बिलासा की धरती का जवाब नहीं-शिखा राजपूत तिवारी

BHASKAR MISHRA
9 Min Read

IMG-20160102-WA0014 बिलासपुर(भास्कर मिश्र)—पदस्थापना कहीं भी हो बिलासपुर उनके लिए हमेशा से खास रहा है। अपना शहर किसे खास नहीं लगता है। माता पिता का संसार, स्नेह आशीर्वाद और परिवार के साथ समाज और देश के लिए मिले दायित्व का निर्वहन करने की सीख और संस्कार मुझे बिलासपुर में ही मिले हैं। आज बिलासपुर विकास की दिशा में तेजी से अग्रसर हुआ है,पहले भी था। लेकिन अब विकास की गति बहुत तेज हो गयी है। बिलासपुर में काफी परिवर्तन आ गया है। सुनियोजित तरीके से बढ़ रहा है। स्मार्ट सिटी बनने से बिलासपुर वासियों को महानगरीय सुविधाओं का लाभ मिलेगा।

Join Our WhatsApp Group Join Now

               रतनपुर मां महामाया कि पवित्र धार्मिक नगरी, ताला, मल्हार, लूथरा शरीफ, काली माता की धरती हमेशा से सबकी मनोकामनाओं को पूरी करती है। बिलासपुर धार्मिक, आध्यात्मिक और पुरातात्विक महत्व का केन्द्र है। न्याय का मंदिर, एसईसीआर, एसईसीएल, कानन पेण्डारी बिलासपुर की विशेष पहचान है। अन्तःसलीला अरपा पर स्थित बिलासपुर की अपनी अलग जीवन शैली है। यहां की लोकस्वर, लोकसंस्कृति और लोकव्यवहार की यांदे मुझे हमेशा अपनी ओर खींचती हैं। सच तो यह है कि बिलासपुर की माटी की सोंधी खुश्बू का जवाब नहीं। मन की बातों को सीजी वाल से साझा करती हुई कोंडागांव जिला कलेक्टर शिखा राजपूत तिवारी ने कही। प्रस्तुत है सीजी वाल से बातचीत के कुछ अंश–

सवाल—आपकी प्रांरंभिक शिक्षा दीक्षा कहां हुई। प्रशासनिक सेवा में कैसे आना हुआ।

उत्तर.. पिता जी सरकारी नौकर थे। प्रारंभिक शिक्षा का कुछ हिस्सा इंदौर में बाद सारी पढ़ाई लिखाई बिलासपुर में हुई। मैने नौकरी के दौरान एमबीए किया। ग्रेजुएशन करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ गयी। सिविल सर्विस की तैयारी करने लगी। भूगोल मेरा प्रिय विषय था। इसी से पोस्ट ग्रेजुएट किया। यूपीएससी में इसका लाभ मिला।

सवाल…सिविल सेवा से जुडने का विचार कैसे आया..। इसके अलावा आपने किन प्रतियोगी परीक्षाओं जुड़ीं।

उत्तर- मेरा लक्ष्य बैंकिंग सेवा से जुड़ने का था। तैयारी के दौरान महसूस की कि धीरे-धीरे बैंकिंग सेवा रेसेशन की स्थिति आ गयी है। पीएससी की तैयारी शुरू कर दी। साथ में सिविल सेवा की भी तैयारी की। 2003 में मेरा चयन उप-पंजीयक के पद हुआ। इसी दौरान केन्द्रीय स्कूल और मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग में भी चयन हुआ। 2007 में यूपीएससी में प्रारंभिक सफलता तो मिली लेकिन बात नहीं बनी। उप-पंजीयक रहते हुए साल 2008 में यूपीएससी की परीक्षा में प्रवीण्य सूची में 38 वां स्थान मिला। मैने बिलासपुर में ही रहकर अपनी तैयारी की थी। बीच में दिल्ली भी गयी। लेकिन आईएएस बनने का ख्वाब बिलासपुर में ही हुआ।

सवाल— छोटे से शहर बिलासपुर की बेटी प्रविण्य सूची में स्थान बनायी..कैसा महसूस करती हैं आप..

उत्तर—प्रवीण्य सूची में स्थान मिलने से मेहनत सार्थक हुई। इसमें मेरे मित्रों के साथ परिवार का भरपूर योगदान है। बहुत खुशी मिली जब मुझे छत्तीसगढ़ काडर मिला। मेरे लिए सौभाग्य की बात थी। जिस धरती में पली बढ़ी उसी धरती की सेवा का अवसर मिला। मेरी सफलता में मेरे अपनों का बहुत बड़ा योगदान है।

प्रश्न…जिम्मेदार पद पर होने के कारण लोगों की उम्मींदे बहुंत होंगी। अधिकारियों से आपको कैसा समर्थन मिल रहा है।

उत्तर— मेरे शक्ति का मूल स्रोत मेरा परिवार है। सरकारी कामकाज का अनुभव मुझे उप-पंजीयक रहते हुए मिला। इस दौरान मुझे अपने सहयोगियों,ईष्ट मित्रों और परिवार का भरपूर समर्थन मिला। आईएएस बनने के बाद महासमुंद, कठघोरा और रायपुर में कार्य के दौरान कामकाज का भरपूर अनुभव मिला। कोंडागांव कलेक्टर रहते हुए मिल अनुभव का फायद मिल रहा है। हमेशा से प्रयास किया है कि प्रक्रियागत पेचदीगियों को सरल बनाया जाए। इसका लाभ लोगों को मिल भी रहा है।

