बिलासपुर। भुज भूकम्प, केदारनाथ आपदा और नेपाल भूकम्प जैसी आपदाओं से सेना किस तत्परता से निपटती है और असंख्य लोगों के अमूल्य जीवन को सकुशल कैसे बचाती है। इस बारे में भारतीय सेना के रिटायर्ड कर्नल संतोष डबराल ने गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के यू.जी.सी.-मानव संसाधन विकास केन्द्र (एच.आर.डी.सी.) में जारी रिफ्रेसर कोर्स आॅन एनवाॅयरोनमेन्ट, फाॅरेस्ट्री एंड डिजास्टर मेनेजमेन्ट के दौरान जानकारी दी।रिटायर्ड कर्नल संतोष डबराल ने अपने व्याख्यान में भारतीय सेना के द्वारा आपदा प्रबंधन के विषय में क्या क्या उपाय किये जाते हैं उसके बारे में विस्तार से बताया।
उन्होनंे यह भी बताया कि भारत में किसी भी प्रकार के आपदा आने पर प्रबंधन हेतु सेना की अति महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होनें कहा कि वर्तमान समय में अंधाधुन्ध वनों की कटाई, पानी का दोहन तथा कीटनाशकांे का अत्यधिक प्रयोग पर्यावरण के वजूद के लिए खतरा हो गये हैं। उन्होनें कहा कि विकास अत्याधिक जरूरी है परन्तु उसकी कीमत पर्यावरण असंतुलन या पर्यावरण प्रदूषण नहीं होना चाहिए।
रिटायर्ड कर्नल संतोष डबराल भारतीय संाख्यकीय संस्थान से प्रमाणित सिक्स सिगमा मास्टर ब्लैकबेल्ट के प्रशिक्षक है। डाॅ. रत्नेश सिंह, प्रभारी निदेशक, मानव संसाधन विकास केन्द्र ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों ने अचानकमार बायोस्पेयर टाइगर रिजर्व का भ्रमण किया जिसमें डाॅ. एस. सी. तिवारी तथा डाॅ. के. के. चन्द्रा ने विशिष्ट योगदान दिया।