आईटीआई बिल्डिंग में भ्रष्टाचार की गहरी दरार

BHASKAR MISHRA
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IMG-20160430-WA0077IMG-20160430-WA0088बिलासपुर–पैदा होते ही बच्चे की दवा दारू वाली कहावत पचपेढ़ी आईटीआई पर सटीक बैठती है। आईटीआई भवन निर्माण का काम अंतिम चरण में है। भव की सभी दीवारें बुरी तरह से फट चुकी हैं। दरार इतना गहरा है कि ईटें तक टूट गये हैं। फर्सिंग और फ्लोरिंग में सीमेन्ट कम रेत का ज्यादा इस्तेमाल किया गया है।  करोड़ों की लागत से बनाए जा रहे आईटीआई की कोई ऐसी दीवार नहीं है जहां गहरे दरार ना हों। ठेकेदार लक्ष्मीनारायण बिल्लाईया अपनी कमजोरी और भ्रष्टाचार को पैचिंग कर दुरूस्त कर रहा हैं। बताया जा रहा है कि आईटीआई निर्माण में लाखों का घोटाला किया गया है। इंजीनियरों का भी ठेकेदार बिल्लाइया को भरपूर समर्थन मिल रहा है। पीडब्लूडी अधिकारी जानकर अन्जान बने हुए हैं।

             
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मस्तूरी से करीब पन्द्रह किलोमीटर दूर पचपेढी में आईटीआई भवन बनकर तैयार होने को है। केवल फर्निशिंग का काम रह गया है। लेकिन खड़ा होने से पहले ही बिल्डिंग की दवा दारू शुरू हो गयी है। बिल्डिंग के निर्माण में कुल दो करोड़ साठ लाख रूपए होना है। लेकिन गुणवत्ता देखने के बाद कहीं से नहीं लगता कि बिल्डिंग में दो करोड़ साठ लाख रूपए खर्च हुए हैं। यह जानते हुए भी अब केवल फर्निसिंग का काम ही बाकी रह गया है।

             IMG-20160430-WA0076IMG-20160430-WA0092सीजी वाल की टीम ने नव निर्मित आईटीआई भवन पहुंचकर पाया कि बिल्डिंग निर्माण में भारी भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। नीचे से लेकर ऊपर दो मंजिला भवन का कोई भी दीवार ऐसा नहीं है जिसमें सात आठ गहरे दरार के दाग ना हो। टीम ने मौके पर पाया कि दीवारों को दरार के मुताबिक खोदा जा रहा है। कई दरारों का मुंह सीमेन्ट से भर दिया गया है। लेकिन अभी उन पर पोताई नहीं हुई है।  बिल्डिंग के प्लिंथ में भी जमकर खानापूर्ति की गयी है। ग्राउण्ड फ्लोर की सभी दिवारें भ्रष्टाचार की कहानी बयां करती हैं। बताया जा रहा है कि बाहर की दीवारें भी क्रेक थीं लेकिन उसे नजर में आने से पहले ही लीप पोतकर ठीक कर लिया गया है।

                               IMG-20160430-WA0086पीडब्लूडी से मिली जानकारी के अनुसार पचपेढ़ी आईटीआई बनाने का जिम्मा ठेकेदार लक्ष्मीनारायण बिल्लाइया को दिया गया है। निर्माण पर कुल दो सौ साठ लाख का खर्च होगा। विभाग के इंजीनियर मानने को तैयार नहीं हैं कि पचपेढ़ी आईटीआई बिल्डिंग के निर्माण में ठेकेदार ने किसी प्रकार की लापरवाही की है। एक इंजीनियर ने बताया कि वाटर लाक एरिया में इस प्रकार के क्रेक आते ही हैं। जबकि पूरी इमारत पथरिले जमीन पर बनाया गया है।

                       सीजी वाल की टीम ने अपने कैमरे में आईटीआई पचपेंढ़ी के दरार के भ्रष्टाचार को कैमरे में कैद किया है। हाल हो या लाउंंज, प्रयोगशाला के कमरे हो या फिर कांफ्रेंस नुमा हाल सबकी हालत एक जैसी है। एक दीवार पर कम से सात गहरे दरार सहज ही मिल जाएंगे। कई दीवारों से तो सरिया झांकते हुए दिखाई देते हैं। यह बताने के लिए काफी हैं कि मजबूती के लिए इस्तेमाल किये गये सरिया भी घटिया दर्जें के हैं।

