बिलासपुर—मै उस स्थान से चला..जहां बहुत अशांति थी। मुझे शांति की तलाश थी। उस दौर में बिहार छोड़ा..जब अच्छे लोगों का वहां रहना मुश्किल हो गया था। आध्यात्म से मेरा गहरा लगाव है। जितनी जानकारी थी उस आधार पर बिहार से निकला और बिलासपुर आ गया। यहां असीम शांति मिली। फिर यहीं का होकर रह गया। लेकिन अब बिलासपुर को कुछ बदला हुआ देखता हूं। कुछ ऐसी गरिष्ठ सोच और समझ वाले भी आ गये हैं। जो यहां की सौम्यता और सहजता को कमजोरी समझते हैं। देखकर दुख होता है। मैं जानता हूं कि बिलासपुर सभी समस्याओं को मिलजुलकर ठीक कर लेगा। सहभागिता इसकी पहचान है। इस पहचान को कायम रखने की जिम्मेदारी सिर्फ नेतृत्व को ही नहीं बल्कि उन सभी का है जो बिलासपुर से प्यार करते हैं। यह बातें एस.पी. सिंह ने सीजी वाल से एक मुलाकात के दौरान कही।
सीजी वाल से एसपी सिंह ने बताया कि मेरे जीवन में आध्यात्म का स्थान सर्वोपरि है। मुजफ्फरपुर से शांति की तलाश में बिलासपुर पहुंचा। समझ में आया कि यहां रहने वाला हर व्यक्ति अपने आप में विशेष है। अमन शांति यहां की तासीर है। बहुआयामी संस्कृति के बाद भी लोग एक दूसरे का सम्मान करते हैं। माता महामाया का यहां रहने वालों पर आशीर्वाद हासिल है। तनाव में भी लोग मर्यादाओं का सम्मान करते हैं। मुझे भी सम्मान मिला। फिर चाहकर भी अपने आपको इस पवित्र भूमि से अलग नहीं कर पाया। मुझे अपने बिलासपुर पर नाज है।
एसपी सिंह ने बताया कि 1989 और अब के बिलासपुर में जमीन आसमान का फर्क आ गया है। कुछ बदलाव मन पीड़ा पहुंचाने वाली हैं। कुछ परिवर्तनों को देखने के बाद सोचता हूं कि मेरा वह सौम्य और सादगी वाला बिलासपुर कहां खो गया। जिसने मुझे यहां का वाशिंदा बनाया।
एसपी सिंह ने सीजी वाल को बताया कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। इससे कभी इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन कुछ परिवर्तन ने बिलासपुर की सहजता और सरलता पर विपरीत प्रभाव डाला है। नब्बे दशक में लोग बड़ी राशि भी खुले हाथ में लेकर बिना भय बैंक से घर लेकर जाते थे। बाहरी राज्यों के मित्रों को बताता था विश्वास नहीं करते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है।
साल 2000 के पहले राज्य बड़ा था। कुछ मायनों में राजनीति की परिभाषा भी अलग थी। छत्तीसगढ़ बनने के बाद घर-घर नेता पैदा हो गए। कुछ बिहार जैसे हालात बन गये। आवश्यकताएं बढ़ गयीं। जाहिर सी बात है कि असंतोष बढ़ गया। रातों रात धनवान बनने का सपना देखने लगे। शार्टकट की प्रवृति ने अपराध को बढ़ावा दिया। इसमें जितना प्रशासन दोषी है उससे कहीं ज्यादा हमारा समाज भी जिम्मेदार है।
एसपी सिंह के अनुसार छत्तीसगढ़ अकूत संपदा की धरती है। राज्य बनने के बाद कम मेहनत में ज्यादा संपत्ति मिलने लगी। बाहर से आए लोगों ने प्राकृतिक संपत्ति पर कब्जा कर लिया। अनाप-शनाप पैसे लोगों को मिलने लगे। आवश्यकताएं बढ गयीं। संतोष धन पीछे छूट गया। मनी पॉवर ने मसल्स पॉवर को जन्म दिया। भोले भाले लोग गलत रास्ते पर चल पड़े। सौहार्द के बंधन का चरमराना निश्चित था। इसके लिए हमारे नेता ही नहीं बल्कि हम भी जिम्मेदार हैं कि समय पर इस बात पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया।
पूजा उपासना और परंपरा में विविधता हमारे देश की पहचान और ताकत है। बिलासपुर भी कुछ ऐसा ही शहर है। यहां की विशेषता को उंगली पर गिनना ना मुमकिन है। चाहे आध्यात्म का क्षेत्र हो या सामाजिक क्षेत्र,राजनीति का मैदान हो या मानव विविधता । सारे पहचान अनोखें हैं।
हमारी संस्कृति में नदियों का हमेशा से महत्व रहा है। नदियों का महत्व सभी धर्मों में है। नदियों को मां का दर्जा हासिल है। मां कष्ट में रहकर बच्चों को पालती पोषती है। उसी तरह नदियां भी हैं।
पाटलीपुत्र समिति के अध्यक्ष सिंह ने बताया कि नदियां हमारे मल मूत्र और हमारी महानगरीय अपसंस्कृति को अपने साथ बहाकर दूर कहीं दूर फेंकती है। लेकिन उसके दर्द को कोई नहीं समझता है। एसपी सिंह ने बताया कि बिलासपुर को अरपा माता का वरदान हासिल है। कहीं हमारी अरपा मां की हालत हैदराबाद की मूसी नदीं की तरह ना हो जाए इसकी चिंता हमेशा सताती है।
उन्होंने बताया कि पूजा पाठ तो कहीं हो सकता है। लेकिन छठ पर्व के बहाने माता अरपा को साफ सुथरा बनाने का हमने लक्ष्य रखा है। हम माता अरपा को कभी गंदा नहीं होने देंगे। उसने हमें अमृत जैसा जल पिलाकर पाला है। साल में अरपा के गोद से हम टनों मलवा बाहर निकालते हैं। यह अभियान पर्व के ही बहाने सही लेकिन चलता रहेगा। मुझे विश्वास है कि एक दिन बिलासपुर का एक एक नागरिक अपनी मां की चिंता को लेकर आगे आएगा और फिर अरपा कभी मलीन नहीं होगी।
एस.पी.सिंह ने बताया कि केवल हवाई जहाज उड़ने, बड़ी बड़ी इमारतें खड़ी होने और चौड़ी सड़कों के बनने से हम स्मार्ट नहीं हो सकते हैं। यह सब जरूरी है..लेकिन उससे कहीं ज्यादा जरूरी हमारी मौलिकता का रहना मायने रखता है। सबको अपने साथ सरकारी संपत्ति की सुरक्षा को लेकर जागरूक होना होगा। अपने साथ ही जन के सुख दुख का ख्याल रखना होगा। अरपा हमारी जिम्मेदारी है उसकी निर्मलता को बनाए रखना होगा। जिस दिन हर इंसान लोगों के बारे में चिंता जाहिर करने लगेगा उसी दिन हम स्मार्ट सिटी की दिशा में मजबूती के साथ बढ़ना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि समय के साथ परिवर्तन जरूरी है लेकिन अपनी मौलिकता के साथ । तभी हम स्मार्ट सिटी के स्मार्ट नागरिक कहलाएंगे।