अपना बनाकर दिया धोखा,नहीं मानूंगा हार-महेश्वरी

BHASKAR MISHRA
6 Min Read

IMG_20160318_140947बिलासपुर—मेरी मति मारी गयी थी..मै आर्ट लिविंग से क्यों जुड़ा..नहीं जुड़ता तो किरण चावला से सम्पर्क नहीं होता…राजेन्द्र चावला से नजदीकी नहीं होती..मुझे अपनी जमीन के लिए राजेन्द्र की धमकी और दुर्व्यवहार का सामना नहीं करना पड़ता..सोचता था..वह अच्छे इंसान हैं..लेकिन वे तो कुछ और ही निकले। अपना बनाकर धोखा दिया…यह पीड़ा बुढ़ापे में दगावाजी के शिकार एक सीधे- सादे इंसान की है। लक्ष्मीनारायण महेश्वरी अपनी जमीन के लिए कोर्ट कचहरी का चक्कर काट रहे हैं।  जब पैसे की जरूरत थी..तो उन्हें अपनों से दगावाजी मिली। बुढ़ापे में कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाना पड़ेगा..ऐसा मैने कभी सोचा भी नहीं था।

             
Join Whatsapp Groupयहाँ क्लिक करे

                              धोखेबाजी के शिकार एसईसीएल रिटायर्ड लक्ष्मीनारायण महेश्वरी.. बहतराई रोड आशाधाम आनंद कुटीर में एकाकी जीवन बिता रहे हैं। पत्नी ने फरवरी 2013 में हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। बेटा अमेरिका में बस गया। बेटी मुम्बई निवासी हो गयी है। दोनों बच्चों को पैसे की जरूरत थी..जमीन का सौदा किया..नियति का खेल देखिए कि ना तो बच्चों को खुश कर पाया..और ना ही राजेन्द्र चावला ने जमीन का पैसा ही दिया। एक भूल    ने घुट-घुट कर जीने को मजबूर कर दिया है। घर में अकेले बेइज्ती की जिन्दगी जी रहा हूं। डर लगता है कि कहीं मेरे साथ कुछ गड़बड़ ना हो जाए।

                      लक्ष्मी नारायण महेश्वरी ने सीजी वाल से बताया कि 37 साल की नौकरी में कभी धोखा नहीं खाया। पाई-पाई जोड़कर मोपका और लगरा में कुल एक एकड़ 48 ढिसिमिल जमीन खरीदा। किरण के सम्पर्क में था। राजेन्द्र चावला से भी सम्पर्क हो गया। राजेन्द्र से परिवारिक रिश्ता बन गया । उनके फार्म हाउस से लगी मेरी जमीन है। इसने बुढ़ापे में घुट-घुट कर जीने को मजबूर कर दिया।

                                         लक्ष्मी नारायण के अनुसार राजेन्द्र चावला के मोपका स्थित फार्म हाउस से लगी मेरी जमीन है।राजेन्द्र की उस पर नजर थी। उन्होने कहा था कि जब भी बेचना तो मुझे याद करना। कुछ समय के बाद मैने सोचा कि जमीन बेचकर दोनों बच्चों को पैसा दे दूं। चूंकि राजेन्द्र कई बार कह चुके थे इसलिए उन्हें बताया। मैने किरण चावला की उपस्थिति में 21 हजार का बयाना लेकर एक करोड़ 62 लाख में जमीन का सौदा किया। 31 मार्च 15 को रजिस्ट्री की तारीख तय हुई। 24 जून 2006 का सीमांकन कापी राजेन्द्र चावला को दिया।

                   30 अगस्त को पचास रूपए के स्टाम्प पर इकरार नामा हुआ। राजेन्द्र चावला ने दस लाख का चेक दिया। महेश्वरी ने बताया कि नवम्बर 14 से चार मार्च 14 तक मुझे 45 लाख पेमेन्ट दिया गया। 19 मार्च 15 को राजेन्द्र ने कहा कि बैंक लोन लेना है इसलिए रजिस्टर्ड एग्रीमेन्ट जरूरी है। उन्होने बताया कि रजिस्ट्रार के अनुसार मोपका रोड जमीन रेट 80 लाख और लगरा जमीन की रजिस्ट्री रेट प्रति एकड़ 18 लाख है। इस प्रकार कुल रेट 71 लाख 89 हजार हुआ। उन्होने रजिस्ट्री  एग्रीमेंच अपनी पत्नी के नाम करवाया। रजिस्ट्री दिनांक नहीं डाला। उन्होने बताया कि दिनांक डालने से बैंकिग प्रोसेस में अ़ड़चन आएगी। विरोध करने पर उन्होने एग्रीमेंट में लिखा कि लेनदेन वर्तमान एग्रीमेंट से ही होगा।

                          लक्ष्मीनारायण ने बताया कि जब एग्रीमेंट में तारीख नहीं डाला गया तभी मुझे दाल में काला नजर आने लगा। अपने आप को ठगा महसूस कर रहा हूं। एग्रीमेंट के बाद उनके वर्ताव में रूखापन आ गया है। पैसे के लिए कई बार फोन किया लेकिन उन्होने कराने की बात कही। सात मार्च 15 को कैरियर पाइंट में 2006 का सीमांकन कापी दिया। फोन पर राजेन्द्र ने बताया कि बैंक का काम प्रोसेस पर है। प्रोसेस पूरा होने पर पैसे मिलेंगे।

                                         19 जून 2015 को फोन पर चावला ने कहा कि बार-बार परेशान फोन मत लगाओ। मैने तुमसे व्याज नहीं लिया है। जब लगेगा रजिस्ट्री करवा लूंगा। इस बीच उनकी और चावला के बीच फोन पर रजिस्ट्री को लेकर कई बार बात हुई। उन्होने ना तो रजिस्ट्री में दिलचस्पी दिखाई और ना ही पैसे ही दिए।IMG_20160318_140951

                                  महेश्वरी ने बताया कि परेशान होकर 11 सितम्बर 15 को दोस्त के साथ राजेन्द्र से कैरियर पाइंट में मिला। उन्होंने बेरूखी से कहा कि मुझे कोई बात नहीं करना है। सीमांकन के बाद ही रजिस्ट्री होगी। परेशान होकर मैने 16 अक्टूबर 15 को नए सिरे से सीमांकन कराया। नकल की प्रति कैरियर पाइंट में भेज दिया। फोन से किरण ने बताया कि सीमांंकन की कापी मिल गयी है।  मैने फोन से बताया कि भाई साहब फोन नहीं उठा रहे हैं। मुझे कुछ दाल में काला लग रहा है।

                         महेश्वरी के अनुसार अब राजेन्द्र चावला ना तो रजिस्ट्री के लिए तैयार हैं और ना  ही पैसे दे रहे हैं। फोन भी नहीं उठाते हैं। इन दो साल में मैने कई बार आलाधिकारियों के दरवाजे पर नाक रगड़ा। कहीं सुनवाई नहीं हुई। मैने तय किया है कि रजिस्ट्री को रद्द करवाना है। जो पैसे मुझे एग्रीमेंट में मिले उसे राजसात करूंगां। क्योंकि मुझे दो साल से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया है। महेश्वरी ने कहा कि बयाना का 21 हजार रुुूपए लौटा दूंगा।

                                 महेश्वरी के अनुसार उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। मेरे पास प्रमाण हैं। मैं घर में अकेला हूं ..उम्र सत्तरकी हो गयी है। डर लगता है कि कहि कुछ गड़बड़ ना हो। उन्होंने कहा न्याय जरूर मिलेगा। क्योंकि भगवान मेंरे साथ है।

close