सुरक्षा गार्ड के तकनीकी प्रशिक्षण के लिए इंस्टिट्यूट जल्द

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IMG_20151215_215122_909रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मंगलवार दोपहर को मंत्रालय (महानदी भवन) में छत्तीसगढ़ राज्य कौशल विकास प्राधिकरण के शासी निकाय की बैठक ली। उन्होंने बैठक में विचार-विमर्श के बाद  छत्तीसगढ़ राज्य के युवाओं को सुरक्षा गार्ड का तकनीकी प्रशिक्षण दिलाने के लिए झारखण्ड और पश्चिम बंगाल की तर्ज पर राष्ट्रीय स्तर के संस्थान की स्थापना जल्द करवाने की घोषणा की। उन्होंने इसके लिए अधिकारियों को कार्य योजना जल्द प्रस्तुत करने के लिए कहा। डॉ. सिंह ने अधिकारियों को प्रदेश की जेलों में निवासरत कैदियों के कौशल प्रशिक्षण के लिए भी कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए। कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा और रोजगार विभाग के मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय, प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव विवेक ढांड और अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।

             
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                             मुख्यमंत्री ने विचार-विमर्श के दौरान कहा कि प्रशिक्षित सुरक्षा गार्डो की निजी क्षेत्र के संस्थानों में अच्छी मांग है। प्रशिक्षित होने के बाद युवाओं को रोजगार के अच्छे अवसर मिल सकेंगे। उन्होंने कहा कि झारखण्ड और पश्चिम बंगाल की तर्ज पर लगभग 50 एकड़ में इस केन्द्र की स्थापना की जानी चाहिए, जहां प्रदेश के युवाओं के साथ-साथ अन्य राज्यों के युवा भी सुरक्षा गार्ड का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें। बैठक में बस्तर संभाग के सभी जिलों में युवाओं के कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण की विशेष कार्य योजना तैयार करने और विशेष प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने, प्रदेश के सभी जिलों में युवाओं के कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना और छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी जनजातियों पहाड़ी कोरवा, कमार, बैगा, बिरहोर, अबूझमाड़िया, पण्डो और भंुजिया जनजातियों के युवाओं के लिए भी विशेष प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया।

                        मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के अन्तर्गत कार्यरत रोजगार समन्वयकों को भी एकाउण्ट और कम्प्यूटर का प्रशिक्षण चरणबद्ध रूप से दिया जाना चाहिए। इनके प्रशिक्षण कार्यक्रम बरसात के दौरान, जब पंचायतों में काम कम रहते हैं, तब आयोजित किए जाएं। डॉ. सिंह ने आकाशवाणी से प्रसारित मासिक कार्यक्रम ‘रमन के गोठ’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में उन्हें जेल के सजायाफ्ता कैदियों के लिए कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के लिए  भी पत्र मिला था। कैदियों को उनकी रूचि के ट्रेड में कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, ताकि सजा पूरी होने के बाद बंदीगृहों से मुक्त होकर वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। कैदियों को प्रशिक्षण दिलाने के साथ-साथ उन्हीं के बीच से कुछ कैदियों को विभिन्न टेªडों में मास्टर टेªनर के रूप में भी प्रशिक्षित किया जाएगा। कैदियों को इलेक्ट्रिशियन, मोटर सायकल रिपेयर, ए.सी. और ट्रांसफार्मर मरम्मत, बढ़ई, राजमिस्त्री, सिलाई आदि टेªडों का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। प्रशिक्षक के रूप में उनकी अतिरिक्त आमदनी हो सकेगी और सजा पूरी होने के बाद वे अपना व्यवसाय शुरू कर सकेंगे। इसकी शुरुआत प्रदेश की पांच जेलों से की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि बड़े कृषि विज्ञान केन्द्रों और बड़े निजी अस्पतालों को भी कौशल उन्नयन प्रशिक्षण प्रदाता बनाया जाना चाहिए।राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में जरूरी कौशल की आवश्यकता का आकलन कर प्रत्येक जिले और राज्य के लिए तीन वर्षीय कौशल विकास योजना तैयार की जा रही है। नगरीय क्षेत्रों में कामगारों, माली, रसोइए, राजमिस्त्री, प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन और ए.सी. मैकेनिक आदि टेªडों में प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए उनके निवास स्थान और फोन नम्बर की जानकारी वेब पोर्टल पर उपलब्ध कराए जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।

                      बैठक में अपर मुख्य सचिव एम.के. राउत, अजय सिंह, एन.के. असवाल, प्रमुख सचिव ग्रामोद्योग सुनील कुजूर, प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग अमिताभ जैन, सचिव स्वास्थ्य विभाग विकास शील, सचिव वाणिज्यिक-कर (आबकारी) एवं जनसम्पर्क सचिव गणेशशंकर मिश्रा, सचिव स्कूल शिक्षा सुब्रत साहू, सचिव वित्त विभाग अमित अग्रवाल, सचिव वाणिज्य एवं उद्योग सुबोध कुमार सिंह, सचिव तकनीकी शिक्षा और कौशल उन्नयन रेणु पिल्ले, और कमिश्नर रायपुर संभाग अशोक अग्रवाल सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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