छत्तीसगढ़ में शिक्षा के नाम पर चल रहे प्रयोग…अजय चंद्राकर बोले-मतिभ्रम का शिकार सरकार,कोरोना तुंहर पारा का खतरा..

Chief Editor
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बिलासपुर(मनीष जायसवाल)केद्र सरकार द्वारा देश के सभी राज्यों में स्कूलो में  शिक्षा पर कोरोना वायरस के फैलाव के डर से तालाबंदी चल रही है। अनेक राज्यो में ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा देने का बच्चों का प्रयास किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में नवाचार के नाम पर मोहल्ला और पारो में स्कूल लगाने के निर्णय को लेकर विरोध शुरू हो गया है।BJP शासन मे मंत्री रहे अजय चंद्राकर का मानना है कि छत्तीसगढ़ सरकार की मतिभ्रम हो गई है। कोरोना महामारी के संक्रमण के समय नए-नए प्रयोग करके बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ कर रही है। प्रदेश के भूगोल के अनुसार योजनाएं शिक्षा विभाग बना रहा है,अब वे कही पढ़ई तुंहर पारा,तुंहर चरवाहा,पढ़ई तुहर कालोनी ,बैंड बाजा क्लासेज, लाडस्पीकर क्लास चलाएंगे।जिससे छात्रों का भला होने वाला नही है उल्टे कोरोना संक्रमण का तुंहर द्वार का पारो में मुफ्त फैलाव होगा।

छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे  ने इस अव्यवहारिक निर्णय पर तत्काल रोक लगाने हेतु मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह मांग किया है कि जब स्कूल खोलकर पढ़ाने से कोरोना संक्रमण का भय है तो गली-गली, मोहल्लों में जाकर पढ़ाने से संक्रमण का खतरा कई गुना ज्यादा बड़ा है, क्योंकि गांवों में सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क नदारद है और लोगो की भीड़ जुट जाती है, बरसात का मौसम है आये दिन पानी गिर रहा है ऐसे में खुले में पढ़ाना भी कितना न्यायसंगत है यह भी सोचना होगा।महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री इस मामले हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए वीरेंद्र दुबे ने कहा कि  महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री संवेदनशील है और छ्ग के नौनिहालों की सुरक्षा व उन्हें संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए अवश्य ही इस अव्यवहारिक निर्देश पर रोक लगाएंगे।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि कोरोना काल मे शिक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए जो भी निर्देश  शिक्षा विभाग से जारी हो रहे है उसमें “स्वेच्छा शब्द जोड़ा”  जा रहा है। विभाग आदेश जारी नही कर रहा है। स्वेच्छा के नाम पर दबाव बनाया जा रहा है। शिक्षक शिक्षा  विभाग के शब्दो के जाल में फंस गया है। शिक्षक गांव की गलियों और चौपालों में कक्षा ले रहे है कल को इस व्यवस्था से कोरोना संक्रमण फैलता है तो इस की जिम्मेदारी आखिर कौन लेंगा ..? विभाग तो कह रहा है कि  शिक्षको को कोविड 19 के दिशा निर्देशों का पालन करन करना है। पर जमीनी स्तर पर  हर जगह यह सम्भव नही हो सकता है। 

नवीन शिक्षा कर्मी संघ के शिक्षक नेता विकास सिंह राजपूत का कहना है कि हर गाँव हर पंचायत की भौगोलिक स्थिति भिन्न भिन्न है। पढ़ाई तुंहर पारा कार्यक्रम की  गांव की गलियों से अच्छा है विभाग स्कुलो को ही खोल दे कम से कम अव्यवस्था के माहौल में तो नही होगा। गाँव की गलियों मोहल्लों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना गुरूजियों के लिए सबसे कठिन कार्य है। कल को किसी गांव में किसी शिक्षक या छात्र को की किसी अन्य से संक्रमण फैला तो शिक्षक का दुबारा गांव  या स्कूल जाना दुर्भर हो जायेगा।

नवाचार का मॉडल और जवाबदेही

मोहल्ला स्कूलों और नवाचारों के पीछे गाहे बजाए चर्चा आम है कि चंद लोगो की वाहवाही लूटने की होड़ से छत्तीसगढ़ में  बच्चो को बिना की किसी सुरक्षा,योजना, प्रयोजन  के  कोरोना के संक्रमण के  दौर में सरकारी स्कूलों के बदजाल से भी आगे मोहल्ला पारा वार्डो में झोंका जा रहा है.. ?  हम यह भो नही कह सकते कि राशन गणवेश और पुस्तको के निशुल्क वितरण से  बच्चे मेधावी बन जाएंगे।लेकिन तार्किक सोच की दो तस्वीरे एक साथ शिक्षा विभाग ख़ुद लेकर आया है जिसमे एक ओर तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के साथ निःशुल्क आन लाइन शिक्षा दे रहे है और वही दूसरी ओर गावो में मोहल्ले की दीवारों को कोयला पोतकर ब्लैकबोर्ड बना कर खिचड़ी शिक्षा के द्वारा राष्ट्र निर्माण का खाका तैयार किया जा रहा है।..मोहल्लों में पढ़ाई की जगह और बैठक व्यवस्था, समयसारिणी का इंतजाम,समुदाय के लोगो के द्वारा भी पढ़ाई आखिर  किसकी जवाबदारी है ..? अगर गांव में संक्रमण फैला तो इस महामारी से बचाव का क्या इंतजाम होगा..? अनेक जगहों पर सरपंच और सचिव से लिखित में ऐसे स्कूलों को आयोजित करने मना भी कर दिया है।

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