(संजय दीक्षित)मुख्यमंत्री डा0 रमन सिंह नया साल अबकी र्साइं बाबा और भोले नाथ के शरण में मनाएंगे। वे 30 को मुंबई जाएंगे। वहां सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद एक जनवरी की सुबह परिवार के साथ पहले त्रयंबकेश्वर फिर शिरडी जाएंगे।
हनीमून डेस्टिनेशन
सूबे में नौकरशाहों के लिए सर्वाधिक सुकून और पइसा वाली कोई पोस्टिंग होगी तो वह है नक्सल प्रभावित इलाके के आईएएस अफसरों की। काम एक ढेला का नहीं और, कमीशन मैदानी इलाके से कहीं अधिक। फंसने का कोई रिस्क भी नहीं। काम कागजों मंे हुआ या धरातल पर, इसे कौन देखने वाला है। माओवाद के नाम पर दिल्ली से पइसे भी बेहिसाब आते हैं। मैदानी जिलों से कहीं अधिक। हाल ही में, एक कलेक्टर ने एक करोड़ रुपए में बैडमिंटन कोर्ट बनवाया है। 5 लाख खर्चा हुआ और 95 लाख भीतर। अफसरों पर सरकार का प्रेशर भी नहीं। उल्टे, सहानुभूति कि बेचारा हिंसाग्रस्त इलाके में पोस्टेड है। मौज-मस्ती का आलम यह है कि सात में से पांच कलेक्टर तो हफ्ते में दो दिन भी आफिस नहीं जाते। बंगले से ही, पत्नी, बच्चों के साथ खेलते हुए जिला चला रहे हैं। वैसे भी, बस्तर में अधिकांश युवा अफसरों की पोस्टिंग होती है। नया दांपत्य जीवन और बच्चे भी नन्हें। इसलिए, स्कूल का भी फिकर नहीं। कोई साल में दो बार बच्चे का बर्थडे मनाता है तो कोई सरकारी खर्चे पर सालगिरह। अब, ओपी चैधरी की शादी नहीं हुई थी। इसलिए, उन्होंने दंतेवाड़ा में लाइवलीहूड कालेज और एजुकेशन हब बना डाला। माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में दिक्कतें हैं तो सिर्फ-और-सिर्फ पुलिस वालों को। अलेक्स पाल मेनन ने तो आ बैल मुझे मार कर दिया था। वरना, आईएएस के लिए तो हनीमून डेस्टिनेशन है बस्तर।
न्यू ईयर गिफ्ट-1
पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू को राज्य वित्त आयोग का चेयरमैन बनना लगभग तय हो गया है। नए साल में किसी भी दिन उन्हें न्यू ईयर गिफ्ट देने का ऐलान हो सकता है। आयोग अबकी दो सदस्यीय होगा। एक चेयरमैन, एक मेम्बर। इसीलिए, सरकार ने विधानसभा में एक और सदस्य के लिए पोस्ट पास कराया है। पता चला है, फायनेंस के जानकार या किसी रिटायर नौकरशाह को आयोग का सदस्य बनाया जाएगा। रमन सिंह की दूसरी पारी में मंत्री रहे साहू अभनपुर से पिछला चुनाव हार गए थे। उन्हें लाल बत्ती से नवाजने को जातीय समीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है। साहू समाज की सत्ता और संगठन में फिलहाल भागीदारी कम है। रमशीला साहू मंत्री हैं। मगर उनसे पार्टी का मकसद सध नहीं रहा है। कुर्मी समुदाय से अजय चंद्राकर महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री हैं। और, धरमलाल कौशिक पार्टी प्रमुख। सो, चंपू भैया को न्यू ईयर गिफ्ट देने से दोहरा लाभ होगा। चंपू भैया भी खुश और साहू समाज भी।
न्यू ईयर गिफ्ट-2
विभिन्न बीमारियों का इलाज कराने मुंबई जाने वाले लोगों के लिए सरकार वहां दिल्ली की तरह छत्तीसगढ़ भवन बनाने जा रही है। फर्क यह रहेगा कि यह आम लोगों के लिए उपलब्घ रहेगा। रियायती दर पर। इससे मंुबई में राज्य के लोगों को एक अच्छी सुविधा हो जाएगी। मगर सरकार को देखना होगा कि इसका दुरुपयोग ना हो। क्योंकि, रायपुर से मुंबई जाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। रोज छह फ्लाइट हो गई है। कुछ लोग वास्तव में काम से जाते हैं और कुछ लोग दूसरे काम से। दूसरे तरह के काम वालों को अगर फ्री में रहने की जगह मिल जाए, तो फिर मंुबई जाने के लिए छह फ्लाइट भी कम पड़ जाएगी।
कलेक्टर के खिलाफ पर्चा
सूबे में पहली बार किसी कलेक्टर के खिलाफ पर्चा बांटा जा रहा है। कलेक्टर हैं बलरामपुर के अलेक्स पाल मेनन। वहां के कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह अरसे से उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। महासमुुंद के विधायक विमल चोपड़ा से आगे निकलते हुए उन्होंने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मेनन के खिलाफ पीले रंग का पर्चा बांट दिया। बृहस्पति सिंह अब, पीला पर्चा बांटे या काला, मार्च-अप्रैल तक कुछ होना नहीं है। वह भी पक्का नहीं है। क्योंकि, सरकार के पास फीडबैक है कि मेनन ग्राउंड लेवल में वहां बढि़यां काम कर रहे हैं। वैसे भी सरकार ने महासमुंद कलेक्टर उमेश अग्रवाल को कहां हटाया। और, मेनन भी आखिर उमेश अग्रवाल के भाई की तरह ही काम कर रहे हैं। फिर, सरकार थोड़े ही चाहेगी कि कलेक्टर विपक्षी विधायक के साथ गलबहियां करें।
भाई-भाई
भिलाई नगर निगम चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के लिए भले ही प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया हो मगर दोनों पार्टियों में गुटबाजी सिर चढ़ कर बोल रही है। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को प्रचार के लिए एक दिन नहीं बुलवाया। इस बारे में दुर्ग के सांसद ताम्रध्वज साहू से पत्रकारों ने पूछा तो उन्होंने बड़ी मासूमियत से यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि भिलाई में बड़े नेताओं को नहीं बुलाया जा रहा है। इसके ठीक दो दिन बाद राजबब्बर प्रचार करने भिलाई पहुंच गए। इधर, बीजेपी ने सरोज पाण्डेय को चुनाव प्रचार से अलग रखा है। जबकि, सरोज तो वहीं की रहने वाली है।
बैड न्यूज
88 बैच के जांबाज आईपीएस अफसर सुरेंद्र पाण्डेय नहीं रहे। राज्य के बंटवारे में उन्हें मध्यप्रदेश काडर मिला था। मगर छत्तीसगढ़ से भी उनकी यादें जुड़ी हुई हैं। 92 में वे बिलासपुर में एडिशनल एसपी रहे और 98 में सरगुजा एसपी। सरगुजा में उन्होंने कई कुख्यात अपराधियों को ठिकाने लगाया तो बिलासपुर में भी वे खासे लोकप्रिय रहे। छत्तीसगढ़ में उनके बैच के तीन आईपीएस हैं। संजय पिल्ले, मुकेश गुप्ता और आरके विज। सुरेंद्र पाण्डेय महज 53 साल के थे। दो साल बाद डीजी बन जाते। मगर व्यायाम करने के दौरान हर्ट अटैक से उनका निधन हो गया।