फर्जी शंकराचार्य बनाकर सनातन धर्म को किया आहत-निश्चलानंद

Shri Mi
11 Min Read

shankaracharyaबिलासपुर। जगन्नाथपुरी गोवर्धन मठ के जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि रामालय ट्रस्ट के गठन समय मैं हस्ताक्षर नहीं किए थे,ये बात से सच है कि हमारी अच्छाईयों को अपनाया अग्रेजों ने और हम उत्कर्प न प्राप्त कर सके। इतिहास में को बिना कुछ किए ही मैं आपके सामने रखता चाहता हुं, क्योंकि हम सभी मूल रूप से सबसे पहले सनातनी है, फिर कुछ और। अंग्रेजों स्वतंत्रता के 3 साल पहले ही फैसला ले लिया था कि नेहरू को देश का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। कारण ये था कि अंग्रेज मानते थे कि नेहरू ही उनकी भावना को मूर्त रूप दे सकते थे।

             
Join Whatsapp Groupयहाँ क्लिक करे

                    swamijiजगन्नाथपुरी गोवर्धन मठ के जगद्गुरू शंकराचार्य आसमां एनक्लेव में आज दूसरे दिन धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होनें बताया कि जिन देशो में गांधी जी का कोई प्रभाव नहीं था। द्वितीय विश्व युद्व के बाद अंग्रेज उस देश में भी शासन करने के योग्य नहीं रह गए थे। जिन देषों में गांधी जी का प्रभाव नहीं था, वहां अंग्रेजों पूंजी निवेश किया था। इसलिए अंग्रेजों को तिरस्कृत होकर भागना पड़ा। भारत ने निवेश लौटा कर और सम्मानित करके उनके भेजा। अग्रेजों ने सबसे बड़ी कूटनीति खेली कि अपने भावना के अनुसार ही पहला प्रधानमंत्री नेहरू को बनाया। उन्होनें बताया कि सबसे पहले गांधी जी के लिए महात्मा शब्द का प्रयोग रविद्र नाथ टैगोर ने किया। वो भी अग्रेजोें की ही कूटनीति थी। गांधी जी अच्छे थे मैं यह मानकर चल रहा हंू। उन्होंने नेहरू जी के प्रधानमंत्री ने बनाने पर अनशन की धमकी दी। और हुआ भी यही व्यास गद्दी जिसको कहते हैं, वो भी एक कांग्रेसी को सौंप दिया। भारत के धार्मिक,अध्यात्मिक भाग्यविधाता के रूप में गांधी जी को खड़ा किया।


दलाईलामा का पहला शब्द होता है मैं हिन्दु नहीं

उन्होनें बताया कि स्वतंत्र भारत में व्यासपीठ की परंपरा अंग्रेजों की दी हुई है। देश के लिए सबसे अधिक घातक यही चीज है। उसके बाद दलाईलामा जी को भारत को अघोपित लेकिन एक प्रकार से परम घोपित धार्मिक satsangआध्यात्मिक गुरू के रूप में नाम लिया गया। आज भी वो हैं। भारतीय संविधान की 25वीं धारा के अनुसार जैन,बौद्व,सिक्ख सभी हिन्दु परिभापित किए गए हैं। लेकिन दलाईलामा का पहला शब्द होता है मैं हिन्दु नहीं हुं। आज कांग्रेस, भाजपा और सभी पार्टी में और बड़े राज नेताओं के यहां धर्म गुरू के रूप में दलाईलामा बुलाए जाते हैं। व्यासपीठ को परंपरा प्राप्त धर्म गुरू जो शंकराचार्य से विमुख करके कहां ले जाने का पडयंत्र अग्रेजों का था। उन्होनें बताया कि जब रामालय ट्रस्ट नहीं बना था और श्री अयोध्या में वो ढांचा जिसे लोग बाबरी मज्जिद कहने लगे थे।

