प्रदेश को बाहरी लोगों ने किया हाइजेक..बघेल

BHASKAR MISHRA
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IMG_20160101_160821बिलासपुर– जो छत्तीसगढ़ की लोक कला और संस्कृति का सम्मान करता है। वह छत्तीसगढिया है। हम शिवसेना की तरह नहीं सोचते। हमारी सोच में स्वाभिमान है अभिमान नहीं। हमारे बाबा डॉ.खूबचंद बघेल ने छ्तीसगढ़ भातृ संगठन का गठन किया। इस मंच से पृथक छ्तीसगढ़ी राज्य की परिकल्पना की । हमें पृथक राज्य तो मिला लेकिन न्याय नहीं मिला। प्रदेश की जनता त्रस्त है। लोग एक दूसरे के खून के प्यास हैं। अनुराग खत्म हो गया है। बाहरी लोगों ने हमे नीचा दिखाने का प्रयास किया है। रहते छत्तीसगढ़ में हैं गाते बाहरी राज्यों के हैं। जो ऐसा करते हैं वे छत्तीसगढ़िया नहीं बल्कि छ्तीसगढ़ के दुश्मन हैं। यह बातें कद्दावर नेता,समाजसेवक,छत्तीसगढ़ राज्य के स्वप्नदृष्टा,किसान नेता डॉ.खूबचंद बघेल के पोता अमित बघेल ने सीजी वाल से कही।

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                     अमित बघेल ने एक सवाल के जवाब में बताया कि छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना का गठन राजनीति में जाने के लिए नहीं किया है। ना ही टिकट पाने के लिए मैने यह सब किया है। उन्होने बताया कि हमें पृथक राज्य तो मिला लेकिन न्याय नहीं मिला। प्रदेश की जनता पहले से कहीं ज्यादा परेशान है। बाहरी लोगों ने छत्तीसगढ़ की संपदा पर कब्जा कर लिया है। हमारी रत्नगर्भा धरती बांझ होती जा रही है। राजनेताओं को इससे कोई मतलब नहीं है। जमकर पैसा बनाया जा रहा है। लेकिन बाहरी लोगों के द्वारा। ऐसे में छ्त्तीसगढ़ और यहां के लोगों को हासिल क्या हो रहा है।

                      अमित बघेल ने बताया कि सिर्फ पन्द्रह साल में छ्तीसगढ़ की स्थिति भयावह हो गयी है। इससे ही भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होने कहा कि मैं आउटसोर्सिंग मुद्दे पर अमित जोगी के साथ हूं। उन्होंने कहा कि हमे बाहरी लोगों से कोई दुश्मनी नहीं है। यहां रहने वाला वही व्यक्ति छत्तीसगढ़िया है जो यहां की धर्म,कला, संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करता है।

                                 उन्होने बताया कि पुरखा के सुरता कार्यक्रम बिलासपुर में तीन जनवरी को होगा। कार्यक्रम के जरिए छत्तीसगढियों के सोए हुए स्वाभिमान को जगाने का प्रयास किया जाएगा। यह अभियान पुरे प्रदेश में चलेगा। अमित ने बताया कि प्रदेश बनने के बाद नेताओं ने जाति पांति में बांटकर छत्सीगढ़िया होने की परिभाषा गढ़ दिया है। यह गलत है। प्रदेश उन सबका है जो यहां की मिट्टी से प्यार करते है। इसके निर्माण में अपना योगदान देते हैं। अमित ने बताया कि तीन जनवरी को आयोजित कार्यक्रम में गुरूघासी दास बाबा और छत्तीसगढ़ महतारी की महाआरती होगी।

                                                    उन्होने बताया कि छत्तीसगढ़ के पिछडेपन का सबसे बड़ा कारण छत्तीसगढ़ी जातिवाद है। यहां के लोगो में यह धारणा घर कर गयी है कि छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति भी जाति के आधार पर विभाजित है। जो छत्तीसगढ़ के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा है। इसे दूर करने की जरूरत है। गुरूघासी दास बाबा किसी धर्म या समुदाय के नही हैं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के पुरखा है। लोगो के मन से यह भ्रांति मिटाने के लिए पुरखा के सुरता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की लोक कला,संस्कृति का प्रदर्शन किया जाएगा।  कार्यक्रम में लोक गाथा, लोक परलोक, नाचा, सुवा, भोजली, राऊत नाचा, और डंडा नृत्य पेश किया जाएगा।  कार्यक्रम में सास गारी देवय की गायिका रमा जोशी की विशेष पेशकश होगी।

                   आदिवासी मुख्यमंत्री के सवाल पर अमित बघेल ने कहा कि हमे आदिवासी नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ी मुख्यमंत्री चाहिए। खूबचंद बघेल का पोता टिकट नही पाया या फिर किसी पार्टी ने महत्व नहीं दिया इसलिए क्रांति सेना का गठन किया के सवाल पर अमित ने बताया कि ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे बाबा खूबचंद बघेल के साथी नेता पंडित रविशंकर शुक्ल और बाद में उनके बेटे पैसे वाले हो गये। उनके पास घन संपत्ति की कमी नहीं है। लेकिन खूबचंद बघेल का परिवार आज भी छानी वाले घर में रहता है। इतनी शक्ति नहीं है कि छानी को हेरफेर कर सके। यदि मुझे या मेरे बाबा को शुक्ल परिवार की तरह चाहत होती तो हम लोग आज यहां नहीं होते। मेरे बाबा ने छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान के लिए अपने आप को अर्पित कर दिया। मैं भी वहीं करूंगा। प्रदेशवासियों के स्वाभिमान जगागर रहुंगा। जाति पांति मिटाने के लिए जीवन के अंतिम समय तक संघर्ष करूंगा।

                        अंत में उन्होंने बताया कि कांग्रेस और भाजपा एक ही थैली के सिक्के हैं। इन दोनों ने प्रदेश को केवल और केवल लूटा है। बाहरी लोगों ने प्रदेश को हाइजेक कर लिया है। प्रदेश का आम इंसान दर्द से छटपटा रहा है। आज भी सरकार ने छ्तीसगढ़ी राजभाषा को पूरी तरह से सम्मान नहीं दिया। पाठ्यपुस्तक में छत्तीसगढ़ी भाषा को शामिल नहीं किया । इससे ज्यादा दुख की क्या बात हो सकती है।

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