सिस्टम का दोष या….

Shri Mi
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FB_IMG_1441516484068(संजय दीक्षित)47 साल की आभा तिवारी पीएससी में टाप आईं। खबर अच्छी है। महिलाओं के लिए मोटिवेटिव भी। गिनिज बुक में उनका नाम भी दर्ज हो सकता है। मगर छत्तीसगढ़ में फ्रेशर्स क्यों पिछड़ते जा रहे हैं, यह गंभीर सवाल है। नौजवानों में जबकि, ज्यादा जोश रहता है। उर्जा भी होती है। सलेक्शन के बाद काम करने के लिए उनके पास लंबा समय भी होता है। लेकिन, छत्तीसगढ़ में उल्टा हो रहा है। आप जानकर हैरान होंगे कि पिछले पीएससी के सिविल परीक्षा में चयनित 165 में से 131 लोग 37 साल से उपर के थे और सब किसी-न-किसी सरकारी नौकरी में थे। यह इसलिए संभव हुआ कि सरकार ने नौकरियों के लिए एज बढ़ा दिया है। इसका लाभ उक्त 131 लोगों को मिला, जिन्होंने सरकार से वेतन लेते हुए पीएससी की तैयारी की और कामयाब हो गए। जरा, सोचिए 44-45 साल की आयु में सलेक्ट होने वाले अफसरों का तो दो-तीन साल सीखने, समझने और प्रोबेशन में ही निकल जाएगा। 50 में कहीं पोस्टिंग पाएगा तब तक वह रिटायरमेंट का दिन गिनने लगेगा। उसके पास समय कम होंगे तो जाहिर तौर पर वह पहले अपना देखेगा। सो, सरकार को एज पर पुनर्विचार करना चाहिए। सरकार को इसमें वोट का भी नुकसान नहीं होगा। आखिर, मोदीजी बोलते ही हैं, देश में 65 फीसदी नौजवान हैं।

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हेलिकाप्टर में आदेश

88 बैच के आईएएस केडीपी राव को रेवन्यू बोर्ड का चेयरमैन बनाने का आदेश हेलिकाप्टर में हुआ। बताते हैं, जगदलपुर में शुक्रवार देर रात सीएम ने इस पर सहमति दी थी। इसके बाद रात में ही नोटशीट तैयार की गई। शनिवार को सुबह सीएम जगदलपुर से रायपुर के लिए उड़ान भरे, अफसरों ने उनके समक्ष नोटशीट रख दी। सीएम ने उस पर चिडि़या बिठा दी। डाक्टर साब राजधानी में 11 बजे लैंड किए और पांच मिनट बाद आज केडीपी का आदेश जारी हो गया। हालांकि, हवा में पोस्टिंग का यह पहला मौका नहीं है। इसके पहले 4 अप्रैल को तीन सिकरेट्री के आर्डर निकले थे, उसमें भी कुछ ऐसा ही संयोग हुआ। चीन रवाना होने से चंद समय पहले सीएम की रणनीतिकारों से चर्चा हुई। सीएम ने किसको कहां करना है, टेंटेटिव लिस्ट बनाने के लिए कहा था। रणनीतिकारों ने गणेश शंकर मिश्रा, अशोक अग्रवाल और बीएल तिवारी की पोस्टिंग के लिए तीन सेट बनाए। ताकि, सीएम के सामने आप्सन रहे। दिल्ली जाने के दौरान इंडिगो की फ्लाइट जब 40 हजार फुट की उंचाई पर थी, मुख्यमं़त्री को नोटशीट दिखाई गई। उन्होंने पहले सेट को ही ओके कर दिया। लिहाजा, सीएम और उनकी टीम दिल्ली एयरपोर्ट से छत्तीसगढ़ भवन रवाना हुई, उधर आदेश जारी हो गया। इसी तरह, पीसीसीएफ का तख्ता पलट पर फैसला भी चीन दौरे में शीप से शेनझ्यान से हांगकांग आने के दौरान हुआ था। अर्थात, अब थल के साथ हवा और जल में सफर के दरम्यान भी सरकार फैसले ले रही है। लगता है, अच्छे दिन आने वाले हैं।

बिलासपुर की टिकिट

केडीपी राव बिलासपुर कमिश्नर से माध्यमिक शिक्षा मंडल के चेयरमैन बने थे और यहां से सरकार ने फिर उनको बिलासपुर ट्रेन की टिकिट थमा दी। केडीपी 88 बैच के आईएएस हैं और 2108 में उनका रिटायरमेंट है। याने लगभग ढाई साल बाद। राजस्व बोर्ड में इतने समय तक कोई आईएएस रहा नहीं है। इसलिए, नहीं कहा जा सकता कि वे राजस्व बोर्ड से ही रिटायर होंगे। बल्कि, ब्यूरोक्रेसी में पावर गेम टर्न हुआ तो केडीपी कभी भी रायपुर लौट सकते हैं।

