यहाँ मोटरसायकिल गुरूजी बोर्ड बांधकर गांव में बच्चों को आते है,पढ़ाने लाॅकडाउन के कारण बच्चें स्कूल नहीं जा सकते,तो खुद स्कूल पहुंच रहा है बच्चों के पास

Chief Editor
4 Min Read

जशपुरनगर-जशपुर के पैकू गांव में बच्चे लाॅकडाउन के कारण स्कूल नहीं जा सकते तो खुद स्कूल पहुंच रहा है बच्चों के पास। बच्चों को शिक्षा देने का ऐसा जूनून के एक शिक्षक मोटरसायकिल में वाईट बोर्ड लेकर बच्चों को पढ़ाने आता है। ये कहानी है विकासखंड जशपुर के ग्राम पैकु के शासकीय प्राथमिक शाला के शिक्षक श्री विरेन्द्र भगत की जो कोरोना महामारी के समय भी मोटरसायकल पर बोर्ड लेकर गांव में बच्चों को पढ़ाने के लिए आते है। कोरोना महामारी के कारण लाॅकडाउन के वजह से जहां सभी विद्यालय बंद हो गए। जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा था। उनकी पढ़ाई बंद हो गई। यहां के बच्चों के पास न स्मार्टफोन था और न ही इंटरनेट की सुविधा जिससे उनकी पढ़ाई जारी रख सके। बच्चों के पालकों का कहना है कि स्कूल बंद होने के चलते बच्चें दिन भर इधर-उधर घूमते रहते थे और वे पहले का पढ़ा हुआ भी भूलते जा रहे थे। बच्चों के पालक शिक्षकों से पूछते थे कि स्कूल फिर से कब खुलेेंगे ताकि बच्चें पहले जैसे स्कूल जाकर शिक्षा ग्रहण कर सके.CGWALL न्यूज़ के व्हाट्सएप ग्रुप् से जुडने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये

Join Our WhatsApp Group Join Now

अभिभावकों के इस समस्या को देखते हुए शिक्षक विरेन्द्र भगत ने तय किया कि अगर बच्चें स्कूल नहीं आ सकते तो स्कूल को ही बच्चों तक लेकर जाएंगे। उन्होंने इसके लिए गांवों में बच्चों के माता-पिता एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि से चर्चा कर उनसे सलाह लिया। गांव वाले कोविड-19 के संक्रमण को लेकर डरे हुए थे, लेकिन वे बच्चों की पढ़ाई नही होने से भी चिंतित थे। इसलिए उन्होंनें भी सहमति दे दी। उसके बाद प्रतिदिन शिक्षक विरेन्द्र अपने मोटरसायकल में वाईटबोर्ड लेकर गांव में आने लगे एवं सुरक्षित स्थान पर बच्चों के समूह बनाकर उनकी कक्षाएं लेने लगे। वे प्रतिदिन बच्चों की 3 से 4 कक्षांए लेते है।

हर समूह में 8-10 बच्चें होते है जिससे सोशल डिस्टेंस का पालन हो सके। बच्चों को मास्क और साफ-सफाई से जुड़ी चीजे भी उपलब्ध कराई गई है। साथ ही वे बच्चें एवं उनके पालकों को कोरोना महामारी से बचाव के संबंध में आवश्यक जानकारी भी देते है। विरेन्द्र एक स्थान पर कक्षा लेने के बाद अपने मोटरसायकल पर बोर्ड बांधकर अन्य दूसरे मोहल्ले में कक्षा लेने चले जाते है। इस प्रकार वे प्रतिदिन आकर बच्चों को अध्यापन करा रहे है। विरेन्द्र का कहना है कि छात्रों को आॅनलाईन एजुकेशन से भले ही शिक्षा दी जा सकती है पर उन्हें ठीक तरह से पढ़ाया या समझाया नहीं जा सकता। इसलिए उन्होंने बच्चों को शिक्षा देने के लिए ये तरीका अपनाया।

यह भी पढे-D.E.O ने जारी किया शिक्षकों का तबादला आदेश…! क्यों बना है चर्चा का विषय..?

भगत बताते है कि शुरूआत में तो बहुत कम बच्चें ही पढ़ने आते थे लेकिन अब धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी है एवं गांव के आस-पास के बच्चें भी अब पढ़ने आने लगे है। वे बच्चों को दैनिक गृहकार्य भी देते है। विरेन्द्र के इस कार्य को शिक्षा विभाग ने भी सराहा है एवं जिले के अन्य विकासखंडों में भी अब इस प्रकार के शिक्षण कार्य प्रारंभ किये गए है। विरेन्द्र जैसे अनेक शिक्षक गांवों में जा-जाकर बच्चों को पढ़ा रहे है। उल्लेखनीय है कि जिले में शिक्षा विभाग द्वारा लाॅकडाउन की इस परिस्थिति में बच्चों के शिक्षा को लेकर विभिन्न प्रकार के नवाचार की शुरूआत की गई है। जिसके अंतर्गत केबल टीवी के माध्यम से पढ़ाई, मोहल्ला स्कूल जैसे विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। जिले में बच्चों की शिक्षा को लेकर शिक्षा विभाग का पूरा अमला निरंतर कार्य कर रहा है।

close