विधानसभा में CM भूपेश बघेल द्वारा प्रस्तुत छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल, शासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित

Chief Editor
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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा प्रस्तुत शासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने यह शासकीय संकल्प प्रस्तुत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिल चुका है। लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा अभी तक संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पायी है। छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास और मान्यता के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा का संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल होना आवश्यकता है।

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मुख्यमंत्री ने सदन में बताया कि उन्होंने इस संबंध में अशासकीय संकल्प लाया था, जो पारित नहीं हो पाया था। इसके बाद एक साल तक वातावरण निर्माण के लिए साहित्यकारों, कवियों के साथ बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव में संगोष्ठियां आयोजित की गई। वर्ष 2007 में उन्होंने पुनः विधानसभा में छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अशासकीय संकल्प लाया गया था, जिसे समवेत स्वर में पारित किया गया। पिछली सरकार ने भी भारत सरकार को छत्तीसगढ़ विधानसभा में छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा था। अनेक क्षेत्रीय भाषाएं आठवीं अनुसूची में शामिल हुई, लेकिन छत्तीसगढ़ी भाषा संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पायी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार छत्तीसगढ़ी तीज-त्यौहारों, खान-पान, रहन-सहन को बढ़ावा दे रही है। अब मंत्रालय में भी अधिकारी-कर्मचारी छत्तीसगढ़ी सीख रहे हैं। अधिकारी-कर्मचारी कार्यक्रमों में स्वागत भाषण और आभार प्रदर्शन छत्तीसगढ़ी भाषा में करना शुरू कर दिए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब ओडिशा के लोग आपस में मिलते हैं तो ओड़िया में, तेलगू लोग मिलते है तो तेलगू भाषा में और जब मराठी लोग मिलते है तो मराठी में बात करते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 20 साल हो गए हैं, लेकिन छत्तीगसढ़ी 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं हो पायी है। केन्द्र सरकार से एक बार फिर इस संबंध में आग्रह करने के लिए यह शासकीय संकल्प विधानसभा में लाया गया है। मुख्यमंत्री के सभी सदस्यों से इस संकल्प को सर्वसम्मति से पारित करने के अनुरोध के बाद यह संकल्प विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया। चर्चा में श्री अजय चन्द्राकर, संगीता सिन्हा, धरमजीत सिंह और डॉ. रमन सिंह ने हिस्सा लिया।

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