एमआईसी सदस्य दे सकते हैं इस्तीफा

BHASKAR MISHRA
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nagar nigam 1बिलासपुर…नगर निगम भाजपा सरकार में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सबकी अपनी ढपली और अपना राग है। महापौर को रामधुन से फुर्सत नहीं है। आयुक्त की अपनी अलग चाल है। कुछ भाजपा पार्षदों की अंदर ही अंदर अलग खिचड़ी पक रही है। मामला नियंत्रण में है या नहीं..इसकी जानकारी महापौर को भी शायद हो। लेकिन इतना सच है कि अपनी उपेक्षा से परेशान एमआईसी के तीन सदस्यों ने इस्तीफा देने का मन बना लिया है। मजेदार बात यह है कि तीन एल्डरमैन भी इस्तीफा देकर नए लोगों के लिए जगह खाली करना चाहते हैं।

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                        सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार महापौर के तीन एमआईसी सदस्य अपनी उपेक्षा को लेकर खासे नाराज हैं। सूत्रों पर विश्वास करें एमआईसी तीन सदस्य ना केवल एमआईसी से बाहर निकलने को कुलबुला रहे है बल्कि पार्षद पद से ही छुटकारा चाहते हैं।

                             तीनों  एमआईसी पार्षदों का मानना है कि जब टाउनहाल में महापौर की नहीं चलती ..तो उनकी विसात ही क्या है। महापौर आयुक्त के अनुमति के बिना एक कदम भी नहीं उठाते । वार्डों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। हमारे हालात ऐसे हैं कि ठीक से बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। बैठकों में उनकी बातों को तवज्जों नहीं दी जाती है। कभी ऐसा पल नहींआया कि उनकी बातों को कभी गंभीरता से लिया गया हो। कुछ वरिष्ठ नेता अपने आगे किसी की नहीं सुनते हैं। थोडा बहुत जो काम बचता है आयुक्त जनदर्शन में पूरा कर देती हैं। ऐसे में उनकी जरूरत ही नहीं है।

                        उपेक्षा से पीडित एमआईसी के तीनों सदस्यों ने अपनी पीड़ा को निकाय मंत्री के सामने रखने का निश्चय किया है। हिम्मत कब होती है समय पर ही पता चलेगा। जानकारी के अनुसार कुछ वरिष्ठ एल्डरमैन भी अपनी बेइज्जती की जिम्मेदारी से छुटकारा लेकर घर बैठना चाहते हैं। नाराज तीन एल्डरमैन में दो को निगम राजनीति का लम्बा अनुभव है। नौसिखिया एल्डरमैन की नाराजगी पुराने एल्डरमैन से कहीं ज्यादा है। एल्डरमैनो की माने तो हार से उन्हें इतनी पीड़ा नहीं हुई जितनी निगम में उपेक्षा से होती है। अच्छा होता कि हम बची खुची इज्जत को बचाकर रखते।  सदन में उनकी पूछ परख नहीं है। अनुभवों को साझा करने की बात तो दूर बड़ी मुश्किल से उन्हे कुर्सी नसीब होती है।

                                भाजपा के वरिष्ठ निगम नेता और वर्तमान एल्डरमैन ने बताया कि कभी लोग उनसे सदन की गतिविधइयों को लेकर राय मशविरा और रणनीति तैयार किया करते थे। लेकिन आज नए नवेले और कुछ ऊंचे रसूख वाले पार्षद अछूतों जैसा व्यवहार कर रहे हैं। निगम में हो क्या रहा है…कुछ पता ही नहीं चलता ।  निगम को महापौर चला रहे हैं या आयुक्त..समझ में नहीं आ रहा है। पहली बार एल्डरमैन के रास्ते निगम में पहुंचे भाजपा नेता का दर्द पुराने अनुभवी नेताओं से कम नहीं है। नौसिखिए एल्डरमैन को निगम की राजनीति पसंद नहीं आ रही है। उन्हें लगता है कि घर में रहते तो इज्जत के साथ बरबाद होते समय को  बचा लेते।

                बहरहाल इतना तय है कि तीन एमआईसी के पार्षद सदस्य और तीन एल्डरमैनों ने इस्तीफा देने का मन बना लिया है। देखते हैं तीनों एमआईसी सदस्यों और ऐल्डरमैनों को महापौर और निकाय मंत्री से क्या नसीहत मिलती है।

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