विचार मंच की गोष्ठीः रविश के दृष्टिकोण पर चर्चा

BHASKAR MISHRA

20160117_105824बिलासपुर– टीवी क्यूँ देखते हैं….अखबार क्यूँ पढते हैं? यह गंभीर सवाल उठाया है, देश के जाने-माने टीवी पत्रकार रवीश कुमार ने…। हाल ही में एक न्यूज पोर्टल के कार्यक्रम में अपने भाषण में उन्होंने देश की मौजूदा पत्रकारिता को लेकर कई सवाल उठाए हैं। ये ऐसे सवाल है, जो एक पत्रकार और खबरों पर भरोसा करने वाले आम पाठक या दर्शक को भी झकझोरते हैं। उनका यह भाषण यू ट्यूब पर भी है।

             रविवार को रवीश कुमार के भाषण पर आज राष्ट्रीय पाठशाला में विचार मंच की गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में NDTV के रवीश कुमार एवं डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता-पत्रकार स्टालिन के दिल्ली में आयोजित एक समारोह में ‘वर्तमान पत्रकारिता के चलन’ पर दिए गए भाषण का वीडियो प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के आयोजक द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ने गोष्ठी के प्रारंभ में कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उपस्थित सुधिजनों के सामने उन्होंने बदलते परिवेष के साथ वर्तमान पत्रकारिता पर उन्होने प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि समय की मांग है कि लोग पत्रकारिता के बदलते स्वरूप और उसकी प्रासंगिता पर परिचर्चा करें। मनन करें कि आज हमारे सामने क्या परोसा जा रहा है। क्या हम उससे संतुष्ट हैं। यदि नहीं हैं तो हम उसे लेकर क्या कर रहे हैं।

                              द्वारिका ने बताया कि यू ट्यबू पर रविश कुमार का कार्यक्रम सुनने और सीजी वाल पर रविश के विचारों को सुनने के बाद मैने महसूस किया कि विचार मंच का विषय इससे बेहतर हो ही नहीं सकता है। प्रश्न सिर उठाने लगा है ।खासतौर पर रविश को सुनने और उनके भाषण को सीजी वाल पर पढ़ने के बाद महसूस होता है कि हमारी पत्रकारिता किस दिशा में जा रही है। उसका देश के भविष्य पर क्या दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है। जो व्यक्ति इन दिनों अपने अच्छे कार्यो को लेकर चर्चा में है तो वही व्यक्ति उसी समय विवादों में घिरा हुआ क्यों दिखाई देता है। इससे समझने और समझाने की जरूरत है। रविश ने ठीक कहा है कि हम सहिष्णु या असहिष्णु हैं तो क्यों है। ऐसा क्यो होता है कि चंद विरोध करने वाले लोग बड़े वर्ग पर प्रभावशाली है।

             व्दारिका ने कहा कि मैं आज मंच से पूछता हूं कि हम टीवी देखते है तो क्याो..और समाचार पढ़ते हैं तो क्यों..क्या यह हमारी आदत है..या फिर कुछ परिवर्तन करने की चाहत है।

                 इस मौके पर अन्य लोगों ने अपने विचार एक दूसरे के सामने रखे। कार्यक्रम में सीजी वाल संपादक रूद्र अवस्थी,वरिष्ठ पत्रकार राजेश अग्रवाल, साहित्यकार द्वारिका प्रसाद अग्रवाल,बजरंग केडिया समेत अन्य कई प्रबुध्द लोग उपस्थित थे।

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