बिलासपुर(सत्यप्रकाश पाण्डेय)। मेरी इन्ही तस्वीरों ने सोनू हाथी को वन प्रबंधन द्वारा बंधक बनाने के प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय की डबल बैंच में आज सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने बंधक बनाये गये सोनू हाथी को जंगल में पुनर्वासित करने हेतु कार्य योजना 10 मई 2016 तक प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया तथा आदेशित किया कि वन विभाग ऐनिमल वेलफेयर बोर्ड आॅफ इंडिया से विचार विमर्श करें।अगली सुनवाई दिनांक 10.05.2016 को होगी।
पूर्व का घटना क्रम
अचानक मार्ग टाइगर रिजर्व पकड़े गये जंगलीहाथियों के संबंध में भारत सरकार द्वारा गठित टीम ने उजागर की वन विभाग कीअमानवीयता की प्रकाष्ठा थी। एनिमल वेलफेयर बोर्ड आॅफ इंडिया की रिपोर्ट-
माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के आदेशानुसार केन्द्र सरकार की संस्था ऐनिमल वेलफेयर बोर्ड की दो सदस्यी टीम ने दिनांक 31 जनवरी 2016 को अचानक मार्ग टाईगर रिजर्व में पकड़े गये बिमार हाथी सोनू का निरीक्षक कर जांच दल ने निष्कर्ष निकाला था कि अचानक मार्गटाईगर रिजर्व। वन टीम की यह गंभीर असफलता है। हाथी को वन अधिकारियों की अदूदर्शिता के कारण पीड़ा सहनी पड़ रही है। पहले पकड़े गये अन्य तीन जंगली हाथी भी कई प्रकार की बिमारियों से ग्रसित है तथा पशु चिकित्सा से वंचित थे।
रिपोर्ट के अनुसार हाथी का इलाज पूर्णतःगलत चल रहा था। दो माह से ज्यादा पकड़ कर रखने के कारण कई दर्दनाक घाव हो गये थे जिसमें कीड़े पड़ गये थे। हाथी को खुद की पेशाब व मल पर खड़े रहने को मजबूर किया गया था। हाथी का वैकसीनेशन नहीं किया गया था। हाथी को भूखा रखा जाता था तथा पानी जंग लगे छोटे से बर्तन में सिर्फ चार बार पानी दिया जाता था जो कि हाथी की आवश्यकता से कम था। हाथी को यंत्रणा देने वाले लोहे के औजार उपयोग करते थे। हाथी को रखने के लिये शेड भी नहीं था। लाग बुक बताती थी कि हाथी के लिये खाने की कमी थी दिनांक 31.12.2015 को खाने का स्टाक खत्म हो गया था।हाथी के मल से पता चलता है कि उचित खाना नहीं मिलने के कारण उसका पाचन ठीक नहीं चल रहा इसीलिये टीम ने दोषी अधिकारियोंके विरूद्ध कार्यवाही की अनुशंसा की है।
3अन्य पकड़े गये जंगली हाथियों की दुर्दशा
टीम के अनुसार कैम्प में सिविल बहादुर, लालीऔर राजू को मोटी मोटी चेन से बांधकर रखा गया है। सिविल बहादुर नामक हाथी का एक दांत निकल गया है और जबड़े में दर्दनाक सूजन है जहां से पस भी रिसक रहा था जिससे पता चलता है कि दांत का कुछ हिस्सा अंदर रह गया है। सिविल बहादुर कीदांयी आंख फूट गई है और वो एक आंख से अंधा हो गया है। इन हाथियों का व्यवहार असमान्य है तथा इन्हें एक स्थान पर बांध कर रखने से चलने को नहीं मिलता।
पूर्व का घटना क्रम
01.12.2015 अकेले विचरणकर रहे नर हाथी को बेहोश कर पकड़ा गया, हाथी को दो माह तक जंजीरों से बांधे रखा। 20.01.2016 20 जनवरी2016 को जनहित याचिका दायर की गई। देश के इतिहास में पहली बार वन्य प्राणी के मामले में 24 घंटे में सुनवाई के आदेश। याचिका में डेढ़ माह से हाथी केचारों पांव को जंजीर से पकड़ने से हुये घावों में हाथी की जान को खतरा बताकर हाथी बचाने की गुहार की गई।