शिक्षा कर्मियों के साथ भी जुड़ी है अजीत जोगी की यादें….अर्पित की श्रद्धांजली

Shri Mi
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बिलासपुर।छत्तीसगढ़ 2000 में जब अस्तित्व में आया तब प्रथम मुख्यमंत्री बने अजीत जोगी जी, हम सभी शिक्षा कर्मी के रूप में सेवारत थे, हम सब साथियो के साथ नियमित रूप से मुख्यमंत्री जोगी से मिलते थे।तब मूल वेतनमान 800, 1000 व 1200 हुआ करता था, हमे एक माह में एक अवकाश की पात्रता थी, प्रदेश के सभी शिक्षा कर्मियो ने मुझे छत्तीसगढ़ शिक्षा कर्मी संघ 63/01 का प्रदेश अध्यक्ष तत्कालीन हाईकोर्ट भवन में चुनाव कर बनाया था।हम सभी साथी पदाधिकारी व शोभा सिंह राजपूत, संजय तिवारी, पूर्णानन्द मिश्रा, श्रवण सिन्हा सहित मिलकर निरन्तर शिक्षा कर्मी हित मे संघर्षरत रहते थे।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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एक बड़ा आंदोलन समान काम-समान वेतन, समान पद-समान विभाग की मांग को लेकर विधानसभा रैली 2001 में राजधानी रायपुर में आयोजित हुआ था, जहां 15 हजार की संख्या में शिक्षाकर्मियो ने ऐतिहासिक रैली निकाली थी, जब रैली जयस्तम्भ चौक पहुँची, तभी रुट बदलने के कारण सभी साथी जयस्तम्भ के चारो ओर बैठ गए, और दोपहर 1 बजे से रायपुर का हृदय स्थल जाम के कारण बन्द हो गया, तब छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर यह प्रथम बड़ी रैली रायपुर में थी, और शासन, प्रशासन को कुछ सूझ नही रहा था, और ऐसा होगा प्रशासन की सोच नही थी।तब मंत्रालय व सचिवालय डी के एस भवन था जो निकट ही था, प्रशासन में अफरा, तफरी मच गया था, पर वहाँ से कोई पुलिस उठा नही पाया, क्योकि उन्हें कड़ाई का निर्देश प्राप्त नही था, इसी दौरान रात करीब 10 बजे बृजमोहन अग्रवाल, धरम कौशिक, शिव रतन शर्मा, सुनील सोनी ने रिक्शा में लगे हमारे माइक से संबोधित कर समर्थन दिया था।

रात्रि तक साथी भूखे प्यासे डटे रहे, और देर रात्रि में धीरे धीरे भीड़ कम हुई, हमारी संख्या पदाधिकारियो तक ही सीमित थी, और अंततः 2 से 3 बजे के बीच हम सबको गिरफ्तार कर लिया गया, रायपुर प्रशासन की इस प्रदर्शन से कड़ी आलोचना हुई, उनकी lib को निकम्मा कहा गया, इस प्रदर्शन के बाद से ही जयस्तम्भ चौक पर प्रदर्शन, धरना व रैली को कर्मचारियो के लिए स्थायी तौर पर प्रतिबंधित कर दिया गया तथा हमारे 34 साथियो का वेतन उनके पूरे कार्यकाल तक रुक गया था। तब के कठोर मुख्यमंत्री कहे जाने वाले जोगी जी ने लाठीचार्ज की कार्यवाही नही की, और कुशल प्रशासक जोगी जी ने शिक्षा कर्मी के रूप में अपने शासनकाल में हम पर लाठी चार्ज नही कराया था।

लगातार उक्त मांग को लेकर प्रदर्शन हड़ताल होता रहा, शिक्षामंत्री श्री सत्यनारायण शर्मा जी और शिक्षामंत्री ताम्रध्वज साहू जी से लगातार शिक्षको के समान नया वेतनमान व सेवा शर्त, सुविधा के लिए संवाद, चर्चा एवं बैठक होता रहा, जब देर हुआ तो 2002-03 में मोतीबाग के सामने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हुआ, जिसमे हम पदाधिकारियो ने अनशन किया, और जबरदस्ती मेकाहारा हॉस्पिटल में ड्रीप चढ़ाया गया, इसी समय सुनील जार्ज ने 7 दिन तक अनशन किया, जिसमे शासन के माथे पर बल आ गया था।

पर इसके बाद एक कमेटी बनी, फिर उसने प्रस्ताव दिया और पहली बार 2003 मे शिक्षा कर्मियो के लिए एक नया वेतनमान आया, तब इसके ठीक बाद 2003 में विधानसभा चुनाव था।नए वेतनमान के पूर्व इसी समय माननीय टी एस सिंहदेव के साथ अजीत जोगी जी से भी मिलने उनके निवास अम्बिकापुर गए थे, तब कैबनेट की बैठक अम्बिकपपुर में थी, और पुनः उनके साथ ही जोगी जी के निवास रायपुर में में भी मिलने गए थे।

तभी सरकार में माननीय भूपेश बघेल जी भी मंत्री थे, हम उनसे भी मिलते रहे, उन्होंने लगातार हमारी बातें सुनी, और समयांतर में एक नया वेतनमान आया, जो सुखद तो नही पर संघर्ष से उम्मीद बढ़ाने वाला साबित हुआ, हालांकि इस हड़ताल का जनता पर भी अच्छा प्रभाव था, और व्यापक समर्थन भी मिला, शिक्षा कर्मी तत्कालीन सरकार से काफी नाराज थे, और तेज प्रशासक जोगी जी नाराजगी को भांप नही पाए अंततः सत्ता चली गई। जोगी जी को विनम्र श्रद्धांजलि सहित

संजय शर्मा
प्रदेश अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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