बिलासपुर—– कोविड-19 से सुरक्षा को लेकर अपोलो प्रबंधन ने आम जनता को दिशा निर्देश जारी किया है। साथ ही सुरक्षित अस्पताल में स्वास्थ्य पर भी जोर दिया है। अपोलो प्रबंधन के अनुसार बाहर के अलावा अस्पताल वातावरण में कई प्रकार के संक्रमण पाये जाते है। ऐसे संक्रमणों को नियंत्रित कर सुरक्षित वातावरण बनाने के लिये अस्पताल प्रबंधन को ध्यान देना बहुत जरूरी है।
लोग कोरोना काल में परेशान हैं। खासकर वातावरण में फैले संक्रमण को लेकर। जाहिर सी बात है कि इससे अस्पताल भी अछूता नहीं है। अपोलो प्रबंधन के अनुसार इस समय सभी अस्पतालों को वातावरण में फैले संक्रण को लेकर सतर्क रहना होगा। अपोलो प्रबंधन ने दावा किया है कि सैनिटाइजेशन, नियमित साफ सफाई, किटाणुशोधन, स्टेरीलाइजेशन, पृथककरण, जैविक कचरा प्रबंधन का होना बहुत जरूरी है। ताकि अस्पताल को अधिक से अधिक सुरक्षित रखा जा सके।
कोविड-19 महामारी ने अस्पतालों के सामने संक्रमण को नियंत्रित करने की नई चुनौती पेश किया है। कोरोना संक्रमित मरीजों से दूसरे लोग आसानी से संक्रमित होने की हमेशा संभावना होती है। अस्पतालों में आगन्तुकों की संक्रमण से सुरक्षित रखना जरूरी है। स्वास्थ्य कर्मियों की संक्रमण से सुरक्षा का होना भी महत्वपूर्ण है। कोविड-19 के बढ़ते क्रम में अस्पतालों के सामने नई समस्या खड़ी हो गयी है। बावजूद इसके अस्पतालों को निरंतरता बनाये रखना होगा। कोविड-19 के अलावा कई ऐसी बिमारियां है जिनसे जान को खतरा हो जा सकता है। लोगों को आपातकालीन या निरंतर चिकित्सीय सेवा की आवश्यकता पड़ सकती है।
अपोलो प्रबंधन ने कहा कि सवाल वाजिब है कि अस्पतालों को कैसे सुरक्षित रखा जाए। अपोलो अस्पताल सीओओ डॉ सजल सेन ने बताया कि अस्पतालों को कोविड-19 के संक्रमण से काफी हद तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यदि हम बचने के उपायों को गंभीरता से ले। अस्पतालों के प्रवेश द्वार पर आने वाले प्रत्येक मरीज और परिजनों की तापमान की आवश्यक जांच हो। अस्पताल में आने वाले लोगों के हाथों का सैनिटाइजेशन किया जाए। सर्जिकल मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग किया जाए। दुपट्टा, गमछा या रूमाल के उपयोग का पूर्णरूप से वर्जित किया जाए। सभी सार्वजनिक जगहों पर शारिरिक दूरी बनाकर रखा जाए। शासकीय निर्देशों का गंभीरता से पालन किया जाए।
अपोलो अस्पताल के सलाहकार मायक्रोबायोलॉजी एवं संक्रमण नियंत्रण अधिकारी डॉ शालिनी गोलदार ने कहा कि सम्पूर्ण अस्पताल को सोडियम हाइपोक्लोराइड रसायन के नियमित छिड़काव कर संक्रमण मुक्त करना चाहिये। अस्पताल के वातावरण को स्वच्छ बनाने का निरंतर और विश्वनीय प्रयास हो। .कर्मचारियों को भी प्रवेश द्वार पर तापमान दर्ज कराने के साथ हाथों को सैनिटाइज किया जाना जरूरी हो। जोखिम वाली जगहों पर पीपीई जैसे कि कैप, मास्क, हेडगियर, ग्लब्स, गाउन, जूतों का उपयोग किया जाना बहुत जरूरी है।
डॉ मनोज राय, वरिष्ठ सलाहकार, इंटरनल मेडिसीन विभाग ने बताया कि ऐसे मरीज जिन्हे सांस की गंभीर बिमारी हो या कोविड-19 के लक्षण वाले संदिग्ध मरीजो को पृथक वार्ड अथवा आइसोलेशन वार्ड में रखना चाहिए। ताकि अन्य मरीजों में संक्रमण ना फैल सके। संक्रमित मरीज़ और देखभाल में लगे कर्मचारी के मनोबल और इच्छाशक्ति का मजबूत होना बहुत जरूरी है। अनुभवी चिकित्सक, दवाइयां और आधुनिक उपकरणों का भी होना बहुत ज़रूरी है।
डाक्टर सिद्धार्थ वर्मा ने बताया कि स्टाफ को लगातार ट्रेनिंग निर्देश और एवं मॉनिटरिंग से स्पतालों को सुरक्षित रखा जा सकता है। अस्पताल परिसर में हाथों को धोने की व्यवस्था के साथ अलार्म सिस्टम की व्यवस्था भी जरूरी है। मरीज़ों के सही ट्राईजिंग से संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। स्टाफ में संक्रमण से लड़ने का विश्वास जगा कर उन्हें सही पीपीइ का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने केंद्र और राज्य सरकार कई ऐहतियाती कदम उठा रही है। लेकिन सरकारी अथवा अस्पतालों के प्रयास काफी नहीं है। इसके रोकथाम और सामान्य लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए व्यक्तिगत प्रयास भी जरूरी है।
डॉ रामकृष्णा कश्यप ने बताया कि समाज और समुदायों की जिम्मेदारी है की वे अपने लोगों को सुरक्षित करे। वर्त्तमान परिस्थिति में अत्यावश्यक है कि समाज को भी अस्पातलों में संक्रमण के प्रसार को रोकने का उपाय हो। प्रत्येक व्यक्ति को सभी सुरक्षा के नियमों का पालन करना चाहिए। वर्त्तमान परिस्थिति में परस्पर सहयोग और प्रयासों से ही अस्पतालों को कोविड-189 के संक्रमण से बचाया जा सकता है। रीज़ एवं परिजन स्वाथ्य कर्मचारी स्टाफ सुरक्षित रहकर ही कोविड से अन्य मरीज़ों को सुरक्षित रख सकते हैं।
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