गोधन न्याय योजना-नारायणपुर जिले के गोबर विक्रेताओं को 42 हजार रूपए का हुआ आनलाईन भुगतान

Chief Editor
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नारायणपुर।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वीडियों कान्फ्रेसिंग के माध्यम से गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश के 83 हजार 809 गौपालकों एवं गोबर विक्रेताओं को चतुर्थ किश्त के रूप में 8 करोड 02 लाख रूपए की राशि का आनलाइन भुगतान सीधे संबंधितों के खातों में किया। जिसमें नारायणपुर जिले से 211.98 क्ंिवटल गोबर खरीदी के एवज में हितग्राहियों के खाते 42 हजार का भुगतान किया किया गया है। यह चौथे किश्त की राशि है, जिसका भुगतान एक सितंबर से 15 सितंबर तक जिले के 167 गौपालकों एवं गोबर विक्रेताओं को खरीदी के एवज में की गई है।  मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि प्रदेश सरकार अपने वायदे को पूरा कर रही है। किसानों, गरीबों एवं मजदूरों के हितों का संरक्षण हमारी प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि हमने कर्ज माफी से लेकर धान खरीदी, सिंचाई कर की माफी, बिजली बिल को हाफ  किए जाने के वायदे को पूरा करने के साथ ही राज्य के किसानों और गरीब तबके के लोगों की बेहतरी के लिए अनेक योजनाएं शुरू की हैं।

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राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना के जरिए किसानों और ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के तहत हितग्राहियों को 15-15 दिवस में राशि भुगतान के वायदे को सरकार पूरा कर रही है। अब तक पूरे प्रदेश में 20 करोड़ 72 लाख रूपए की राशि बीते चार पखवाड़ों में क्रय किए गए गोबर के एवज में दी जा चुकी है। इससे गरीब ग्रामीणों एवं पशुपालकों को आर्थिक लाभ मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में गौठानों में तीस हजार क्विंटल वर्मी  कंपोस्ट खाद का उत्पादन हुआ है, आने वाले समय में इसकी मात्रा और बढ़ोत्तरी होगी। वर्मी खाद के विपणन की व्यवस्था भी की जाएगी।

उन्होंने कहा कि सभी ग्राम पंचायतों में गौठान निर्माण का लक्ष्य तथा सभी गौठानों में गोबर खरीदी हो, इसकी व्यवस्था की जाएगी।  इस मौके पर कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य किसानों की बेहतरी के काम करने के मामले में देश का मॉडल राज्य है। प्रदेश सरकार किसानों के साथ है। गोधन न्याय योजना को उन्होंने देश की अभिनव योजना बताते हुए कहा कि इसके जरिए हमने समाज के गरीब तबको के साथ-साथ पशुपालकों को आर्थिक रूप से मदद पहुंचाने का काम किया है। गौठानों में क्रय किए जा रहे गोबर से वर्मी खाद का निर्माण किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य जैविक खेती की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 

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