रायपुर— आज प्रदेश का कोना- कोना अकाल की चपेट में है। जनता में पानी को लेकर हाहाकार है। प्रदेश का दुर्भाग्य है कि 13 साल बाद मुख्यमंत्री को तालाबों की सुध आई है। मैने मात्र ढाई साल के कार्यकाल में हजारों तालाबों का निर्माण,गहरीकरण और डबरियों का निर्माण कराया था। दुर्भाग्य है कि भाजपा सरकार तालाबों का संरक्षण नहीं कर सकी है। हमारे शासनकाल की तरह रमन सरकार तालाबों और डबरियों पर ध्यान केंद्रित करती तो आज प्रदेश की जनता अकाल की चपेट में नहीं होती। यह बातें पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने प्रेस नोट जारी कर कही है।
हमें अपने पूर्वजों से सीख लेनी चाहिए । उन्होंने प्रदेश के सभी ग्रामों में बड़ी संख्या में तालाबों और डबरियों का निर्माण कराया था। सौभाग्य से हमारे प्रदेश में लगभग 50 इंच प्रतिवर्ष वर्षा होती है। यदि बेकार हो रहे पानी को रोक लिया जाये तो प्रदेश में पेयजल सिंचाई और उद्योगों के लिए पानी की कोई कमी नहीं रहेगी। जोगी ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि उन सभी पुराने तालाबों और डबरियों को चिन्हांकित कर जीवित किया जाए।
जोगी ने बताया कि तालाबों में कहीं खेती तो कहीं आवास और उद्योग खड़े हो गए हैं। तालाब हमारे पुरखों ने ऐसे स्थानों पर खुदवाये थे जहां पानी की बहुत अच्छी आवक थी। इनका पुनः निर्माण करना आवश्यक है। जोगी ने बताया कि रतनपुर में तत्कालीन सुयोग्य कल्चुरी शासकों ने 365 बड़े तालाब बनवाये थे। अब तालाबों की संख्या बमुश्किल 25 ही रह गयी है। अंबिकापुर शहर के बीच में 53 एकड़ का बड़ा तालाब था। शहर में भूजल की रिचार्जिंग होती थी। अंबिकापुर के तालाब को जानबूझकर खाली कर पूर्व शासक को आबंटित कर दिया गया । ऐसे सभी तालाबों को कानूनन अधिग्रहित करने की जरूरत है। तालाबों के आबंटन को निरस्त कर उस स्थान पर बड़े पेयजल के श्रोत बनाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में छत्तीसगढ़ को भी लातूर और मराठवाड़ा जैसे जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
जोगी ने बताया कि केंद्र और प्रदेश सरकार के पास देश और प्रदेश की जनता को मंहगाई अपराध और भ्रष्टाचार से मुक्त कराने का विजन नहीं है। जनता पर आए दिन टेक्स थोपा जा रहा है।सोने.चांदी पर टेक्सों की भरमार कर महिलाओं को मंगलसूत्र जैसे महत्वपूर्ण गहनों से वंचित किया जा रहा है।
जोगी ने बताया कि सरकार ने कर्ज लेकर जनता पर कर्ज थोप दिया है। प्रदेश में प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है। गुटखे पर प्रतिबंध लगाया गया पर धड़ल्ले से दुगनी कीमत पर खुले आम बिक रहा है। आबकारी से प्राप्त आय को सरकार कम नहीं करना चाहती। शराब परिवारों की बरबादी के अलावा दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है।