                              IMG-20160430-WA0071आईटीआई बिल्डिंग के निर्माण में कुल दो करोड़ साठ लाख का खर्च होना बताया जा रहा है। बिल्डिंग का काम अभी भी पूरा नहीं हुआ है। इंजीनियर का दावा है कि जल्द ही इसे शासन को सौंप दिया जाएगा। जबकि आईटीआई भवन के ज्यादातर दरवाजे भ्रष्टाचार की चुगली करते हैं। सभी दरवाजे टूट फूटे हुए हैं। किसी का कब्जा नहीं है तो किसी का फ्रेम या चौखट टूटा हुआ है। खिड़की के सीसे सही सलामत नहीं हैं। डोर लिन्टर में घटिया स्तर के सरिया का प्रयोग किया गया है। दरवाजों पर जंग लग गया है। फर्स में टूट फूट का होना सामान्य सी बात है।

                           IMG-20160430-WA0079बिल्डिंग में सीपेज की भी शिकायत हैं। ऊपरी मंजिल पर फर्निसिंग का काम चल रहा है। फर्निसिंग का  पानी नीचे छत से रिस रिस कर नीचे गिर रहा है। छत की फ्लोरिंग भी बहुत ही घटिया स्तर की है। उसमें भी जगह जगह दरार हैं। काम करने वाले मिस्त्री ने बताया कि जैसा आदेश ठेकेदार देगा हम उसी के अनुसार मसाला का प्रयोग करेंगे। उसने बताया कि बिल्डिंग में सीमेन्ट में काफी कंजूसी की गयी है। सरिया भी घटिया स्तर का इस्तेमाल किया गया है।
काम नहीं हुआ पूरा

                         अभी काम पूरा नहीं हुआ है। जानकारी के अनुसार काम अंतिम चरण में है। बिल्डिंग का ठेका लक्ष्मीनारायण विल्लाइया के पास है। अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। बिल्डिंग में दो करोड़ साठ लाख रूपए खर्च होंगे। शिकायत को ध्यान में रखा जाएगा। ठेकेदार से भी बात करेंगे।

                                                                                                    सतपथी..एसडीओ..पीडब्लूडी, डिविजन एक

गुणवत्ता से समझौता नहीं

                                   मुझे आपसे जानकारी मिली है। भवन की जांच करेंगे। समय समय पर इंजीनियर जांच भी करते हैं। लेकिन अभी तक किसी प्रकार की शिकायत नहीं मिली है। दीवारों पर दरार नहीं होना चाहिए। यदि पैचिंग किया जा रहा है तो हम इसका निरीक्षण करेंगे। सीपेज की शिकायत को मौके पर जाकर देखेंगे। यदि गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया गया तो बिल्डिंग को गिरवाकर फिर से बनाने को कहेंगे। हो सके तो बिल्डिंग देखने दो एक दिन के भीतर जाउंगा।

                                                                          इंजीनियर मधेश्वर प्रसाद…मुख्य अभियंता..डिविजन एक

                 ताज्जुब की बात है कि बिल्डिंग बनकर तैयार हो गयी है लेकिन अधिकारियों को बिल्डिंग में किसी प्रकार की गड़बड़ी क्यों नहीं दिखाई दी। नियमानुसार जब भी निर्माण कार्य होता है तो इंजीनियर समय समय पर निर्माण कार्य का मानिटरिंग करता है। रिपोर्ट अधिकारी को सौंपता है। काम से संतुष्ट होने पर ही ठेकेदार को रकम दिया जाता है। लेकिन पचपेढ़ी आईटीआई भवन निर्माण में ऐसा कोई काम संतोषजनक नहीं है जिसे आधार मानकर ठेकेदार के काम को सर्टिफिकेट दिया जा सके। बताया जा रहा है कि लक्ष्मी नारायण बिल्लइया बीई हैं। काबिल ठेकेदारों में उनकी गिनती होती है। कम से कम पचपेढ़ी आईटीआई बिल्डिंग देखने के बाद उनकी भ्रष्टाचार की काबिलयत पर कोई उंगली नहीं उठा सकता है।

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