प्रश्न— कोंडागांव कलेक्टर रहते हुए आपकी प्राथमिकता क्या है। क्या-क्या चुनौतियां हैं। कैसे सामना कर रही हैं।

उत्तर..कोंडागांव में समस्थ्यागत समस्या है सबसे बड़ी चुनौती है। सुदुर आदिवासी क्षेत्र तक स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और उसके लाभ को पहुंचाना शासन का लक्ष्य है। स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ सबको मेरी भी प्राथमिकता है। इस अभियान में मुझे जनता,अधिकारी,कर्मचारी,संगठनों और निजी चिकित्सालयों का भरपूर समर्थन भी मिल रहा है।

प्रश्न…कोंडागांव को किस रूप में परिभाषित करना चाहेंगी। जिले की क्या विशेषता है।

उत्तर—कोंडागांव विविधताओं और विशेषताओं का अनूठा संगम है। जिले को प्रकृति का भरपूर स्नेह मिला है। यहां विश्व स्तर के शिल्पकार हैं। शिल्पकारों की धातु,मिट्टी कला की कोई सानी नहीं है। चित्रकारी, बांस कला में यहां के लोगों का कोई जवाब जवाब नहीं । गली-गली में कलाप्रेमियों का निवास है। लेकिन कलाकारों के सामने समस्याएं भी बहुत हैं। जीवन का ज्यादातर हिस्सा संघर्ष में गुजर जाता है। समस्याओं को दूर करना हमारी प्राथमिकता है। सरकार के सहयोग से कर भी रही हूं।

IMG-20160102-WA0015प्रश्न… कोंडागांव को संवेदनशील जिला माना जाता है। महिला होकर समस्याओं का कैसे सामना करती हैं।

उत्तर—यह सच है कि कोंडागांव नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। घने जंगल आदिवासी बहुल्य और पिछ़ड़ा क्षेत्र होने के कारण यहां के लोगों को सरकार का विशेष प्यार भी हासिल है। यहां नक्सल हिंसा से प्रभावित परिवारों की कमी नहीं है। ऐसे परिवारों का विस्थापन और उनकी समस्याओं का निराकरण मेरी प्राथमिकता में है। रोजगारमूलक कार्यक्रमों का क्रियान्यवयन,कौशल उन्नयन,आंगनबाड़ी केन्द्रों का सुधार और बच्चों को केन्द्र तक लाना, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और आधारभूत सुविधाओं का सुदूर अंचल तक विस्तार सरकार की प्राथमिकता में शामिल है।

प्रश्न—मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री ने आपके कार्यों को सम्मानित किया है। यह सम्मान जीवन में क्या मायने रखते है।

उत्तर—सीएम और केन्द्रीय मंत्री रविशंकर के हाथों डायबिटीज और डीजिटल इंडिया के लिए मुझे सम्मान हासिल हुआ। दरअसल सम्मान मेरी टीम का था। जिनके सहयोग के बिना कुछ भी संभव नहीं था। खुशी होती है उपलब्धियों को हासिल कर। लेकिन सबसे बड़ी खुशी तब मिलती है जब मैं अपने साथियों के प्रयासों को गरीबों और जरूरतमंदों के होठों पर खुशी के रूप में देखती हूं। यदि वह खुशियां नहीं दिखती तो सीएम के हाथों सम्मानित होने का अवसर भी नहीं मिलता। मेरा लक्ष्य सिर्फ इतना है कि जिम्मेदारियों के निर्वहन में किसी प्रकार की कोताही ना हो। यदि काम अच्छा होगा..तो लोगों को इसका लाभ मिलेगा। जाहिर सी बात है कि इसका परिणाम टीम टीम को भी हासिल होगा।

IMG-20160102-WA0016प्रश्न..सार्वजनिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच तालमेल कितना मुश्किल और कितना आसान है।

उत्तर—चुनौतियों का सामना करने का गुण मुझे जन्मजात मिला है। चुनौतियां आगे बढने को प्रोत्साहित करती हैं। चुनौती लेने वालों से प्रकृति भी प्यार करती है। मैं घरेलू लड़की रही हूं। स्कूल के बाद ज्यादातर समय घर में बीता। जीवन से जुड़ी सभी समस्याओं का उत्तर मुझे घर से ही मिला। परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं। जिम्मेदारियां समय के साथ बढ़ी हैं। घर के लिए समय कम निकाल पाती हूं। लेकिन जो भी समय मिलता है बच्चों और परिवार के साथ खर्च करती हूं। मैने घर के काम और कार्यालय की जिम्मेदारियों में कभी मिलावट नहीं किया। सामान्य महिलाओं की तरह खाना-खजाना,बच्चों के साथ शापिंग करना अच्छा लगता है।

प्रश्न— क्या कभी बिलासपुर की याद आती है..कैसा महसूस करेंगी यदि बिलासपुर की जिम्मेदारी मिले।

उत्तर—बिलासपुर मेरा घर है। घर से किसे लगाव नहीं होता। मेरी सभी सुखद अनुभूतियां बिलासपुर से ही जुड़ी हैं। बिलासपुर ने मुझे पहचान दी है। खुशी होती है कि मेरा बिलासपुर तेजी से विकास कर रहा है। यहां के लोग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जिले के नाम रोशन कर रहे हैं।

close