बिलासपुर– बृत्ताससुर से मतलब बृत्त की आसुरी गुण से है। जिसका बृत्त बिगड़ा हो वही बृत्तासुर है। हमारी बृत्ति बिगड़ चुकी है।लोग आसुरी गुणों के शिकंजे में है। बृ्त्त अच्छी हो तो मानव जीवन सुर में हो जाता है। यह बातें आज श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के व्यास पीठिका से अतुल कृष्ण महाराज ने कही। उन्होने कहा कि भक्त प्रहलाद ईश्वर के अंश थे। ईश्वर सभी का पिता होता है। जिसे ईश्वर पर विश्वास होता है।भगवान हमेशा उसके साथ होते हैं। बृत्तासुर और प्रहलाद भगवान के बहुत बड़े उपासक थे। ईश्वर उसी को शक्ति और सामर्थ्य देता है जिससे वह बहुत प्यार करता है। कथा के अंतिम में भगवान राम और कृष्ण के जन्म होते ही पूरा पंडाल जश्न में डूब गया।
अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि अपने अंतिम समय में बृत्तासुर ने कहा कि प्रभु मुझे ना इन्द्र बनना, ना ही मुझे धन चाहिए। सब कुछ मेरे पास है। बुद्धि भी आपने बहुत दिया। लेकिन विवेक मेरे पास कभी नहीं रहा। यदि होता तो मैं असुर नहीं होता। हे माधव जब भी जन्म देना तो मुझे अपने दास का दास बनाना। यदि विवेक मिल गया तो मै सब कुछ पा लूंगा। अतुल कृष्ण ने कहा कि आज हर तरह आसुरी शक्ति तेजी से पांव पसार रही है। सबके पास अकूत धन दौलत है…लेकिन कोई विवेक इस्तेमाल नहीं कर रहा है। सब कुछ अनर्थ होता जा रहा है।
श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पंडाल में अतुल कृष्ण को सुनने आज दिग्गज भाजपा नेता और प्रशासन के अधिकारी नजर आए। इस मौके पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक,गृहनिर्माण मंडल प्रमुख भूपेन्द्र सवन्नी,संभागायुक्त सोनमणि वोरा,सहकारिता मंत्री दयालदास बघेल,जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक साहू समेत कई आलाधिकारी और नेताओं ने राम और कृष्ण जन्म कथा का रस पान किया। अतुल कृष्ण महाराज की सरस्वती वाणी से पूरा पंडाल ज्ञान की धारा में घंटो गोते लगाता रहा। भगवान राम और कृष्ण की जन्म कथा सुनकर लोग भाव विभोर हो गये। पूरा पंडाल फूलों से भर गया। सभी भक्तों ने व्यास संत के साथ जय कन्हैया लाल कहते हुए झूमने लगे। नंद के आनंद भयो गाते हुए ठुमकने लगे। भय प्रकट कृपला..दीन दयाला का मंत्र जाप करने लगे।
भगवान कृष्ण और राम जन्मोत्सव के बाद अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि सभी माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में राम और कृष्ण का संस्कार डालें। दुनिया अपने आप स्वर्ग बन जाएगी। सभी माता यशोदा,देवकी और कौशल्या और सभी पिता वासुदेव,नंदराज और दशरथ के रूप बनें। क्योंकि कण-कण में भगवान का वास है। जैसा संस्कार देंगे। भविष्य उसी के अनुसार तय होगा। इस मौके पर पूरा पंडाल राम और कृष्ण के जयघोष से गूंज उठा। सभी ने बारी बारी से भगवान की आरती उतारी।