नेहरू ने लगाया नमाज पर प्रतिबंध
उस वक्त नरसिम्हाराव देश के प्रधानमंत्री थे और मैं शंकराचार्य हो गया था। तब प्रधानमंत्री ने दो प्रतिनिधियों को मेरे पास भेजा। उनसे मेरी चर्चा हुई और उनकी दूरदर्षिता कि वह ढांचा बना हुआ था। मंदिर में मीनारे होती है गुम्बद नहीं होते। उस ढांचे में मज्जिद के कोई लक्षण नहीं थे। इसलिए प्रधानमंत्री नेहरू जी ने वहां नमाज पढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद राजीव गांधी जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए ताला खुलावाया। राजीव गांधी ने कांग्रेस के प्रचार का अभियान श्री राम जन्म भूमि से ही किया। मंदिर बनावाने की भावना से षिला न्यास कराया। राम जन्म भूमि में इतनी पहल कांग्रेस की रही। उस समय के मंत्री बूटा सिंह को आगे करके राजीव गांधी ने यह कदम उठाया। उन्होनें बताया कि उस समय के लिए अली मियां के पूर्वजों आजादी के लिए संघर्प किया था, अली मियां का एक वक्तव्य आया कि राम पुरी के नए शंकराचार्य को राम जन्म भूमि के लिए कोई पहल करते हैं तो उनकी हर बात हमें मान्य है।

बीजेपी सरकार आई तो मुसलमानों की खैर नहीं
नरसिम्हाराव ने जो हमें संदेश भेजा था, उसके पूर्व उन्होंने मुसलमानों ने गुप्त चर्चा की थी और यह बात उनके मन में थी अगर भाजपा केंद्र में आ गई जो देश में मुसलमान सुरक्षित नहीं रहेंगे। उन्होंने मुसलमानों को यह बात कहीं कि तुम लोग यह मामला सुलझा दो नहीं तो यदि भाजपा सरकार में आ गई तो तुम लोगों की खैर नहीं। अंत में यह फैसला लिया गया कि पुरी के शंकराचार्य किसी दल के नहीं हैं तो उनको खड़ा किया जाए इसलिए उनको खड़ा किया जाए। इसके लिए अली मियां को पटाया गया कि फैजाबाद की ओर बाबरी मज्जिद बन जाए और हिन्दुओं का यह बरसों से अटका हुआ काम बन जाएगा। भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राप्ट्रपति को आगे करके षिला न्यास कराया। लोगों को बिना गाली और गोली के लोगों को स्थानांतरित किया गया। अब ने तो सरदार पटले जैसे किसी नेता में मनोबल है और न ही भारत की स्थित ही रह गइ है। मुझे नरसिम्हाराव ने कहा कि मंदिर के लिए आप 63 करोड़ रूपए लिजिए और इसके लिए काम करीए। मंदिर बनाने के लिए 63 करोड़ रू. की बात नरसिम्हाराव ने मुझसे कहीं थी। मैने कहा कि इससे बड़ी कूटनीति हैं इसलिए मैं आगे नहीं आउंगा। आरएसएस वालों को पटाया गया और कहा गया कि कि आप मंदिर बनाने के लिए हंगामा करीए। ताकि कांग्रसे बदनाम न हो और उस पर आरोप न लगे। बात यह हो कि जन भावना को देखते हुए राम लला का मंदिर उसी स्थान पर बनाया जाए।

राम जन्म मामले में लाभ उठाने कांग्रेस ने 5 राज्यों की सरकार गिराई
जब बुखारी तक बात पहंुची तो अली मियां बूटा सिंह और राजीव गांधी पीछे हट गए। उसने कहा कि अली मियां क्या मुसलमानों का भाग्य विधाता होता है। अब आरएसएस के लिए प्रतिप्ठा का प्रष्न बन गया कि जिसके लिए हंगामा मचाया वे पीछे हट गए और मंदिर की बात रूकने को आ गई तब यह फैसला लिया गया कि अब मंदिर के लिए अभियान जारी रहेगा। तब आडवानी ने अषोक सिंघल को पटाया। लेकिन वाजपेई जी को राजी करना बड़ा कठिन था। इसकी जिम्मेदारी आडवानी को सौपी गई, इस उन्होने कहा कि मेरे उपर दवाब डाल रहे हो तो मैं कूटनीति का प्रयोग करूंगा और समय देखा जाएगा। अटल जी की स्वाकृति मिली और आडवानी की अगुवाई में रथयात्रा निकली गई। कांग्रेस ने इसका लाभ उठाने के लिए 5 राज्यों में बीजेपी की सरकार गिराई और फिर श्रेय कांग्रेस को जाए इसका प्रयास किया।

