कोरोना काल में क्लास नहीं लग रही…तो फीस क्यों ले रहे प्राइवेट स्कूल…?पालकों के संगठन ने की फीस माफ करने की मांग

Chief Editor
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बिलासपुर(मनीष जायसवाल)।कोरोना काल  में स्कूल नहीं लग रहे हैं। NO School No fees  की  मुहिम न्यायलय तक पहुँच गई । न्यायालय ने स्कूल संचालकों को ट्यूशन फीस ले सकने की अनुमति दी है।  इस फैसले के कुछ बिंदुओं पर असहमत  कुछ पालक संघ पुनः न्यायालय की ओर रुख करने जा रहे है। पालको का आरोप है कि  ट्यूशन फीस को लेकर निजी स्कूल प्रबंधन मनमानी पर उतर आए है।निजी स्कूल और पालकों के बीच इस ट्यूशन फीस को लेकर मतभेद उतपन्न हो गया है।छात्र कल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष दाऊ शुक्ला का कहना है कि राज्य सरकार के कड़े दिशा निर्देश को निजी स्कूलो मालिको ने लिफाफे रख दिया है।स्कूल शिक्षा सचिव को निजी स्कूल से कुछ लेना देना नही है। सरकारी स्कूल की हवा हवाई योजनाओ जैसे हवा हवाई निर्देश निजी स्कूलों के लिए जारी कर रहे है। शासन की अवहेलना करने वाले स्कूलो पर …  कलम दवात खर्चा  क्यो नही कर रहे है।CGWALL न्यूज़ के व्हाट्सएप ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

             
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निजी स्कूल मालिको के  साथ  स्कूल शिक्षा विभाग की कोई साँठ गांठ है क्या ..?  प्रमाण पत्र देने वाला स्कूल शिक्षा विभाग पालकों को बताये ..ट्यूशन फीस की सरल परिभाषा  …! बीते पांच सालों में और वर्तमान ट्यूशन फीस में क्यो अंतर आ गया है ..? ट्यूशन फीस की प्रमाणिकता को किस आधार पर जिला शिक्षा अधिकारियों ने लागू होने दिया है।

सर्व स्कुल अभिभावक एवं विद्यार्थी कल्याण संघ के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल का कहना है कि न्यायलय ने 22 स्कूलों के सम्बंध में दिशा निर्देश जारी किए थे। लोक।शिक्षण संचनालय के अधिकारियों ने इसे पूरे राज्य के लिए जारी कर दिया है। स्कूल जब 10 महीने लगते है तो 12 महीने की फीस क्यो वसूली जा रही है। लॉक डाऊन काल मे जब स्कूल ही नही लगे तो फीस किस बात की है। इस काल की स्कूल फीस माफ की जानी चाहिए। मनीष का कहना है कि पालक ट्यूशन फीस देना चाहते है लेकिन इसके निर्धारण का मापदंड नीति संगत होना चाहिए।निजी स्कूल मालिको द्वारा न्यायालय के निर्णय को आधार बना कर ट्यूशन फीस की मानमनी व्याख्या करके ट्यूशन फीस लेना गलत है। न्याय की आस लेकर हम जल्द हो न्यायलय जाने वाले है।

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