दिल्ली।7th Pay Commission, 7th CPC Latest: संसद (Parliament) के निचले सदन यानी कि लोकसभा (Lok Sabha) के कर्मचारियों को पहली बार ड्रेस भत्ता मिलेगा। अंग्रेजी अखबार ‘एचटी’ की रिपोर्ट में शुक्रवार को इस मामले के जानकार के हवाले से कहा गया कि अब लोकसभा के कर्मचारियों को नई यूनिफॉर्म के लिए भत्ता मिलेगा, जबकि पहले उन्हें दो साल में एक बार कपड़े के कट पीस दिए जाते थे। पहले उनके पास चार से पांच दिल्ली के दर्जी होते थे जो कट पीस (कपड़ों के टुकड़ों) को सिला करते थे। इन कर्मचारियों के लिए पहली बार वार्षिक यूनिफॉर्म भत्ता (Annual Uniform Allowance) लाया गया है, जो कि महिलाओं के लिए 17 हजार रुपए तक होगा और पुरुषों के लिए यह रकम 16 हजार रुपए रहेगी।
हालांकि, यह राशि इन कर्मचारियों के लिए काम और रैंक/पद आदि पर भी निर्भर करेगी।संसद सचिवालय (Parliament Secretariat) की पांच प्रमुख ब्रांचों (रिपोर्टिंग, टेबल ऑफिस और सिक्योरिटी आदि शामिल) के कर्मचारी इस भत्ते के लिए योग्य होंगे। नाम न बताने की शर्त पर अखबार को एक अफसर ने बताया, “ये ब्रांचें सांसदों और अन्य आगंतुकों से जुड़ा काम-काज देखती हैं। ये संसदीय सचिवालय का चेहरा हैं और इसलिए इनके पास ऐसी निर्धारित यूनिफॉर्म हो, जो भारतीय संसद की गरिमा और ग्लैमर को जोड़ती है।अधिकारियों के अनुसार, इस भत्ता प्रणाली का फायदा यह है कि कर्मचारी अपनी नई यूनिफॉर्म हर दो साल में लेने के बजाय जब चाहें, खरीद सकेंगे। वे कपड़े खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं, जो कि निर्धारित रंग पैटर्न का पालन करते हों।
महिला कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड तय है, जो कि एक पैटर्न की साड़ी है। पुरुषों के लिए यह सफारी सूट की एक श्रेणी है, जिसमें नीला, फॉन, प्रशियन नीला, चारकोल रंग होगा। यह कर्मचारी के विभाग पर निर्भर करेगा कि वह कहां काम करता है। वहीं, सर्दियों में पुरुष और महिला दोनों ब्लेजर और बटन वाले कोट पहनते हैं।
टेबल ऑफिस, सदन की पूरी कागजी कार्रवाई से जुड़ा काम संभालता है। साथ ही वाद-विवाद और बिलों से जुड़े नोटिस हासिल करता है। यह प्रश्नकाल के लिए प्रश्नों को भी हल करता है। संसद की सिक्योरिटी ब्रांच सुरक्षा से संबंधित सभी पहलुओं को संभालती है।
रिपोर्टिंग ब्रांच सदन और संसदीय समितियों के अंदर होने वाली सभी चर्चाओं के शब्दशः नोट लेती है। चैंबर अटेंडेंट, जो ड्राइवरों के साथ भत्ते के लिए भी पात्र हैं, स्पीकर के कक्ष में ड्यूटी पर हैं। वे वीआईपी मेहमानों को संभालते हैं। ड्राइवर सांसदों को उनके आवास से सदन तक ले जाते हैं।
चैंबर अटेंडेंट्स को सालाना 8,000 रुपए और ड्राइवरों को यूनिफॉर्म अलाउंस के तौर पर 9,000 रुपये मिलेंगे। वहीं, संसद की सिक्योरी सर्विस में महिला अधिकारियों को 17,000 रुपए और उनके पुरुष समकक्षों को 16,000 रुपए दिए जाएंगे।बता दें कि एक वेतन आयोग (Pay Commission) का गठन केंद्र सरकार करती है। यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी के ढांचे में बदलाव की सिफारिश करता है। देश में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार किए जाने के बाद में एक जनवरी, 2016 से लागू किया जा चुका है।
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