साफ-सुथरी विवेचना से न्यायिक निर्णय होगा स्पष्ट

Shri Mi
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districtlevel_confबिलासपुर। हाईकोर्ट के जज, जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने कलेक्टोरेट के मंथन सभाकक्ष में ‘आपराधिक न्याय, निष्पक्ष जांच और सुनवाई’ विषय पर आयोजित जिला स्तरीय पहली कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस कार्यशाला में पुलिस सहित विभिन्न शासकीय विभागों के अधिकारी, अभियोजन अधिकारी और अधिक्ताओं ने भाग लिया। जस्टिस  मिश्रा ने कहा कि भारतीय न्यायिक प्रणाली देश के 125 करोड़ जनता के विश्वास को प्रतिबिंबित करती है और उनकी सुरक्षा तथा विश्वास को कायम रखने का काम करती है। इस प्रणाली में जितने भी अंग हैं सबको देश के नागरिकों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि यदि यह बात कही जाती है कि देर से न्याय मिलना, न्याय से वंचित किया जाना है, उसी तरह यह बात भी ध्यान में रखनी होगी कि न्याय देने में जल्दबाजी करना भी चिंताजनक स्थिति पैदा कर सकती है। उन्होंने कहा कि जब तक सुनवाई चलती रहती है आरोपी व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती है।

             
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                             विवेचना और सुनवाई की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए आधुनिक तकनीक की भी अब मदद मिल रही है। जितनी साफ सुथरी विवेचना होगी, परीक्षण-प्रतिपरीक्षण होगा, न्यायिक निर्णय भी उतना ही स्पष्ट और होगा और पक्षकार को भी विश्वास होगा कि उसके साथ न्याय होगा। जस्टिस मिश्रा ने उल्लेख किया कि छत्तीसगढ़ में न्यायिक प्रक्रिया के शीघ्रता और पारदर्शिता के लिए डिजिटलाइजेशन की दिशा में काफी काम किए जा रहे हैं। हाल ही में ई टिकटिंग सेवा शुरू की गई है। एनआईसी और चिप्स की सहायता से हाईकोर्ट ही नहीं जिला कोर्ट भी कम्प्यूटरीकृत किए जा रहे हैं।

                         कार्यक्रम में कुछ थानेदारों ने स्थायी वारण्ट जारी होने और आरोपी के दूसरे प्रदेश की जेल में बंद होने पर कार्रवाई के दौरान आने वाली दिक्कतों के बारे में चर्चा की। प्रशिक्षण दे रहे अभियोजन अधिकारियों ने बताया कि स्थायी वारण्टी जिस जेल में बंद हैं वहां के कोर्ट में प्रकरण की जानकारी देकर उन्हें हिरासत में लेने के लिए आवेदन दिए जाने का प्रावधान है। इसके बाद स्थायी वारण्टी को लाया जा सकता है। अभियोजन अधिकारियों ने पुलिस अधिकारियों को विवेचना में आम तौर पर पाई जाने वाली कमियों की ओर ध्यान दिलाया और उन्हें दूर करने के लिए सुझाव दिए।

                            आभार प्रदर्शन करते हुए बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक अभिषेक पाठक ने कहा कि इस कार्यशाला में मिले अनुभव से विवेचना और सुनवाई को बेहतर किया जा सकेगा। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार होगा।कार्यशाला में न्यायिक प्रशिक्षण अकादमी के निदेशक  गौतम चैरडि़या, मुंगेली जिला सत्र न्यायाधीश शहाबुद्दीन कुरैशी, मुंगेली कलेक्टर  संजय अलंग, जिला कोर्ट के न्यायाधीश, पुलिस, जिला प्रशासन एवं जिला अभियोजन के अधिकारी तथा अधिवक्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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