अन्तर्राष्ट्रीय वर्चुअल सेमीनार.. विद्वानों ने कहा..हालात चिन्ताजनक ..फिर भी भारत के हालात ठीक..लेकिन अमेरिका की दिशा सही नहीं..

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर से संबद्ध शासकीय जेपी वर्मा स्नातकोत्तर कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय बिलासपुर में राजनीति विज्ञान विभाग और आइक्यू ए सी सेल के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल  सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्वानों ने वैश्विक स्तर पर उभरते विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे। साथ ही कोरोना से उत्पन्न हालात को लेकर भी गंभीर मंथन किया गया।
 
                 एसबीआर कालेज में अन्तर्राष्ट्रीय वर्चुअल सेमीनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के संगठन सचिव डॉ संजय कुमार तिवारी ने अतिथियों का परिचय कया। सेमिनार के विषय पर प्रकाश भी डाला। .   सेमिनार में अतिथि वक्ता के रूप में प्रोफेसर के जय प्रसाद और प्रोफेसर आर के मिश्रा, प्रो भुवन उन्हेल्कर अमेरिका, रिचा शर्मा अमेरिका विशेष रूप से मौजूद रहे। मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर गौरी दत्त शर्मा कुलपति अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर ने उपस्थिति दर्ज कराया। 
 
          कार्यक्रम के आरंभ में  महाविद्यालय के प्राचार्य ने स्वागत भाषण दिया। राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ दीपशिखा शुक्ला ने कोविड-19 ग्लोबल इंपैक्ट पर अपने विचार रखे। उन्होने बताया कि हमें 4 आयामों की समीक्षा करना समीचीन होगा।  एक सामाजिक संबंधों की दिशा , दो लोगों का मनोविज्ञान, एव तकनीकी पक्ष और  राजनीतिक परिवेश में वैश्विक राजनीति में अमेरिका की भूमिका ।  डॉ शुक्ला ने कहा कि वर्तमान के वैश्विक राजनीति में अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण होनी चाहिए थी। इस समय सही दिशा में न जाकर राष्ट्रवाद पर केंद्रित हो चुका है। जबकि वैश्विक संगठन की ओर ध्यान देना चाहिए।
 
          अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर जी डी शर्मा ने कहा कि वर्तमान में करोना से संक्रमित मनुष्यों की संख्या में दिनों दिन  बढ़ोतरी होती जा रही है। कोरोना से मरने वालों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है। भारत देश के हालात भी चिंताजनक हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में भी हालात नाजुक दिशा की ओर बढ़ रहे हैं। बावजूद इसके राहत की बात है कि हमारे देश में कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक होने का ग्राफ अन्य देशों की तुलना में बेहतर है । कुलपति ने विभिन्न देशों के आंकड़ों को प्रस्तुत करते हुए कोरोना संक्रमित और और ठीक होने वाले मरीजों के आंकड़ों को पेश किया।
 
              केंद्रीय विश्वविद्यालय केरल के प्रो कुलपति प्रोफेसर के जय प्रसाद ने कहा कि कोविड-19 में न सिर्फ सामाजिक क्षेत्र को प्रभावित किया है। बल्कि इसने समस्त अकादमिक कार्यों को भी प्रभावित किया है । चाइना से उत्पन्न इस वायरस ने चिकित्सा विज्ञान के समक्ष नई चुनौतियां पैदा कर दी हैं । इसने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अत्यंत विकसित देशों के विकास को भी अवरुद्ध कर दिया है । अत्यधिक संख्या मौतें हो रही हैं । ऐसे हालात चाइना के द्वारा प्रारंभिक अवस्था में कोरोना वायरस के संक्रमित और उससे हुई मौतों के वास्तविक आंकड़ों को विश्व समुदाय के समक्ष सही ढंग से प्रस्तुत ना करने के कारण हुई है ।
 
              प्रोफेसर आर के मिश्रा रिटायर्ड प्रोफेसर लखनऊ विश्वविद्यालय ने कहा कोरोना ने जीवन के सभी पक्षों को प्रभावित किया है। राजनैतिक, सामाजिक पर्यावरणीय और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को अत्यधिक प्रभावित किया है । संसार में इस वायरस के विरुद्ध एक महायुद्ध छिड़ गया है ।इस वायरस की प्रकृति या स्वभाव को जानने में वक्त लगता है । हमें पता तब चलता है जब मनुष्य संक्रमित हो चुका रहता है । इसके पूर्व अनेक महामारी आई है किंतु उसने किसी देश विशेष को प्रभावित किया था । कोरोना ने तो पूरे विश्व को प्रभावित किया है। लोगों में आत्महत्या करने जैसे हालात पैदा कर दिया है।
 
              अमेरिका के साउथ फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भुवन उन्हेलकर ने कोविड-19 के दौर में टेक्नोलॉजी विषय पर अपनी बात रखी । उन्होंने कहा की टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान ऐसे वायरस की खोज करने  में है । विषम स्थिति में टेक्नोलॉजी वैक्सीन की खोज से लेकर महामारी के नियंत्रण तक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । उन्होंने टेक्नोलॉजी के पांच आयाम भी बताये।  न्यू जर्सी यू एस ए में वर्तमान में साइक्लोजिस्ट  डॉक्टर रिचा शर्मा ने कोविड-19 के साइकोलॉजिकल इंपैक्ट पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 का ज्यादा प्रभाव स्कूली बच्चों पर पड़ा है।
 
           वर्चुअल सेमिनार के अंत में डॉ एस के त्रिपाठी ने समस्त अतिथियों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया । सेमिनार का सफल संचालन डॉक्टर संजय कुमार तिवारी राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक ने किया।  सेमिनार में प्रमुख रुप से डॉ एस एस उपाध्याय, डॉ के. के. सिन्हा, डॉ वंदना तिवारी, डॉ माया यादव एव महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक उपस्थित थे। सेमिनार में देश विदेश से करीब 1000 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया था।
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