दिवंगत शिक्षक के परिवार के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति एवं 50 लाख रुपये अनुग्रह राशि स्वीकृत करे राज्य शासन: राजेश चटर्जी

Chief Editor
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जशपुर नगर   । सर्दी, खांसी के लक्षण वाले लोगों का घर-घर सर्वे का कार्य शिक्षकों से कराये जाने का गलत निर्णय ही,शिक्षक विनोद कुमार पटेल का कोरोना संक्रमण से मृत्यु का कारण है। शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षकों की सुरक्षा की परवाह किये बगैर,कोरोना प्रभावित लोगों की खोज करने उनकी ड्यूटी लगाये हैं। शिक्षक के मृत्यु के लिए ड्यूटी लगाने वाला अधिकारी ही जिम्मेदार हैं।       

उक्ताशय की मांग  करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी,जशपुर जिला अध्यक्ष विनोद गुप्ता एवं महामंत्री संजीव शर्मा का कहना है कि कोरोना वायरस का प्रकोप अब गाँवों में फैल रहा  है।इसी कड़ी में ग्राम देवादा(बेरला) में कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद,गाँव को कन्टेनमेंट जोन घोषित किया गया था। शिक्षक विनोद कुमार पटेल की मृत्यु कोरोना संक्रमण से होने की पुष्टि सी एम एच ओ बेमेतरा ने किया है।     फेडरेशन ने दिवंगत शिक्षक के परिवार के आश्रित को तृतीय वर्ग के पद पर अनुकंपा नियुक्ति एवं राजस्थान सरकार के भांति 50 लाख रुपये अनुग्रह राशि स्वीकृत करने की मांग राज्य शासन से करते हुए कहा है कि राज्य शासन कोरोना महामारी के रोकथाम हेतु हर संभव प्रयास कर रही है।लेकिन विभागीय अधिकारी अपने अदूरदर्शितापूर्ण रवैया एवं निर्णयों से शिक्षकों की बलि कोरोना वायरस को देने आमादा हैं।     पदाधिकारियों का कहना है कि देश में आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 लागू है।भारत सरकार के  नोटिफ़िकेशन में कहा गया है,कि “सेक्शन 6 (2)(I) के तहत मिली शक्ति का इस्तेमाल करते हुए आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 लगाया जा रहा है।ऐसे में भारत सरकार के मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों और अथॉरिटीज़ को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के आदेश का पालन करना होगा ताकि सोशल डिस्टेंसिंग को प्रभावी बना कर कोविड-19 के संक्रमण को रोका जा सके।”     पदाधिकारियों ने बताया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 55 के अंतर्गत सरकारी विभाग द्वारा अपराध शामिल है।जिसके तहत यदि कोई सरकारी विभाग गलती करता है तो उसके प्रमुख को दोषी माना जाएगा और उसके विरुद्ध एक्शन लिया जाएगा।  

   पदाधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार राज्य में कोविड-19 का संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है।सोशल डिस्टेंसिंग का पालन एवं अन्य सावधानी के कारण ही स्कूल और कॉलेजों को राज्य सरकार ने बंद रखा है।लेकिन शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा ,गाँव-शहर के सामुदायिक भवन,पंचायत भवन अथवा गलियों में विद्यार्थियों के एकत्रित कर सीख कार्यक्रम को अमलीजामा पहनाने तथा लाऊड स्पीकर के माध्यम से विद्यार्थियों को पढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।राज्य के सभी जिलों में कमोबेश यही हाल है।  उन्होंने शिक्षकों से दबाव में आकर काम नहीं करने का अपील किया है।वे हैं,तो उनका परिवार है।पदाधिकारियों ने सरकार से प्रश्न किया है कि जब अधिकारियों द्वारा गाँव एवं शहर के गलियों में पढ़ाना कोरोना वायरस संक्रमण से सुरक्षित माना जा रहा है ! तो स्कूल को सैनिटाइज कर पढ़ाना क्या ज्यादा सुरक्षित नहीं है ? इससे शिक्षकों को पुस्तक वितरण,साईकल वितरण एवं मध्यान भोजन जैसे आदि योजनाओं को घर-घर जाकर बाँटने की आवश्यकता नहीं होगी।

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