बिलासपुर का “पानी उतारने” की साजिश

BHASKAR MISHRA
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DEPO1बिलासपुर— बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश हो रही है। पानी उतारने का काम वे चंद लोग कर रहे हैं…जिनसे ऐसी उम्मीद नहीं थे। आखिर ये हैं कौन जिन्हें ना तो पर्यावरण की चिंता है…और ना ही घटते जलस्तर की फिक्र…। मतलब जनता मरे तो मरे..पर्यावरण की चिन्ता जिसे करनी हो करे…प्रदूषण हो तो हो…जल स्तर गिरे तो गिरे…इससे उन लोगों का कोई लेना देना नहीं है.. आखिर यह लोग बिलासपुर को बंजर क्यों बनाना चाहते हैं। लोगों में असंतोष का जहर क्यों बो रहे हैं। यह जानते हुए भी कि बिलासपुर का जलस्तर लगातार गिर रहा है। तापमान में बेतहासा बृद्धि हुई है। प्रदेश सूखे की चपेट में है…लेकिन कोलवाशरी और डीपो में बोर का पानी कोयले के पहाड़ पर मानसून की मुसलाधार की तरह बरसाया जा रहा है…आखिर क्यों..।

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                     चंद कोल व्यवसायियो ने शहर को चारो तरफ से घेर लिया है। बिलासपुर के सीमांत गावों में कोलवाशरी,कोल डीपो बनाकर पर्यावरण का चीर हरण किया है। ग्रामीणों की माने तो वे लोग कोलवाशरी और कोलडीपो को स्थापित करते विरोध किया था। लेकिन उनका विरोध नक्कारखाने में तूती साबित हुई। विरोध के बीच लोखंडी, उस्लापुर,घुटकू,बेलमुण्डी, सिरगिट्टी,हिर्री,रतनपुर,बेलतरा,गतौरा,कर्रा, में डिपो और कोल वाशरी स्थापित हो गया। इनमें से कुछ कुछ कोल डिपो अनुमति वाले हैं तो कुछ बिना अनुमति के ही चल रहे हैं। कोलवाशरी स्थापित नहीं करने को लेकर ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय प्रशासन से शिकायत की। प्रसासन ने सुना सबका लेकिन आशीर्वाद दिया पूंजीपतियों को। बेलमुण्डी और गतौरा कोलवाशरी का विरोध किसी से छिपा नही हैं।

                                  DEPO2प्रदेश सूखे की चपेट में है। लेकिन कोलवाशरियों में कोयले के पहाड़ को चार पांच बोर लगाकर ठंडा किया जा रहा है। सीजी वाल की टीम ने इन कोलवाशरियों में भारी अनियमितता देखने का प्रयास किया है। सभी कोलवाशरियों में ना तो पर्यावरण मानकों का ध्यान रखा गया है। और ना ही यहां की बदहाल सड़कों को लेकर गंभीर है। क्षमता से अधिक कोयला ढोने वाले हायवा ने सड़कों की मिट्टी को पलीद कर दिया है। आस पास के लोग रोजाना कोयला और धूल एक साथ फांकने को मजबूर हैं। इन कोलवाशरी से उडने वाले डस्ट गांव और फसल को रोगी बना दिया है। शर्तों के अनुसार कोलवाशरी की जिम्मेदारी बनती है कि क्षेत्र में पेड़ पौधे की ओर विशेष ध्यान दिया जाए। लेकिन कहीं भी ऐसा नहीं देखने को मिला जहां पर्यावरण के निर्देशों का पालन हुआ हो।

                 अभी हाल में कलेक्टर ने आदेश दिया है कि कहीं बोर नहीं किया जाएगा। साथ ही निर्देश भी दिया है कि पानी का depo3इस्तेमाल जरूरत के मुताबिक किया जाए। पानी पर सबका नैसर्गिक अधिकार है। लेकिन कोलवाशरी में कोयले के पहाड़ को ढंडा करने के लिए हजारों लीटर पानी बहाया जा रहा है। सड़कों पर पानी की जरूरत है..लेकिन उस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कुल मिलाकर पूंजीपतियों ने बिलासपुर का पानी उतारने का पूरा बंदोबस्त किया है। कलेक्टर के निर्देशों का खुलेआम धज्जियां उडा़ई जा रही हैं। पानी उतारने और आदेश की धज्जियां उडाने वाले कोई और नहीं समाज के बड़े ही सम्मानित लोग हैं।

सीजी वाल इस बार “बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश” में कोयला कारोबार से आमजनता और समाज को होने वाली परेशानियों को सबके सामने लाने का निश्चय किया है। सीजी वाल बताने का प्रयास करेगा कि कैसे,कहां और किस तरह कुछ लोग बिलासपुर का पानी उतारने की साजिश रच रहे हैं।

पढ़ते रहें सीजी वाल ….

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