटे छोटे बाल बच्चो की छोड़कर काम कर रही है तथा कर्मचारी अपनी स्वेच्छा से एक दिवस का वेतन दे रही है ऐसी स्थिति में आर्थिक संकट का बहाना कर कर्मचारियों के वेतन वृद्धि का आदेश तुगलकी फरमान है तथा एक अच्छी सरकार की लोकप्रियता में कमी लाती है।
कमलेश्वर सिंग ने बताया कि छत्तीसगढ़ व्यख्याता(एल बी) संघ राज्य सरकार की वेतन वृद्धि रोकने के आदेश का विरोध करती है तथा मुख्यमंत्री से अपील करती है कि अपनी कर्मचारी हितैषी छवि को बनाये रखने हेतु इस तुग़लकी आदेश वापस लेवे ताकि कर्मचारी गण राष्ट्रीय आपदा जैसे चुनोती पूर्ण कार्य को तन मन धन से उत्साहपूर्ण करें और आपका साथ कदम से कदम मिलाकर काम कर सके।