” जोन ” जैसा आँदोलन फिर चाहिए बिलासपुर को……

Chief Editor
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बिलासपुर । ” एक बार फिर यह जरूरी है कि बिलासपुर में रेल्वे जोन की तरह आँदोलन हो……..। जिसमें दलगत राजनीति और विचारधारा से ऊपर उठकर सभी एक साथ जुड़ें …….। जिस तरह सभी मामलों में बिलासपुर की लगातार उपेक्षा हो रही है और यहाँ की माँगों को दरकिनार किया जा रहा है, ऐसे में जन आँदोलन से ही कोई दबाव बन सकता है…….। बिलासपुर शहर ने अब तक जो कुछ भी हासिल किया है, वह जनता की ताकत से ही मिला है और एक बार फिर अपने शहर के हक के लिए शहर के लोगों को एकजुट होकर खड़े होने की जरूरत है……। ” इस तरह की बातें उस कार्यक्रम में जोर-शोर से उठाई गईं, जिसमें बिलासपुर-मुंगेली-डोंगरगढ़ रेल लाइन की माँग को लेकर सायकल यात्रा करने वाले लोगों का सम्मान किया गया । इस कार्यक्रम का आयोजन छात्र युवा रेल्वे जोन संघर्ष समिति की ओर से किया गया था। सायकल यात्रियों के सम्मान के साथ ही इस मौके पर आयोजित परिचर्चा में लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम की शुरूआत में सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि बिलासपुर से मुंगेली होकर मंडला-जबलपुर तक” रेलवाही” की माँग काफी पुरानी है। बीच में राजनाँदगाँव से जबलपुर के बीच रेल लाइन बनाने की कोशिश हुई और सर्वे का काम भी हुआ। लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बिलासपुर से मुंगेली ,कवर्धा होकर डोंगरगढ़ तक रेल लाईन बनना अधिक उपयोगी और सार्थक नजर आया । इस मुद्दे को लेकर जनजागरण के लिए 2009 में छात्र युवा जोन संघर्ष समिति ने एक सायकल यात्रा की थी । 300 किलो मीटर की इस सायकल यात्रा में उस इलाके के लोग भी पूरी भावना के साथ जुड़े।बाद में रेल्वे के उच्च अधिकारियों को भी बताया गया कि यह रेल लाईन किस तरह से उपयोगी होगी। रेल्वे ने भी अपने सर्वे में इसे उपयोगी माना। इस आधार पर केन्द्र सरकार नें अपने रेल बजट में इसकी मंजूरी दी है। सुदीप श्रीवास्तव ने यह मुद्दा भी उठाया कि  अब रेल लाईन किन गावों से होकर गुजरेगी, इसे तय किया जाएगा। साथ ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी । इसमें स्थानीय लोगों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाए, इसके लिए भी सजगता जरूरी है। इस अवसर पर सायकल यात्रियों का शाल-श्रीफल से सम्मान किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रेल्वे सलाहकार समिति के बजरंग लोहिया ने कहा कि वे छत्तीसगढ़ में रेल सुविधाओँ को लेकर सुझाव देते रहे हैं। अनुभव कहता है कि अपनी मांगों  और जरूरतों को पुख्ता ढंग से रखा जाना जरूरी है। उन्होने 15 जनवरी1996 के रेल आंदोलन को याद करते हुए कहा कि किस तरह पूरा शहर इस माँग को लेकर सड़क पर उतर आया था। इसे नहीं भूलना चाहिए।

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वरिष्ठ पत्रकार नथमल शर्मा ने कहा कि इस शहर की परंपरा है कि यहां सभी चीजें जन आंदोलनों से ही मिली हैं। लेकिन मौजूदा हालात में इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है। आज शहर को एक बार फिर से जन आंदोलन की जरूरत महसूस हो रही है। रेल्वे जोन बन जाने के बाद भी छात्र युवा जोन संघर्ष समिति जैसे संगठन का काम खत्म नहीं हो गया है। बल्कि इसकी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। उन्होने सुझाव दिया कि नागरिक संघर्ष, समिति के रूप में इसे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए। पत्रकार रुद्र अवस्थी ने भी इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जोन आंदोलन एक तरह से आत्मदाह की तर्ज पर उस मुकाम तक पहुँचा था। आज के दौर में जिस तरह से व्यवस्था के जिम्मेदार लोग एक शहर को ही पूरा छत्तीसगढ़ मानकर चल रहे हैं और बिलासपुर शहर की लगातार उपेक्षा हो रही है, ऐसे में आमजन को एक बार फिर आगे आकर आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहिए । जिससे जन दबाव बन सके।

कार्यक्रम में रेल्वे मेंस काँग्रेस के तपन चटर्जी, वरिष्ठ काँग्रेस नेता जफर भाई, रेल्वे मैंस युनियन के जयप्रकाश,और दमरे मजदूर संघ के संतोष पटेल ने भी सम्बोधित किया। संचालन आदर्श युवा मंच के अध्यक्ष महेश दुबे-टाटा ने किया और दिशा मँच के अध्यक्ष नरेन्द्र बोलर ने आभार माना।  होटल सेन्ट्रल पाईंट के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में जिला काँग्रेस अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला, विश्वेश ठाकरे, अटल श्रीवास्तव, रामशरण यादव, महेन्द्र गंगोत्री, राजेश अग्रवाल, पिनाल उपवेजा,नेता प्रतिपक्ष शेख नजीरुद्दीन छोटे, पार्षद अखिलेष बाजपेयी, शैलेन्द्र जायसवाल आदि बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

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