रायपुर–मरवाही विधायक अमित जोगी ने भाजपा सरकार पर वेतन वृद्धि के पक्ष में लिए गए फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। अमित जोगी ने राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य मंत्रिमंडल पर विधायकों के वेतन वृद्धि विधेयक को वापस लेने के लिए अनुरोध किया है।
भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं की कथनी और राज्य सरकार की करनी में अंतर की ओर अमित शाह का ध्यानाकर्षित करते हुए अमित जोगी ने अमित शाह को पत्र लिखा है। जोगी ने अमित को लेिखे पत्र में कहा है कि इस समय देश में “किसान महासम्मेलनों” और “किसान रैलियों” का आयोजन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के बरेली में आयोजित “किसान कल्याण रैली” में नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि “राज्य सरकारों को प्रण लेना चाहिए कि वे किसानों की आमदनी को दोगुना करेंगे “। प्धानमंत्री ने सूरत में भी किसान रैली” के दौरान इस बात को दोहराया था। दुर्भाग्य है कि इन गंभीर बातों को छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने अनसुना करते हुए, विधायकों की आय को ही दो गुना कर दिया है।
पत्र में जोगी ने प्रदेश के किसानों की वित्तीय स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा है कि जिस बजट सत्र की शुरुआत मुख्यमंत्री जी ने मोदी जी के “अन्नदाता सुखी भवः” के विचार से की थी, उस सत्र का समापन सरकार ने “विधायक सुखी भवः” के साथ किया है । प्रदेश की भाजपा सरकार विधायकों को वेतन वृद्धि विशेषकर ऐसे समय दे रही है जब छत्तीसगढ़ के किसान भीषण अकाल से गरीबी की मार झेल रहे हैं ।
प्रदेश आकाल की विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है। अमित जोगी ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद,पंद्रह वर्षों में प्रदेश के किसानों को अब तक के सबसे भयावह सूखे का भीषण प्रकोप झेलना पड़ रहा है। पिछले तीन वर्षों में 300 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है, इसमें लगभग आधे यानि 137 किसानों ने पिछले छह महीनों में सूखे की मार से उपजी आर्थिक तंगी की वजह से आत्महत्या की है। राज्य सरकार ने स्वयं इन आंकड़ों को सदन में प्रस्तुत किया है। आंकड़ों के विवरण के अनुसार सबसे ज्यादा किसान आत्महत्या की घटनाएं स्वयं मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र में हुई है। आत्महत्या के मामलों में छत्तीसगढ़ का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है।