बिलासपुर । अरपा नदी का संरक्षण ,बिना अरपा उदगम के अधूरा है । अरपा का सौंदर्यीकरण हो या संरक्षण यह प्राथमिकता भी शासन को तय करना होगा। उक्त विचार अरपा बचाओ अभियान के संयोजक डॉक्टर सोमनाथ यादव ने अरपा उदगम बचाओ संघर्ष समिति पेंड्रा और अरपा बचाओ अभियान बिलासपुर की ओर से संयुक्त रूप से चलाए जा रहे जनजागरण अभियान के दौरान एक संगोष्ठि में व्यक्त किए।
डॉ सोमनाथ ने कहा कि बिलासा कला मंच द्वारा अरपा बचाओ अभियान के माध्यम से अरपा उद्गम पेंड्रा से अरपा शिवनाथ नदी के संगम मंगला ,पासीद, बिल्हा तक बीते 17 साल से जनजागरण यात्रा करते हुए अरपा उद्गम से संगम तक मिलने वाले सभी सहायक नदी, नालों के उपचार एवं संरक्षण के लिए जन जागरूकता अभियान प्रतिवर्ष आयोजित करता है । अब यह जनआंदोलन बन गया है । अविभाजित बिलासपुर जिला का एक-एक आदमी अरपा के उद्गम पेंड्रा से लेकर संगम तक नदी का संरक्षण एवं संवर्धन करना चाहता है तथा अरपा नदी को प्रवाह मान देखना चाहता है। छत्तीसगढ़ की सरकार भी अरपा नदी के उद्गम एवं संगम तक सभी नदी, नालों के संरक्षण हेतु ईमानदार कोशिश कर रही है । तभी तो अरपा पैरी के धार गीत को राज गीत का दर्जा दिया है तथा पेंड्रा में अरपा महोत्सव आयोजित करने की घोषणा की है।
पेंड्रा के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व किसान नेता रामनिवास तिवारी ने कहा कि अरपा नदी के पेंड्रा स्थित उद्गम का संरक्षण के लिए उसी तरह योजना बनाकर शासन को काम करना होगा जिस तरह सोन नदी के उद्गम एवं नर्मदा नदी के उद्गम तबके संरक्षण के लिए उद्गम के ऊपर ही क्षेत्र में बांध बनाया गया है। सोन नदी के उद्गम के ऊपर सोन सागर बांध एवं नर्मदा नदी के उद्गम के ऊपर गायत्री सरोवर का निर्माण किया गया है। इस तरह योजना बना करके ही पेंड्रा के उद्गम का संरक्षण किया जा सकता है। श्री तिवारी ने कहा की लगभग 30 वर्ष पूर्व नर्मदा नदी के उद्गम अमरकंटक पर भी संकट उत्पन्न हो गया था। तब पंडित राजेंद्र प्रसाद शुक्ल ने नर्मदा विकास समिति बनाकर नर्मदा के उद्गम का प्राकृतिक रूप से संरक्षण करते हुए गायत्री सरोवर का निर्माण कराया था। इसी तरह पंडित मथुरा प्रसाद दुबे ने सोन नदी के उद्गम स्थल सोन कुंड पेंड्रा का संरक्षण करने के लिए सोन सागर बांध की प्रस्तावना रखी थी। तिपान नदी पेंड्रा के उद्गम का संरक्षण भी चौरासी बांध के बनने कारण हुआ। शासन को अरपा नदी के उद्गम का संरक्षण भी इसी तर्ज पर करना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता जगदंबा प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि अरपा नदी के उद्गम के संरक्षण की लड़ाई को अब जनांदोलन का रूप देना होगा । उन्होंने भूतहा तालाब के केचमेंट एरिया के विस्तार करने की बात की । श्री अग्रवाल ने कहा कि जब तक पेंड्रा का एक एक आम आदमी अरपा उद्गम के संरक्षण के लिए सामने नहीं आएगा , उद्गम का संरक्षण असंभव है। उन्होंने अरपा उद्गम पेंड्रा के दुर्दशा पर चिंता जताते हुए कहा की मां अरपा की दुर्दशा के हम दोषी हैं हम वहां शराब बिकवा रहे हैं चखना सेंटर खुलवा रहे हैं उद्गम क्षेत्र में शराब की बोतलें फेंक रहे हैं।
