उपभोक्ताओं के सुख दुख रेल प्रशासन का साथ–दर्शनीता

BHASKAR MISHRA
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IMG_20160205_131438 बिलासपुर—दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन की नवनियुक्त सीपीआरओ दर्शनीता बी आहलुवालिया ने आज पत्रकारों से औपचारिक भेंटवार्ता की। बातचीत से पहले पत्रकारों की उपस्थित में रेलवे  कार्यप्रणाली से संबंधित एक छोटा सा संगीतमय डक्यूमेंट्री पेश किया गया। दर्शनीता बी.अहलुवालिया ने बताया कि रेल मंत्रालय का प्रयास है कि अब पारदर्शिता के साथ रेलवे की जानकारियां और लोगों के विचारों का सही आदान प्रदान हो।

             
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                    इस मौके पर सीपीआरओ ने उपस्थित पत्रकारों से परिचय भी लिया। साथ ही प्रश्नों का जवाब भी दिया। पत्रवार्ता में दल्ली राजहरा से गीदम तक पहली बार ट्रेन को सुरक्षित पहुचाने वाली महिला पायलट प्रतिभा सिद्धार्थ बंसोर ने अपने अनुभवों को साझा किया।

                     पदभार ग्रहण करने के बाद दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की सीपीआरओ पहली बार संयुक्त रूप पत्रकारों से रूबरू हुईं। सीपीआरओ दर्शनीता बी अहलुवालिया ने पत्रकारों से औपचारिक परिचय लिया। उन्होने इस मौके पर रेलवे की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डाला। अहलुवालिया ने कहा कि हमारा उद्देश्य रेलवे की कार्यप्रणाली को बेहतर और पारदर्शी बनाना है। इसमें मीडिया की भूमिका सबसे अहम् हैं।1(8)

                            पत्रकारों से बातचीक के पूर्व रेलवे की कार्यप्रणाली और कर्मचारियों की अहर्निश सेवा को लेकर संगीतमय डाक्यूमेंट्री फिल्म भी पेश किया गया। डाक्यूमेन्ट्री में बताने का प्रयास किया गया। कि रेलवे अपने उपभोक्ताओं के लिए चौबिस घंटे आठो पहर सेवारत है। विपरीत परिस्थितियों और आपातकालीन सेवा में रेलवे का प्रत्येक कर्मचारी अपने आप को देश सेवा में झोंकता है। डाक्यूमेन्ट्री में पुरूष प्रधान कार्यों को महिला कर्मचारियों को करते हुए दिखाया गया। अहलुवालिया ने कहा कि आज महिलाएं सही मायनों में पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।

                                नव नियुक्त सीपीआरओ दर्शनीता बी अहलुवालिया ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि रेलवे प्रशासन को पत्रकारों से उपभोक्ताओं के साथ बेहतर संबध और सुविधाओं को लेकर सुझाव की बहुत जरूरत है। उन्होने बताया कि यह सच है कि रेलवे तंत्र बहुत संवेदनशील और इन्सुलेटेड है। लेकिन बेहतर परिणाम के लिए हमें खुलकर एक दूसरे के साथ विचार विमर्श की आवश्यकता है।

                      इस मौके पर नव पदस्थ सीपीआरओ ने बताया कि रेल प्रशासन  ट्विटर के जरिए आम लोगों की राय को खुले दिल से आमंत्रित करता है। उन्होंने कहा कि हमारे मंत्री सुरेश प्रभु और रेलवे के आलाधिकारी शिकायतों और सुझावों को ट्विटर के जरिए ना केवल देखते और पढ़ते हैं। बल्कि समस्याओं के निदान पर भी त्वरित कार्रवाई कर रहे हैं। चाहे वह डायपर का मामला हो या फिर दवाई पहुंचाने की बात हो। बच्चों की दूध की ही आवश्यता क्यों ना हो हमारा रेल प्रशासन अपने उपभोक्ताओं के साथ दिल से जुड़ा महसूस करता है।

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                   दर्शनीता बी .अहलुवालिया ने प्रोजेक्टर के जरिए ट्विवर कार्यप्रणाली की जानकारी उपस्थित पत्रकारों को दी। उन्होने कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोग ट्वीटर से जुड़े और अपनी शिकायत के साथ सुझाव भी भेजें। पत्रकारों के सुझाव पर अहलुवालिया ने कहा कि हम पत्रकारों का एक ग्रुप भी बनाएंगे।

                            इस मौके पर जोन सीपीआरओ ने कहा कि हम पत्रकारों से उनके हर एक सवाल को जानना चाहते हैं। चाहे वह रेलवे के किसी भी विंग का क्यों ना हो। उन्होने कहा कि प्रयास किया जाएगा कि पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर तत्काल उपलब्ध कराया जाए। जानकारी नहीं होने पर उन्हें प्रमाण सहित सभी जानकारी चौबीस घंटे के अंदर उपलब्ध कराया जाएगा। साथ पत्रकारों की शिकायतों को भी गंभीरता से लिया जाएगा।

                                    पत्रवार्ता के दौरान श्रीमती बी.अहलुवालिया ने घोर नक्सली क्षेत्र में पहली बार ट्रेन ले जाने वाली पहली महिला लोको पायलट से पत्रकारों का परिचय कराया। उन्होने बताया कि आज हमारी महिला साथी पुरूषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। दल्ली से गीदम तक बड़े साहस के साथ महिला लोको पायलट प्रतिभा सिद्धार्थ बंसोर ट्ने रेन को चलाया है। इसके लिए जोन प्रबंधक ने सम्मानित भी किया है।

                         महिला लोको पायलट बंसोर ने बताया कि उन्हें बचपन से लोको पायलट बनने का शौक था। उनके घर से कोई भी रेल विभाग का कर्मचारी नहीं है। उन्होने अपने अनुभवों से यहां तक का सफर किया है। उन्हें दल्ली से गीदम तक की यात्रा हमेशा याद रहेगी। इससे ना केवल मेरा बल्कि हमारी महिला साथियों का भी हौंसला बुलंद हुआ है। बंसोर ने बताया कि पहली बार ट्रेन ले जाते समय उन्हें ना तो भय था और ना ही किसी प्रकार की हिचक। इसकी मुख्य वजह लोगों का स्नेह और अधिकारियों का सहयोग उनके साथ था। प्रतिभा बंसोर ने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि दल्ली से उनकी ट्रेन नियत समय से लेट 6 बजे रवाना हुई। 17 किलोमीटर की यात्रा आठ बजकर तीस मिनट में खत्म हुई।  इस मौके पर प्रतिभा के प्रशिक्षक मंगलमय मित्रा ने पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया।

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