रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का हुआ जन्म

Chief Editor
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रामानुजगंज(पृथ्वीलाल केशरी)भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने रोहिणी नक्षत्र में देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था। इसलिए इस तिथि का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। मंगलवार को मध्य रात्रि में अष्टमी तिथी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व मनाया गया। कन्हर नदी के तीर पर बसे श्री राम मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या गिनती की रही। वैसे तो प्रत्येक वर्ष बड़े ही धूमधाम से मनाया जाया करता था लेकिन इस वर्ष कोरोना काल को लेकर भक्तों ने अपने घर पर ही कृष्ण जन्माष्टमी को मनाया। मंदिरों का आंगन सुना ना हो इसके लिए संबंधित समिति के लोगों के द्वारा ब्राह्मणों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव का कार्यक्रम संपन्न कराया गया। उपस्थित भक्तों के द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लोगों ने दर्शन कर प्रसाद ग्रहण किया। नगर के मध्य हनुमान मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर बजरंग दल के लोगों के द्वारा व्यवस्था सम्भाला गया।CGWALL NEWS के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की

जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की तीन समय पूजा की जाती है, पहले सूर्योदय के समय स्नान के बाद कृष्णजी की पूजा होती है। दूसरी देवकी सूतिकागृह के निर्माण के दौरान की जाती है, जिसमें कृष्ण के साथ माता देवकी की भी पूजा की जाती है। तीसरी मध्यरात्रि 12 बजे जन्म के बाद विधि-विधान से पूजा होती है। इसके बाद धूमधाम से जन्मोत्सव मनाया जाता है और ‘नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की’ गाया जाता है।

भगतों ने लगाया माखन-मिश्री का भोग

जन्माष्टमी के दिन माखन-मिश्री के अलावा खीर का भी भोग लगाया जाता है। मथुरा में माखन-मिश्री के अलावा पाग नाम का मिष्ठान भी बनाया जाता है। इसके अलावा 5 फल, मेवा, पंजीरी, पकवान और सबसे महत्‍वपूर्ण माखन मिश्री का होना जरूरी माना गया है। माखन मिश्री कृष्ण को बहुत प्रिय है। बताया जाता है कि जब कान्हा का जन्म हुआ था तब नंदगांव की महिलाओं ने सपना देखा था कि गोपाल उनसे माखन-मिश्री मांग रहे हैं, तब अगले दिन महिलाएं नंदबाबा के घर माखन लेकर बधाई देने गई थीं।

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