समाजसेवी गणेश जयसवाल ने कहा कि पेंड्रा की जल आवर्धन योजना लागू होने के साथ अरपा उद्गम पेंड्रा रिचार्ज हो जाएगा। जल आवर्धन योजना के बाद अरपा उद्गम पेंड्रा के पास खोदे गए नगर पंचायत के बोरिंग तत्काल बंद कर दिए जाएंगे। जल आवर्धन के लिए खुज्जी नदी से पाइपलाइन द्वारा जो जल आएगा । उसका वेस्टेज वाटर अरपा उद्गम को रिचार्ज करेगा। अरपा उद्गम बचाओ संघर्ष समिति पेंड्रा के संयोजक अक्षय नामदेव ने कहा की हाईकोर्ट के आदेशानुसार शासन को अरपा उद्गम पेंड्रा में पाटी गई मिट्टी तथा आसपास के अतिक्रमण को हटाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि कुछ लोग भू माफिया के इशारे पर शासन प्रशासन को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं और अरपा नदी की सहायक नदी मलनिया नदी के तट पर 2 मीटर की दूरी से निकलने वाले उपका में अरपा उद्गम का बोर्ड टांग दिए हैं । जोकि अत्यंत आपत्तिजनक है । वही अरपा नदी के वास्तविक उद्गम स्थल पेंड्रा की दुर्गति चरम पर है । उद्गम पर मिट्टी पाट दी गई है और उद्गम को अवरुद्ध कर दिया गया है । डायवर्सन कराने की कोशिश की जा रही है। नगर पंचायत में भी संपत्ति पंजी में गैरकानूनी तरीके से दर्ज कर कर रखा गया है । उन्होंने कहा कि टोपोशीट में अरपा नदी का उद्गम पेंड्रा है। गजेटीयर में भी अरपा नदी का उद्गम पेंड्रा बताया गया है । नगर पंचायत के नक्शा में भी अरपा नदी का उद्गम का उल्लेख है। पहले हमारे कक्षा तीन भूगोल वर्ष उन्नीस सौ 70 से 80 के बीच की किताब में अरपा नदी का उद्गम पेंड्रा के पठार में पेंड्रा अमरपुर के पास पढ़ाया गया है । ऐसे में अरपा उद्गम को लेकर भ्रम पैदा करने की जो स्थिति पैदा की जा रही है । वह भू माफिया के आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा है।
अरपा उद्गम बचाओ संघर्ष समिति पेंड्रा के अध्यक्ष नीरज जैन ने कहा कि संघर्ष जारी रहेगा। इस अवसर पर उपस्थित अरपा सोन पर्यावरण सुरक्षा एवं मानव विकास समिति पेंड्रा के अध्यक्ष पूरन छावरिया ने कहा कि अरपा नदी के उद्गम पेंड्रा को झूठलाने के पीछे भू माफिया का खेल है । जिसमें एक पटवारी की प्रमुख भूमिका है। वास्तविकता यह है कि अरपा उद्गम पेंड्रा गभार भूमि के रूप में शासन के रिकॉर्ड में दर्ज है । राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी करके अरपा उद्गम पेंड्रा की जमीन को बेचे जाने की साजिश रची गई है। शासन को तत्काल एक्शन में आते हुए अरपा उद्गम एवं उसके केचमेंट एरिया का अधिग्रहण करके योजना बनाकर विस्तार से काम करने की जरूरत है । तभी अरपा उद्गम पेंड्रा का संरक्षण हो पाएगा। समाजसेवी दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा कि जब लाल बहादुर शास्त्री जी का निधन हुआ था तब भूतहा तालाब अमरपुर पेंड्रा में शोक सभा आयोजित की गई थी। पूरे गांव के लोग उस शोक सभा में गए थे । अरपा नदी के उद्गम के बगल की पगडंडी से। वहां उद्गम में इतना पानी था कि 2 भैंसा फंसे हुए थे और निकल नहीं पाए। इतना पानी रहता था वहां धार चलती थी।
संगोष्ठी में विशेष रुप से उपस्थित पर्यावरणविद् मोती चंद जैन ने कहा कि पेंड्रा के सभी लोग जानते हैं कि भूतहा तालाब के अमरपुर और पेंड्रा के बीच अरपा उद्गम है । इसमें भ्रम की कोई आवश्यकता नहीं है। इस अवसर पर बिलासा कला मंच के अध्यक्ष महेश श्रीवास संयोजक डॉ सुधाकर बिबे, सलाहकार राजेंद्र मौर्य, सचिव रामेश्वर गुप्ता,उपाध्यक्ष मनीष गुप्ता, पूर्व पार्षद शारदा चरण पसारी, नीरज यादव, शिव यादव,श्रेयश यादव, भागवताचार्य पंडित राजेंद्र कृष्ण पांडे, कवि आशुतोष आनंद दुबे, सत्येंद्र पांडे, अनुपम पांडे, अंकुर गुप्ता ,जनार्दन श्रीवास ,वरिष्ठ नेता निर्माण जयसवाल, लालचंद वैश्य इत्यादि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन अक्षय नामदेव संयोजक अरपा उद्गम बचाओ संघर्ष समिति पेंड्रा ने किया तथा आभार प्रदर्शन रामनिवास तिवारी ने किया। बिलासा कला मंच बिलासपुर द्वारा आयोजित अरपा बचाओ यात्रा के पेंड्रा पहुंचने परअरपा उद्गम बचाओ संघर्ष समिति पेंड्रा के सदस्यों ने श्री दुर्गा मंदिर विद्यानगर पेंड्रा के सामने प्रतीकात्मक स्वागत किया।