वनाधिकार पत्र मिलने से सिंगलु राम ले रहा शासन की योजनाओं का लाभ,जिले के भूमिहीन किसानों को वनाधिकार पत्र प्रदान कर दिया मालिकाना हक

Chief Editor
3 Min Read

नारायणपुर-अपनी जमीन का मालिकाना हक पाने का सपना हर व्यक्ति का होता है। जब यह सपना पूरा हो जाता है तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता। नारायणपुर जिले के ग्राम झारा निवासी श्री सिंगलु राम को 1.80 हेक्टेयर जमीन लगभग 4.5 एकड़ जमीन का वनाधिकार पत्र दिया गया है। वनाधिकार पत्र मिलने से सिंगलु राम का कहना है कि प्रदेश सरकार गरीब आदिवासियों की जमीन का वनाधिकार पत्र देकर उनका मालिकाना हक प्रदान कर रही है। भूमि अधिकार पत्र पाकर वह बहुत खुश है और प्रदेश सरकार के मुखिया श्री भूपेश बघेल का हदय से धन्यवाद दिया है। श्री सिंगलु ने बताया कि उनके पूर्वज बरसो से इसी भूमि में खेती बाड़ी करते आ रहे हैं। पहले हमारा यह क्षेत्र बहुत ही पिछड़ा हुआ था। तब हमारे पास इसके कोई दस्तावेज नही थे, लेकिन हम जमीन पर बरसों से खेती किसानी करते आ रहे हैं।जब नियम-कानून या सरकारी काम के लिए ऋण लेने, खाद-बीज का उठाव करने या अन्य कोई सरकारी मदद के लिए पट्टे या भूमि के दस्तोवजों की बात आती थी हम डर जाते थे, हमारे पास हमारे जमीन का कोई कागज नही था। जिसके कारण भूमि के छिन जाने का डर हमेशा लगा रहता था।CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

Join Our WhatsApp Group Join Now

लेकिन बहुत ही कम समय में और कम कागजात से हमे अपने जमीन का मालिकाना हक मिल गया। एक सामान्य से आवेदन से हमे अपने जमीन का मालिकाना हक मिला है। अब हम अपने खेतों में खेती किसानी का काम कर रहे हैं और शासन की योजनाओं का भी लाभ ले रहे हैं।बता दें कि जिले में वनाधिकार पत्र प्राप्त करने हेतु 4836 व्यक्तिगत आवेदन और 543 आवेदन सामुदायिक प्राप्त हुए थे। जिसमें से 4835 व्यक्तिगत आवेदन और 343 सामुदायिक आवेदन को स्वीकृत कर वनाधिकार पट्टा प्रदान किया गया है। इस प्रकार जिले में कुल 5178 लोगों को वनाधिकार पत्र प्रदान किया गया है।

नारायणपुर जिला अबूझमाड़िया जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है। सरकार द्वारा अब इन जनजातियों को वनाधिकार पत्र प्रदान कर जमीन का मालिकाना हक दिया जा रहा है। जिससे इनके जीवन में बड़ा बदलाव आया है और उनका परिवार आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे है। वनसंपदा तथा वन भूमि की सुरक्षा एवं उनकी आजीविका को ध्यान में रखते हुए शासन द्वारा ऐसे लोगों को वनाधिकार पत्र के माध्यम से पट्टा देकर भूमि का हक दिया गया है। वनाधिकार पत्र के माध्यम से मिले जमीन के हक से इन लोगों के मन में जमीन के अधिकार का भय दूर हो गया है और वे निश्चिंत होकर कृषि और आजीविकामूलक कार्य कर रहे हैं।

close