रायपुर। राज्य केे सभी सरकारी कॉलेज अब अपना मूल्यांकन स्वयं करेंगे और उस आधार पर उनका श्रेणीकरण किया जाएगा। यह मूल्यांकन 100 अंकांे पर आधारित होगा। स्व-मूल्यांकन पद्धति से श्रेणीकरण अथवा रैकिंग कॉलेजों में नौ बिन्दुओं पर होगी, जिनमें कॉलेज परिसर और टायलेट की सफाई, स्वच्छ पेयजल सुविधा, वाई-फाई सुविधा, कॉलेजों के रंग-रोंगन, हरियाली और उसके रख-रखाव, कॉलेज दस्तावेजों के रख-रखाव, परीक्षा परिणाम सहित अकादमिक कार्य, नेक मूल्यांकन, प्लसमेंट सेल अथवा कैम्पस प्लेसमेंट तथा कॉलेज में केंटीन (जल पान गृह), लाइब्रेरी, खेल गतिविधि और अन्य शैक्षणेत्तर गतिविधियों को शामिल किया गया है। मूल्यांकन के नौ बिन्दुओं में से नेक मूल्यांकन के लिए 20 अंक और अन्य आठ बिन्दुओं में 10-10 अंक रखे गए हैं। यह मूल्यांकन हर साल होगा।
उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने गुरुवार को बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार ने कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और इसके लिए उनमें रचनात्मक प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। स्व मूल्यांकन पद्धति से रैकिंग अथवा श्रेणीकरण के लिए प्रस्ताव लगभग तीन महीने पहले विगत छह फरवरी को आयोजित अग्रणी कॉलेजों के प्राचार्यों और कुल सचिवों की बैठक में पारित किया गया था, जिसका अनुमोदन कर राज्य सरकार ने हरी झंडी दे दी है। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. बी.एल. अग्रवाल ने यहां मंत्रालय से प्रदेश के सभी शासकीय कॉलेजों के प्राचार्यों को परिपत्र के साथ आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। परिपत्र में प्राचार्यो से कहा गया है कि 9 विन्दुओं पर नया शिक्षा सत्र शुरू होने के पहले परिणाममूलक कार्रवाई सुनिश्चिित कर ली जाए । प्रतिवेदन समय-सीमा में 10 मई तक ई-मेल तथा हार्ड कॉपी के साथ उच्च शिक्षा संचालनालय को भेजी जाए।