अमर ने की सरकार की लानत मलानत ..कहा..सरकार सभी मोर्चे पर फ्लाफ ..निजी अस्पतालों में लूट..अव्यवस्था से बढ़ गयी मरने वालों की संख्या

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गयी है। निजी चिकित्सालयों में लूट मची है लूट। कोरोना टेस्ट के  नाम पर जेब काटा जा रहा है। अब सामान्य मरीजों को डाक्टरों ने देखने से इंकार कर दिया है। हालात बहुत नाजुक है। इसके लिए केवल और केवल राज्य सरकार है। यह बाते पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अमर अग्रवाल ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कही। अमर ने कहा कोरोना को लेकर सरकार की ना तो नीति ठीक और ना ही नीयत। 

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सरकार की नीति और नीयत ठीक नहीं

                 कोरोना काल में सरकार की नीति और नीयत पर अमर अग्रवाल ने जमकर निशाना साधा है। सवाल जवाब के दौरान अमर अग्रवाल ने सरकार की जनकर लानत मलानत की। अमर ने कहा कि सरकारी की ना तो नीति स्पष्ट है और ना ही नीयत साफ है। नीतियां सरकार ने ऐसी बनायी गयी कि निजी अस्पताल में खुले आम लूटपाट हो रही है।

एक घण्टे का एक लाख रूपए

              अमर ने बताया कि डाक्टर कोरोना मरीजों की लगातार सेवा कर रहे हैं। अच्छे काम के बधाई है। लेकिन सरकार की गलत नीतियों के चलते कोरोना मरीजो से जमकर लूटपाट हो रही है। एक घंटे के लिए मरीज भर्ती होता है। एक लाख रूपए पहले जमा कराया जाता है। मरीज के खत्म होते ही एक घंटे के अन्दर दूसरे को ऊंची बोली पर बिस्तर बेच दिया जाता है।

नोडल अधिकारी रखने का सुझाव

                        नीतियों के सही क्रियान्यवयन नहीं होने से निजी अस्पताल संचालकों की मनमानी बढ़ गयी है। गंभीर रोगियों के लिए बिस्तर नहीं है। जिसके कारण लोगों की इलाज नहीं होने से मौत हो रही है। सरकार को चाहिए कि निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने नोडल अधिकारी की नियुक्ति करे। उसके देखरेख में निजी अस्पतालों में कोरोना और अन्य मरीजों का उचार इन विपरीत परिस्थितियों में हो सके।

नहीं हो रहा सामान्य मरीजों का उपचार

              पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हालात बद से बदतर हो चुके हैं। जो कोरोना पाजीटिव नहीं है उसे भी टेस्ट कराना होगा। यदि कोई कोरोना नेगेटिव मरीज इलाज कराने आता है तो उसे सबसे पहले टेस्ट कराना होगा।निजी अस्पतालों में टेस्ट की व्यवस्था नहीं है। सरकारी अस्पतालों में भी सिर्फ कोरोना का ही इलाज किया जा रहा है। आखिर अन्य गंभीर मरीजों का इलाज कहां होगा। उन्होने उदाहरण बताया कि एक दिन पहले एक नेगेटिव मरीज को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। डाक्टरों ने बताया कि बिना कोरोना टेस्ट के मरीज का इलाज संभव नहीं है। अमर ने कहा आज से कुछ दिन पहले तक निधन के कालम में एक या दो लोगों की मौत की खबर छपती थी। लेकिन आज मरने वालों की संख्या बढ़ गयी है। मरने वाले कोरोना नेगेटिव है। दरअसल शासन की गलत नीतियों के चलते इनका इलाज नहीं हुआ। और अपनों को छोड़कर सभी दुनिया से चले गए। 

हालात पर चिंता                

   पूर्व स्वास्थ्य मत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में अप्रत्याशित रूप से कोरोना ने विकराल रूप लिया है। बहुत बड़ा संकट है। इसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है। ठीक से जनजागरण अभियान नहीं चलाया गया। यह ठीक है कि शुरूआत में ठीक ठाक रहा। बाद में लापरवाही की हद हो गयी। स्वास्थ्य प्रबंधन का संचालन ठीक से नहीं किया गया। काम का बंटवारा भी ठीक नहीं हुआ । सरकार ने सिर्फ मेमोरेण्डम पर मेमोरेण्ड भेजने काम किया है। 

समन्वय बनाकर करें काम

              अमर ने बताया कि बेहतर होता यदि क्लिनिकल जिम्मेदारी पैरामेडिकल या सम्बन्धित कर्मचारी को दी जाती। और डाक्टरों को इलाज के लिए मुक्त् किया जाता। समग्र कर्मचारी मिलकर कोरोना पाजीटिव मरिजों के इलाज में काम् करते। लेकिन यहां तो केवल भगदड़ मची है। जिसके चलते मरीजों का सही तरीके से इलाज नहीं किया जा रहा है।

वार्ड स्तर तक करें व्यवस्था

               पूर्व मंत्री ने बताया कि स्थिति भयावह है। सरकार गंभीरता के साथ कोरोना को लेकर कदम उठाए। जरूरत पड़े तो सामाजिक संगठनों का सहयोग ले। वार्ड स्तर तक इलाज की व्यवस्था करे। अन्यथा प्रदेश को बहुत जनहानि होगी। निजी अस्पतालों में इलाज की गतिविधियों पर भी सरकार नजर रखे। सामान्य मरीजों की इलाज को लेकर गंभीरता दिखाए।

                                     अमर ने बताया कि सरकार सचेत हो जाए। क्योंकि भविष्य की गर्त में क्या है..किसी को नहीं पता..कोरोना को लेकर स्पष्ट नीति तैयार करे। सवाल के जवाब में पूर्व मंत्री ने कहा कि मामले को सदन में भी उठाया गया है। चूंकि मैने लम्बे समय तक स्वास्थ्य विभाग को देखा है। इसलिए कुछ जरूरी सुझाव भी दिए हैं। अब सरकार को निश्चित करना है कि आगे क्या करे।

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