बिलासपुर— पिछले दिनों बिल्हा ब्लाक के ग्राम पंचायत सचिव संगठन का चुनाव हुआ। तनाव भरे चुनाव में एक पक्ष को भारी अन्तर से जीत हुई है। जबकि दूसरे पक्ष को उम्मीद से अधिक मतो से हार का सामना करना पड़ा है। मजेदार बात है कि एक वोट नोटा को भी डाला गया है। हारने वाले गुट की माने तो जीत वाले गुट को कांग्रेस नेताओं का समर्थन हासिल था।
बीते दिनों बिल्हा जनपद पंचायत में ग्राम पंचायत संगठन सचिव का चुनाव हुआ। संगठन के बीच से ही कुल सचिव ने बताया कि चुनाव में सत्ता और विपक्ष के नेताओं ने भी जोर आजमाइश की है। जिसके चलते एक गुट को भारी अन्तर से जीत मिली है। जबकि दूसरे गुट को कारारी हार का सामना करना पड़ा है।
जानकारी के अनुसार बिल्हा जनपद पंचायत में कुल ग्राम पंचायत सचिवों की संख्या 127 है। पिछले दिनों सचिव संगठन के बीच अध्यक्ष पद के लिए अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ। चुनाव लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत कोटा से बुलाए गए दो चुनाव अधिकारियों के सामने हुआ। देर शाम परिणाम चौकाने वाला रहा।
हारने वाले गुट ने बताया कि बेशक चुनाव निष्पक्ष नजर आया हो। लेकिन यहां सत्ता पक्ष के दबाव में वोट डाले गए है। वहीं हारने वाले पक्ष ने आरोप लगाया कि सचिव पुराने भाजपा नेता की मनमनी से बाज आना चाहते थे। इसलिए निष्पक्ष चुनाव में सचिव संगठन अध्यक्ष पद पर गंगे निर्मलकर के पक्ष में मतदान किया गया। जबकि मुकेश शुक्ला को भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा है।
बताना जरूरी है कि कुल 127 सचिव सदस्य वाले बिल्हा जनपद पंचायत में सचिव संगठन चुनाव के दौरान सभी सचिवों ने मतदान किया। कुल 126 वोट प्रत्याशियों को पड़े। जबकि एक वोट नोटा में डाला गया है। मुकेश शुक्ला को कुल 40 मत मिले। वहीं महमंद के सचिव गंगे निर्मलकर ने रिकार्ड 86 वोट हासिल किया। और मुकेश को 46 वोट से करारी हार का सामना करना पड़ा। समर्थकों ने गंगे निर्मलकर की जीत पर खुशी जाहिर की है।