बिलासपुर—चैत्र नवरात्र नवमी के दिन भनवारटंक स्टेशन स्थित मरहीमाता मंदिर में भक्तों का सैलाब देखने को मिला। दूर-दूर से पहुंचकर भक्तों ने मरही माता की विशेष पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। ऐसी मान्यता है कि भनवारटंक की मरहीमाता जीवन्त रूप में यहा निवास करती हैं। उनके दरबार में आकर आज तक कोई खाली हाथ नहीं लौटा है।
बिलासपुर कटनी रेल खंड में दूरस्थ जंगलों में स्थित भनवारटंक की मरहीमाता का दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। लोगों का मानना है कि माता के दर्शन मात्र से सारे पाप कट जातेे हैं। सच्चे दिल से उनके दरबार में जो भी आता है उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। भक्तों ने बताया कि मरही माता यहां जीवन्त रूप में निवास करती हैं। जैसे जैसे उनकी कीर्ति फैल रही है। वैसे वैसे भक्तों की संख्या नवरात्रि में दिन दूनरी रात चौगुनी हो रही है।लोगों के अनुसार जो भी माता का दर्शन एक बार कर लेता है वह बार बार आता है। यद्यपि माता भक्तों को पहले ही दर्शन में उनकी मनोकामना को पूरा कर देती हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि साल 1984 में इंदौर-बिलासपुर एक्सप्रेस रेल हादसे के बाद माता का दर्शन हुआ। स्थानीय लोगों के अनुसार रेल हादसे के बाद स्थान विशेष पर मरही माता ने कुछ लोगों को दर्शन दिया। इसके बाद भक्तों ने दर्शन वाले स्थान पर छोटी से मंदिर का निर्माण किया। ऐसी मान्यता है कि मरही माता के आशीर्वाद से ही बिलासपुर कटनी रेल रूट का जंगली क्षेत्र भनवारंटक में हादसों की कभी पुनरावृत्ति नहीं हुई। माता इस दुरूह मार्ग से गुजरने वाले सभी यात्रियों की रक्षा करती हैं।
लोगों ने बताया कि नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का रेला लगता है। रेलवे पटरी के ठीक किनारे स्थित माता के सम्मान में गुजरनेवाली रेलगाड़ियों की रफ्तार भी धीमी हो जाती है। ऐसा बेहद कम देखने को मिलता है। माता को प्रणाम करने के बाद ही गाड़ी चालक आगे की यात्रा पूरी करते हैं।
श्रद्धालुओं ने बताया कि यहां शारदेय और चैत्र नवरात्रि पर जश गीत का आयोजन किया जाता है। माता के दरबार में भक्त जगराता करते हैं। ठोल नगांड़ और ताशे की धुन पर भक्त माता के चरणों में अपनी श्रद्धा को अर्पित करते हैं।