वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से जुड़े मंत्रालय,हल होंगी समस्याएँ

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mantralaya 1रायपुर। लोक शिकायतों की तत्काल सुनवाई और यथासंभव उनके त्वरित निराकरण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की वीडियो कॉन्फ्रेसिंग प्रणाली फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह काफी उपयोगी साबित हो रही है। चालू वर्ष 2015 में इस प्रणाली के जरिए राज्य सरकार के अधिकारियों ने अब तक डेढ़ हजार से ज्यादा मामलों का निराकरण कर लिया है। देश में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए जनसमस्याओं का निराकरण करने वाला पहला और इकलौता राज्य है। इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ के आम नागरिकों को शासन और प्रशासन तक सीधे अपनी आवाज पहुंचाने का अवसर मिल रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेशवासियों को उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए शासन स्तर पर कई विकल्प दिए हैं, जिनमें मुख्यमंत्री का जनदर्शन, कलेक्टर जनदर्शन और हर जिले में जन समस्या निवारण शिविरों का आयोजन शामिल है। इसी कड़ी में उन्होंने जनता को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग का भी एक सुविधाजनक विकल्प दिया है।

             
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                                  जनशिकायत निवारण विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि इस प्रणाली के तहत राज्य के सभी 27 जिलों को यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से जोड़कर प्रत्येक कलेक्टोरेट और मंत्रालय के बीच आवेदकों और मैदानी अधिकारियों का सीधा संवाद होने लगा है। आवेदकों के सामने संबंधित विभागों के अधिकारियों को बुलाया जाता है और सामने ही उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए त्वरित पहल होती है। इसका एक फायदा यह है कि आवेदकों को अपने जिले से राजधानी (रायपुर) आने-जाने की जरूरत नहीं होती। उन्हेंकेवल अपने जिले के लिए वीडियो कॉन्फ्रेसिंग निर्धारित दिवस और समय पर जिले के कलेक्टोरेट में आना पड़ता है। उनकी उपस्थिति में ही उनकी शिकायतों और समस्याओं की सुनवाई होती है।

                                 मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने लगभग 11 साल पहले 15 अगस्त 2004 को जिला मुख्यालय रायपुर स्थित कलेक्टोरेट के राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) में इस प्रणाली का शुभारंभ किया था। उस समय दो जिलों को इसमें शामिल किया गया था, जबकि वर्ष 2012 तक सभी 27 जिलों को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए मंत्रालय से जोड़ दिया गया। राजधानी रायपुर के मंत्रालय (महानदी भवन) स्थित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) के वीडियो कॉन्फ्रेसिंग कक्ष में प्रत्येक शासकीय कार्य दिवस में दोपहर 12 बजे से 1.30 बजे तक जनशिकायत निवारण विभाग के अधिकारी जिलों के कलेक्टर कार्यालय में मौजूद आवेदकों की सुनवाई करते हैं। शिकायत की विषय वस्तु के अनुरूप संबंधित विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी को शिकायतकर्ता के समक्ष बुलाकर समस्या के निराकरण का प्रयास किया जाता है। यदि किसी शिकायत के निराकरण के लिए संबंधित विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी मंत्रालय स्तर पर मार्गदर्शन का आग्रह करते हैं, तो उस विभाग के सचिव अथवा उनकी अनुपस्थिति में मंत्रालय स्तर पर विभाग के ही किसी वरिष्ठ अधिकारी को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग कक्ष में बुलाकर आवेदकों से उनकी बातचीत करवाई जाती है।

                             अधिकारियों ने बताया कि जनशिकायत निवारण विभाग ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से जनसमस्याओं और लोक शिकायतों की सुनवाई और उनके निराकरण के लिए जिलेवार टाइम टेबल भी घोषित कर दिया है। प्रत्येक कार्य दिवस में आठ जिलों के आवेदकों की सुनवाई होती है। सोमवार को दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर (जगदलपुर), रायगढ़, राजनांदगांव, सरगुजा (अम्बिकापुर), बेमेतरा और बालोद, मंगलवार को धमतरी, बालोद, कोण्डागांव, जांजगीर-चाम्पा, कांकेर, कोरबा, कोरिया और मंुगेली, बुधवार को महासमुंद, बिलासपुर, बलौदाबाजार-भाटापारा, रायगढ़, कबीरधाम (कवर्धा), बेमेतरा और रायपुर, सरगुजा (अम्बिकापुर) तथा बलरामपुर-रामानुजगंज जिलों के आवेदकों के लिए तय किया गया है। गुरूवार का दिन दुर्ग, सूरजपुर, बस्तर (जगदलपुर), जांजगीर-चाम्पा, कांकेर, जशपुर, बीजापुर और मुंगेली के लिए तथा शुक्रवार का दिन धमतरी, बिलासपुर, गरियाबंद, कोरिया (बैकुंठपुर), कबीरधाम (कवर्धा), राजनांदगांव, सरगुजा (अम्बिकापुर) और बलरामपुर-रामानुजगंज जिलों के लिए निर्धारित किया गया है। शनिवार को महासमुंद, दंतेवाड़ा, बस्तर (जगदलपुर), जशपुर, कांकेर, कोरबा, सुकमा और नारायणपुर के आवेदकों के लिए निर्धारित किया गया है। आवेदक इन कार्य दिवसों में दोपहर 12 बजे से 1.30 बजे तक अपने कलेक्टोरेट के वीडियो कॉन्फ्रेसिंग कक्ष में आकर अपनी समस्याओं के बारे में मंत्रालय के अधिकारियों को जानकारी दे सकते हैं।

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