कई महीने से नहीं मिली सैलरी, अपने हक के लिए प्राइवेट स्कूल टीचर सड़क की लड़ाई लड़ने को मजबूर

Chief Editor
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बिलासपुर(मनीष जायसवाल)-निजी स्कूल प्रबंधन और पालकों के बीच फीस विवाद खत्म नही हुआ था कि अब अब निजी स्कूल प्रबधन और प्राईवेट स्कूल के शिक्षको की सैलरी का विवाद गहरा रहा है ।   निजी स्कूलों के शिक्षको  का पक्ष मजबूत करते हुए प्रदेश के सरकारी शिक्षक संघों ने अपना नैतिक समर्थन भी दे दिया है। वही शिक्षको का स्कूल प्रबंधन पर आरोप है कि प्रदेश के निजी विद्यालयों के शिक्षकों को मार्च माह से अब तक सैलरी नहीं मिली है। कई स्कूलों ने सैलरी में कटौती कर दी तो कई स्कूल कुछ प्रतिशत सैलरी देकर शिक्षकों को चुप करा दिये है।  कई स्कूल सैलरी देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। जिसे लेकर निजी स्कूलो के शिक्षक सड़क की लडाई लड़ने को मजबूर है। हक की लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए सोमवार को  छत्तीसगढ़ नॉन गवर्नमेंट टीचर वेलफेयर एसोसिएशन ने छत्तीसगढ़ के सभी जिले में प्रधानमंत्री सहित मुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन सौपा है।CGWALL NEWS व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

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एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष  सुरेश कुमार दिवाकर ने बताया कि निजी स्कूल के शिक्षक आर्थिक तंगी से गुजर रहे है। इस ओर शासन प्रशासन को ध्यान दिलाने के लिए प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरो को प्रधानमंत्री सहित मुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन सौपा गया है। और मांग की गई है कि सरकार स्कूल प्रबंधन संघ अभिभावक संघ और शिक्षक संघ के मध्य एक त्रिस्तरीय कमेटी का गठन करे… जिससे कि शिक्षकों की सैलरी संबंधी समस्या का शीघ्र ही निराकरण हो सके..।

निजी स्कूलों के शिक्षको का पक्ष रखते हुए एसोसिएशन प्रदेश उपाध्यक्ष जावेद अली ने बताया कि छत्तीसगढ़ में लगभग दस हजार से भी अधिक निजी विद्यालय हैं। इन स्कूलों में लाखों शिक्षक कार्यरत हैं। इन निजी विद्यालयों के शिक्षकों को मार्च माह से अब तक सैलरी नहीं मिली है। कई स्कूलों ने सैलरी में कटौती कर दी तो कई स्कूल कुछ प्रतिशत सैलरी देकर शिक्षकों को चुप करा दिया है।  कई स्कूल सैलरी देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। कुछ स्कूल अभी तक कुछ परसेंट सैलरी शिक्षकों को दे रहे थे, लेकिन अब जुलाई माह से सैलरी नहीं देने का फरमान स्कूल प्रबंधन ने जारी कर दिया है। 

प्रदेश पदाधिकारी नीलाद्री गुहा ने बताया कि प्रदेश में लगभग सभी निजी स्कूल प्रबंधनो द्वारा शिक्षकों को सैलरी नहीं देने के कारण शिक्षकों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई है। प्रदेश भर के शिक्षक आर्थिक तंगी के कारण मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे है। घर की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। 

निजी स्कूल के शिक्षको के नैतिक समर्थन में आये शासकीय शिक्षको की ओर जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा व प्रदेश सह सचिव अश्विनी कुर्रे ने बताया कि शिक्षक निजी और सरकारी नही होता है। वह केवल शिक्षक होता है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षको पर शासन प्रशासन ने ध्यान देंना चाहिए ।हम प्राइवेट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन का हम नैतिक समर्थन करते है ।  गवर्नमेंट एंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन छत्तीसगढ़ के प्रदेश सचिव राधेश्याम टंडन ने भी निजी स्कूल के शिक्षको का नैतिक समर्थन करते हुए बताया कि  शिक्षको पर आई इस आर्थिक तंगी की घड़ी में हम शिक्षको के साथ है। इसके अलावा अजाक्स छत्तीसगढ़, अपाक्स छत्तीसगढ़, सोशल जस्टिस एंड लीगल फाउंडेशन छत्तीसगढ़ का भी नैतिक समर्थन प्राइवेट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन को मिल चुका है।

प्रधानमंत्री सहित मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देने के लिए एसोसिएशन के पदाधिकारी सहित अन्य सदस्य जिनमें प्रमुख रूप से सुरेश दिवाकर ,नीलाद्री गुहा ,जावेद अली ,अजय चौहान, सौरभ सिंह, एसआर तिवारी, रमेश कुमार, सृष्टि शुक्ला ,ज्योत्सना प्रधान, शंकर प्रधान ,विकास छाबड़ा, प्रज्ञा शुक्ला, एनवी लक्ष्मी, एस पीटर्स ,सुजाता मनिक सहित कई स्कूल के शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे..। 

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