रेणु जोगी ने कहा-जोगी के आदिवासी होने के गौरव पर नही आने दूंगी आंच,याचिका खारिज होने पर बोले अमित-सत्यमेव जयते

Chief Editor
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बिलासपुर।नंदकुमार साय और संत कुमार नेताम की याचिका की ख़ारिज होने के बाद अमित जोगी ने कहा सत्यमेव जयते। जोगी ने बताया कि हाइकोर्ट ने जाती मामले में कहा कि छानबीन समिति की रिपोर्ट वापस लेना किसी भी रूप में ‘न्यायालय के साथ धोखा नहीं है। दस्तावेज कहते है कि रमन सरकार ने 2013 में जोगी के विरूद्ध छानबीन समिति की रिपोर्ट केवल इसलिए वापस ली क्योंकि उनको सुनवाई का मौक़ा नहीं दिया गया था। सरकारी निर्णय को सरकार के परिवर्तन और सत्ता संभालने वाले किसी अन्य राजनैतिक पार्टी द्वारा आसानी से समाप्त नही किया जाना चाहिये।

             
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        हाइकोर्ट से नेताम और साय की याचिका खारिज होने के बाद रेणु जोगी ने कहा कि हमें स्वर्गीय अजीत प्रमोद कुमार जोगी के आदिवासी होने के गौरव और अस्मिता के पर कभी भी कोई आँच नही आने देंगे।जनता कांग्रेस अध्यक्ष  अमित अजीत जोगी ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष  नंद कुमार साय, संत कुमार नेताम और भाजपा-कांग्रेस के कुछ नेताओं ने लगातार मेरे पिता स्वर्गीय अजीत जोगी पर आरोप लगाया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से साँठगाँठ कर 2013 विधान सभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा सरकार ने उनके विरुद्ध छानबीन समिति की रिपोर्ट को वापस लिया था।

         इसे ‘जनता और न्यायालय के ख़िलाफ़ धोखा करार करते हुए याचिका दायर कर  उच्च न्यायालय से निवेदन किया था कि इस रिपोर्ट को पुनर्स्थापित करे। प्रवक्ता  भगवानु नायक ने जानकारी दी कि 15 जुलाई 2020 को  उच्च न्यायालय ने  याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है।  न्यायमूर्ति राजेन्द्र चन्द्र सिंग सामंत ने 38 पन्नो के आदेश की कंडिका (16) में राज्य शासन के 18 सितंबर 2013 के लिखित प्रतिवेदन का उल्लेख किया है। जिसमें शासन ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि 22 अप्रेल 2013 और 22 जून 2013 की छानबीन समिति की रिपोर्ट  को शासन की तरफ से वापस लेने का एकमात्र आधार समिति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के माधुरी पाटिल केस के निर्देश क्रमांक (5) का परिपालन नहीं करना था। 

 निर्देश के अनुसार स्वर्गीय अजीत प्रमोद कुमार जोगी  को छानबीन समिति के सामने अपना पक्ष रखने का अवसर देना अनिवार्य था ।जिसका पालन शासन के द्वारा नही किया गया था।नन्द कुमार साय और  संत कुमार नेताम की याचिका के समर्थन में सुनवाई के दौरान वर्तमान छत्तीसगढ़ शासन ने 11 अक्टूबर 2019 को लिखे एक पत्र को प्रस्तुत किया  था ।जिसका उल्लेख उच्च न्यायालय के आदेश की कंडिका (14) में मिलता है। 

 नायक ने बताया कि उच्च न्यायालय ने इस पत्र को निराधार मानते हुए अपने आदेश की कंडिका (27) में सख्त टिप्पणी किया है कि ”सरकारी निर्णय को सरकार के परिवर्तन और सत्ता संभालने वाले किसी अन्य राजनैतिक पार्टी द्वारा आसानी से समाप्त नही किया जाना चाहिये। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बात पर बल दिया है कि उत्तराधिकारी सरकारों को भी पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा लिए गये निणर्यो का सम्मान करना चाहिये।“

       भगवानु नायक ने कहा कि उच्च न्यायालय के इस आदेश ने एक बार फिर प्रमाणित कर दिया है कि पूर्ववर्ती रमन सरकार ने स्वर्गीय अजीत जोगी के खिलाफ  छानबीन समीति की रिर्पोट वापस लेने का प्रमुख कारण माधुरी पाटिल प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश क्रमांक 5 और 2013 छत्तीसगढ़ जाति निर्धारण नियमों के विपरीत उनको बिना सुनवाई का अवसर दिये  पीठ के पीछे मनगढ़ंत रिर्पोट तैयार करना था।

       स्वर्गीय अजीत प्रमोद कुमार जोगी  के न्यायायिक उत्तराधिकारी  धर्मपत्नी डॉ॰ रेणु जोगी और पुत्र अमित जोगी ने  उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का स्वागत किया है। साथ ही विश्वास जाहिर किया है कि स्वर्गीय अजीत प्रमोद कुमार जोगी के आदिवासी होने के गौरव और अस्मिता के ऊपर कभी भी कोई आँच नही आ सकती है।

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