माता पिता का कलंकित करने के लिए मैं नहीं बना शंकराचार्य
इसके बाद शंकराचार्य से चर्चा की गई,जिसमें थोडा वैचारिक मदभेद था। मेरे पास 12 सांसद आए व प्रषासक भी भेजे गए। रामालय के दस्तावेजों में हस्ताक्षर के लिए। उससे संकेत ही नहीं पूरा स्पप्ट निर्देश था कि मंदिर और मज्जिद दोनों बनेगा। मैनें कहा कि माता पिता का कलंकित करने के लिए मैं शंकराचार्य नहीं बना हुं। मै राप्ट्र को धोखा देने वाला काम नहीं कर सकता। मुझे कहा गया कि आप हस्ताक्षर करते हैं तो सोने चांदी से लाद दिया जाएगा नहीं तो पद प्राणं प्रतिप्ठा तीनों ले लेंगे। इसके बाद कुंभ में एक देश द्रोही युवक को रात 12 बजे पुरी का शंकराचार्य बनाया गया। विश्व भर में उसका प्रचार बनाया गया। राम जी तो हमकों दण्ड नहीं दे सकते लेकिन अयोध्या को हमने अमृत दिया लेकिन आयोध्या ने हमें जहर दिया। यही एक पीड़ा है।

हिन्दुत्व को किया आहत
उन्होंने बताया कि आज देश में ऐसे आयोजन हो रहे हैं,जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए और वहां महिलाओं को नचाकर दुनिया के सामने हिन्दुत्व को आहत किया गया है। जो हमारे लिए पूज्यनीय है। धर्म के नाम पर उनका अपमान किया गया है। दिल्ली में श्री श्री रविशंकर के आयोजन में फर्जी शंकराचार्य को सम्मानीत किया गया। यह पूरे देश का दुर्भाग्य है। इसमें देश के मुखिया प्रधानमंत्री स्वयं उपस्थित थे।

मैं वेतनभोगी पत्रकार कभी नहीं रहा
उन्होंने बताया कि सच्ची बात मैं कहता हूं वेतन भोगी पत्रकार कभी नहीं रहा। जन्म भूमि का त्याग किए हुए 56 साल हो गए। जबरजस्ती मुझे दिल्ली में पढ़ाया गया। मैं बिना पढ़े ही वापस आ गया है,लेकिन आज भी 6-7 घंटे प्रतिदिन पढ़ता हुं। मैंने जो पत्रकारिता कि है वह जो शब्द लिख देता था वहा जस का तस छप जाता था। उन्होंने महिलाओं के संबंध में एक प्रष्न के जवाब में कहा कि ब्राम्हणों को भी किसी किसी कार्य में अधिकृत माना गया है कहीं कहीं नहीं। ठीक उसी तरह किसी कार्य में पत्नी को अधिकृत माना गया है वहां माता व बहन को अधिकृत नहीं माना गया है। इस आयोजन में अखिल भारतीय पीठ परिपद के राप्ट्रीय उपाध्यक्ष आचार्य पं. झम्मन षास्त्री, आनंद वाहिनी के राप्ट्रीय महामंत्री सीमा तिवारी, संदीप पाण्डेय, डाॅ.विवेक बाजपेई, चंद्रचूड त्रिपाठी, रामानुज तिवारी, राजेंद्र शर्मा, अभिपेक पाठक, गीता तिवारी व मुनेंद्र शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्वालू उपस्थित रहेंगे।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close