बिलासपुर।छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजीद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, प्रदेश सचिव मनोज सनाढ्य, प्रदेश कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक ने कहा है कि वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का आशय है कि किसी पौधे के मुख्य शीर्ष को ही तोड़कर फेंक देना, इससे वह पौधा अपना स्वाभाविक वृद्धि नही कर पायेगा, उसका विकास लम्बे समय तक अवरुद्ध हो जाएगा। वेतनवृद्धि अवरुद्ध होने से एक कर्मचारी को अपने पूरे जीवन काल मे लाखों रुपये का नुकसान होगा। वैसे कर्मचारी संहिता में वेतनवृद्धि रोकने का मतलब दण्ड देना ही होता है, जब कोई कर्मचारी अपनी सेवा को सही ढंग से पूर्ण नही करता या दायित्व का गंभीरता पूर्वक निर्वहन नही करता, तब वेतनवृद्धि पर रोक लगाया जाता है।CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने यहाँ क्लिक कीजिये
डॉक्टर, शिक्षक, पुलिस, नर्स, मेडिकल टीम, कवरेन्टीन सेंटर में सेवारत शिक्षक-कर्मचारी, कोरोना मैनेजमेंट में लगे कर्मचारी, सफाई कर्मचारी आदि समस्त कोरोना वॉरियर्स को जो जान जोखिम में डालकर अपनी सेवा दे रहे हैं, प्रश्न यह है कि क्या उनका इंक्रीमेंट रोकना कोरोना महामारी की सेवा का उपहार है,? वेतनवृद्धि रोकना उनके करोना महामारी के विरुद्ध दृढ़ इच्छाशक्ति की लड़ाई व सेवा को कमजोर करना ही है।
आज पदाधिकारियो ने शिक्षक व कर्मचारी परिवार के लिए एक वर्ष में मिलने वाले इंक्रीमेंट पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री जी को ऑनलाइन निवेदन कर सारगर्भित शब्दो मे इंक्रीमेंट में रोक के आदेश को वापस लेने का आग्रह किया है। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि वेतनवृद्धि रोकने के आदेश की वापस लेने मुख्यमंत्री से प्रदेश भर के शिक्षक व कर्मचारी आग्रह करेंगे, और इसके तहत छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश इकाई द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र दिया गया है।एसोसिएशन के सभी जिला व ब्लाक इकाई द्वारा मुख्यमंत्री जी के नाम पर जिला व ब्लॉक स्तर पर ज्ञापन देकर शासन द्वारा वेतनवृद्धि पर रोक लगाने के आदेश को वापस लेने मांग किया गया था।