लिटमस टेस्ट

राज्य के दूसरे बड़े सीनियर नौकरशाह डीएस मिश्रा आज राजस्व बोर्ड से रिटायर हो गए। पोस्ट रिटायरमेंट उनकी सूचना आयोग में ताजपोशी की चर्चाएं थीं। मगर कुछ दिन पहले सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि उन्हें फिलहाल कोई पोस्टिंग नहीं दी जाएगी। दरअसल, सरकार ने अघोषित नीति बना रखी है कि रिटायरमेंट के फौरन बाद किसी को संविदा नियुक्ति नहीं दी जाएगी। दिनेश श्रीवास्तव भी अभी खाली ही बैठे हैं। आरएस विश्वकर्मा को भी दो महीेने बाद ही पीएससी की कमान सौंपी गई थी। यद्यपि, इस अघोषित नीति का लिटमस टेस्ट तब होगा, जब इस महीने रायपुर, दुर्ग कमिश्नर ठाकुर राम सिंह रिटायर होंगे। राम सिंह को सबसे प्रभावशाली आईएएस बोल सकते हैं। उन्होंने नौ साल तक लगातार कलेक्टरी करने का रिकार्ड बनाया। सरकार ने डेढ़ महीने के लिए ही सही, उन्हें रायपुर और दुर्ग का कमिश्नर बनाया। ब्यूरोक्रेसी में सबकी नजर इस ठाकुर आईएएस पर टिकी है कि उनके साथ भी अघोषित नीति प्रभावशील होगी या 30 मई को उनकी ताजपोशी का आर्डर निकल जाएगा। चलिये, लिटमस टेस्ट का आप भी इंतजार कीजिए।

जायसवाल होंगे कमिश्नर?

मई चालू होते ही रायपुर, दुर्ग कमिश्नर ठाकुर राम सिंह का काउंट डाउन चालू हो गया है। 30 मई को वे रिटायर हो जाएंगे। लिहाजा, रायपुर के नए कमिश्नर को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि, सब कुछ ठीक रहा तो कमिश्नर पंचायत सुरेंद्र जायसवाल का नम्बर लग सकता है। जायसवाल महासमंुद और जशपुर के कलेक्टर रह चुके हैं। आईएएस अवार्ड होने से पहले रायपुर में वे एडिशनल कलेक्टर रहे।

महीने भर इंगेज

कांग्रेस का अप्रैल महीना भूपेश बघेल और अमित जोगी के बीच जुबानी जंग के नाम रहा। दोनों एक-दूसरे पर रख-रखकर तीर छोड़ते रहे। कोई एक इंच के लिए भी पीछे नहीं हटा। एक के बयान आते थे तो उसके 15 मिनट के भीतर जवाबी प्रहार। बीच-बीच में चरणदास महंत भी छौंक लगाकर अपनी उपस्थिति का अहसास कराते रहे। बहरहाल, अमित ने बघेल को महीने भर इंगेज रखा। इससे संगठन खेमे को कितना फायदा हुआ, मालूम नहीं। लेकिन, एक बात आम कांग्रेसी भी महसूस कर रहा है कि बघेलजी को अपने सिपहसालारों पर पुनर्विचार करना चाहिए। तभी कुछ हो पाएगा। वरना, दाउ के लोगों के मन में लड्डू तो फूट ही रहे हैं।

45 लाख का चेम्बर

वन मुख्यालय के एक आला अफसर ने 45 लाख से अधिक रुपए खर्च कर अपने चेम्बर का कायाकल्प करा लिया। जबकि, छह महीने बाद मुख्यालय नए रायपुर में शिफ्थ होना है। हालांकि, सरकार ने अन्य कारणों से उसकी छुट्टी कर दी। मगर सरकारी धन का अपव्यय करने वालों को इस तरह सहानुभूति जता कर कि उसे पद से हटा दिया गया है, बख्शना ठीक नहीं होगा। इसकी जांच होनी चाहिए। ताकि, आगे एक मैसेज जाए।

अंत में दो सवाल आपसे

1. एक आईपीएस का नाम बताइये, जो यूपी में माल बनवाने के लिए हवाला के जरिये हर महीने 50 लाख रुपए भेज रहा है?
2. नए एडिशनल पीसीसीएफ जेएससीराव को 500 करोड़ के बजट वाले कैम्पा में ताजपोशी का हिडेन एजेंडा क्या है?

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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